प्रदूषण पर निबंध हिंदी में l Essay On Pollution In Hindi

हमारे जीवन में प्रदुषण की समस्या पुरे विश्व स्तर पर बनी हुई है । इसके वजह से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ता ही जा रहा है । प्रदुषण के बढ़ने की वजह से कैंसर जैसे घातक बीमारी बढती ही जा रही है । इसके कई सारे नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, मनुष्य का आयु घटती जा रही है । लोगो को शुद्ध हवा नही मिल पा रहा है।

प्रदुषण के वजह से वातावरण भी अशुद्ध हो गया है । ये प्रदुषण मानव जाति द्वारा की गयी गतिविधियों से ही होता है । इस समय मानव स्वछता और पर्यावरण की संतुलन का बिल्कुल ख्याल नही रख रहा है जिसके कारण प्रदुषण का स्तर दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है । और पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जन्तु भी इससे प्रभावित हो रहा है।

प्रदुषण के कारण

वर्तमान के समय में मनुष्य द्वारा आधुनिक और तकीनीकी की खोज जिस तरह तेजी से उन्नति कर रहा है । लेकिन मनुष्य पर्यावरण को सुरक्षित रखने में नाकाम साबित हो रहा है । प्रदुषण के मुख्य कारण है लोगो द्वारा कोई भी चीज अपने खपत से ज्यादा लेकर उसको नुकसान करते है, खुले जगहों पे फेकते है । जिसके कारण वो सड़ता – गलता रहता है और उससे निकलते जहरीले गैस वहाँ  के वातावरण को अशुद्ध करता है।

लोगो द्वारा कोई भी प्लास्टिक, कूड़ा करकट को खुले स्थानों में या खेतो खलिहानों में जलाया जाना भी बढ़ते प्रदूषण का कारण है।

बढ़ते प्रदूषण में कई तरह के स्त्रोत शामिल है । जैसे भूमि, वायु, जल, ध्वनि के कारण भी वातावरण प्रदूषित हो रहा है । इसके विभिन्न तरह अमाननीय गतिविधियों के कारणों से प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रहा है।

खेतो में कीटनाशक दवाओ के बढ़ते उपयोग से, वनों के कटाई से, बढ़ते शहरो में विकास से, अम्लीय वर्षा से, और मिटटी खनन की वजह ही मुख्य कारण है।

प्रदुषण के बढ़ने के  कारण का मतलब है लोगो की नासमझ और गैरजिम्मेदाराना हरकतों के वजह से वातावरण प्रदूषित हो रहा है।

प्रदूषण के प्रकार

प्रदूषण कई प्रकार से फैलता है । इसके निम्नलिखित कारण है, जैसे वायु प्रदुषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण । ये सब की संछिप्त जानकारी निचे दी गयी है।

वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण का मतलब है की हवा प्रदूषित होना । जिससे लोगो की साँस लेने में दिक्कत होती है । वायु प्रदूषण बड़े – बड़े कारखानों से निकलते केमिकलयुक्त धुँआ की वजह से हवा प्रदूषित होता है । गाँव में लगे ईट भट्टे के चिमनी से निकलते धुँआ के वजह से भी हवा प्रदूषित हो रहा है।

ये सब जहरीले धुँआ ऊपर जाकर शुद्ध हवा में मिश्रित होकर उसको प्रदूषित कर दे रहा है । जिससे लोगो को साँस लेने में कठिनाई होती है । ये कल कारखानों से निकलने वाले धुँआ 24 घंटे हवाओ में मिलकर उसको अशुद्ध कर रहा है।

गाडियों और मोटर साइकिल की बढती संख्या और उससे निकलने वाले धुएं से भी वायु प्रदूषित हो रहा है । लोग गाडियों के मोबिल आयल को जल्दी बदलते नही है जिससे वो काला धुँआ निकलता है और हवा को प्रदूषित करता है।

दिवाली के समय लोग इतना ज्यादे पटाके फोड़ते है। सरकारी पाबंदी को भी लोग नजरंदाज करते है, नियमो का पालन नही करते है । जरुरत से ज्यादा पटाके फोड़ते है फिर जो पटाको के बारूद से जो धुँआ निकलता है वो काफी नुकसानदायक होता है । जो ऊपर हवा में मिलकर वायु को प्रदूषित करता है।

हम अपने घरो में अपने सुविधा के लिए जो उपयोग करते है, जैसे रेफ्रिजरेटर, एयरकंडीशनर और वाशिंग मशीन । इस सब से निकाले वाले CFC (क्लोरो फ्लोरो कार्बन) हवा में पहुँच कर वायु को प्रदूषित करते रहते है।

वायु प्रदुषण से फैलने वाली बीमारी कई तरह की होते है। दमा, खसरा, टी. बी. डिप्थीरिया, इन्फ्लुंज़ा, जैसे बीमारी वायु प्रदुषण से फैलती है।

जल प्रदुषण

हमारे घरो से दूषित पानी निकल कर नदियों में मिलता है । फैक्टरियों और कंपनियों से कूड़ा कचरे और अपशिष्ट पदार्थ बहकर नदियों में जाता है । हमारे कृषि में उपयोग होने वाले उर्वरक खाद और कीटनाशक दवाओ की छिडकाव से जल प्रदूषित होता है।

लोगो नदियों के किनारे सैर करने जाते है और खा पीकर कूड़ा कचरा वही नदी में फेक देते है । घरो और बिल्डिंग में रहने वाले लोग भी घर के कूड़ा करकट को नालो में बहा देते है । जो नदी में जाकर पानी को दूषित करता है।

लोग नदियों और तालाबो में कपडा धोते है और पशुओ को नहलाते है । उसकी गंदगी से वो तालाब या नहरों के पानी को भी दूषित कर देते है । लोगो के शौचालय की सुविधा नही होने की वजह से लोग खुलर में शौच करते है फिर बारिश के समय वो पानी के बहाव के साथ नदियों नालो में जाकर मिल जाता है।

कभी – २ लोग श्मशान घाट जाते है किसी लाश को जलाने के लिए तो उसके साथ मरे हुए व्यक्ति के सारे कपडे ले जाते है । फिर लाश की अस्थियो के साथ – 2 उनके कपड़े भी नदी में बहा देते है । गंदे कपड़ो की वजह से नदी का पानी दूषित होता है।

कुछ जिव जन्तु की मृत्यु हो जाता है तो लोग उनको नदियों में बहा देते है । जिसके वजह से पानी में सड़ता गलता रहता है और पानी को दूषित भी कर देता है।

जल दूषित होने की वजह से कई तरह की घातक बीमारियाँ होती है । डायरिया, टाइफाइड, हैजा जैसे बीमारी जल प्रदुषण की वजह से होता है।

ध्वनि प्रदुषण

ध्वनि प्रदुषण लोगो की सुनने के क्षमता से ज्यादा शोर मचाने से होता है । लोगो के उपयोग होने वाले तकीनीकी से बनी वस्तुओ से ध्वनि प्रदूषण फैलता है जैसे मशीनो से निकलने वाली तेज आवाज, डीजे बजने की आवाज, गाड़ियाँ और मोटर साइकिल के बार – 2 हॉर्न बजाने से।

मनुष्य को ध्वनि प्रदुषण की वजह से शांति से रहने को नही मिलता है । एक बेहतरीन जीवन जीने के लिए शान्ति होना बहुत जरुरी है । मनुष्य के जीवन में ध्वनि प्रदुषण घरो, मंदिरों और मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर से भी होता है।

लोग अपनी भक्ति के लिए या किसी चीज के पार्टी के लिए कार्यक्रम करते है । जिसमे डीजे, साउंड, बजते रहते है इसके कारण आस-पास के लोगो को समस्या होती है । ध्वनि प्रदुषण बढने के एक ये भी कारण है।

मानव जीवन में जैसे – जैसे तकनीकी बढती जा रही है, वैसे ध्वनि प्रदूषण की समस्या भी बढती जा रही है । लोगो हर कार्यक्रम के लिए डीजे नाच – गाना करते रहते है । लोगो के तकनीक के द्वारा बनाया गया वस्तु जैसे मोटर साइकिल, रेलगाड़ी, हवाई जहाज इत्यादि उपकरण है जिससे लोगो को ध्वनि प्रदूषण की घातक समस्या होती जा रही है।

ध्वनि प्रदूषण से फैलने वाली बीमारी जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, सिर दर्द, अनिद्रा और भी मानसिक बीमारियाँ इसके कारण होती है।

भूमि प्रदूषण

पृथ्वी यानि भूमि सभी जीव जन्तुओ का रहने का मुख्य आधार है । परन्तु लोगो द्वारा यहाँ पर भी प्रदुषण फ़ैल गया है । एक तो जनसंख्या वृद्धि के कारण वैसे ही सभी को रहने के लिए स्थान कम पड़ते जा रहा है । वनों की कटाई की वजह से भूमि का प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है । वनों की लगातार कटाई के वजह से वायुमंडल में आक्सीजन का स्तर घटते जा रहा है । और इसके वजह से धरती पर रहने वाले सभी जिव जन्तुओ का संतुलन बिगड़ते जा रहा है।

जमीनी स्तर पर रहने वाले लोग वनों की कटाई और खनन माफिया के वजह से भूमि का प्रदूषण बढ़ते जा रहा है । वनों की कटाई की वजह भूमि बंजर होती जा रही है और भूमि का कटाव होते जा रहा है । इस सबसे प्रकृति का संतुलन बिगड़ते जा रहा है।

भूमि प्रदुषण किसानो के द्वारा भी फ़ैल रहा है । क्योकि किसान अपने खेतो में फसलो को कीड़ो से बचाने के लिए कीटनाशक दवा का इस्तेमाल करते है । कीटनाशक की दवा से उपजाऊ मिटटी ख़राब होती जा रही है साथ ही में उपजाऊ बैक्टारिया भी मर जाते है।

लोग गाँवों में फसलो को जल्दी बढ़ाने या उपज के रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करते है । लोग गोबर खाद का उपयोग करना नही चाहते है । कुछ लोग खेतो कूड़ा कचरा ऐसे ही खुले मैदान में फेक देते है जो भूमि का ही नुकसान पहुंचता है।

प्रदूषण के मुख्य स्रोत

प्रदूषण के मुख्य स्रोत कई है जो नीचे दर्शाया गया है –

  • बेकार चीजो को घर में जमा करके रखना, उसको सही समय पर नष्ट न करना । जैसे कूलर का पानी, घर में पड़ा कूड़ा करकट इत्यादि।
  • घरो में रासायनिक पदार्थ का ज्यादा मात्रा में प्रयोग होता है, जैसे साबुन, डिटर्जेंट पाउडर, और औद्योगिक सामान का बेकार में पड़ा रखना।
  • प्लास्टिक (न सड़ने गलने वाली थैली)।
  • कार्बन मोनो ऑक्साइड (CO), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), अमोनिया (NH3), CFC (क्लोरो फ्लोरो कार्बन)।
  • उर्वरक (यूरिया, पोटाश)।
  • गंदा पानी।
  • डी.डी.टी. कीटनाशक दवा।
  • तेज ध्वनि।
  • जनसंख्या में बढ़ोतरी।

निष्कर्ष

हमें जरुरत से ज्यादे सामानों का इस्तेमाल नही करना चाहिए । हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाना चाहिए ताकि पर्यावरण को संतुलित रख सके।

पर्यावरण के ध्यान में रखे हुए तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए । हमें भू-माफिया पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।

error: Content is protected !!
Scroll to Top