प्रदूषण इस पूरे विश्व का सबसे चिंतित विषयों में से एक है जो किसी अभिशाप से कम नही।
यह विज्ञान की उपज होने की वजह से मनुष्य आज इसका बहुत ही सरलता से शिकार हो रहे हैं। प्रदुषण इतनी घातक है कि इसका प्रकोप बहुत ही असहनीय है और जो लोगों के मौत पर आ कर खत्म होता है।
यह केवल एक राष्ट्र का ही नही अपितु सब राष्ट्रों की समस्या है जो धीरे-धीरे पूरे पृथ्वी को निगलता जा रहा है। प्रदूषण के कारण सभी पशुओं व पक्षियों को भारी हानि होता है।
कंपनियों पर अगर ध्यान देंगे तो यही सबसे बड़ा कारण है प्रदूषण का। प्रदूषण फैलने का कई कारण होता है।
प्रदूषण दो तरह से हवा में मौजूद होता है जो अत्यंत विनाशकारी सिद्ध हुआ है जिनमे पहला तो जल प्रदूषण है और दूसरा वायु में मौजूद प्रदूषण।
यही विषैली गैस पृथ्वी की ओजोन परत को समाप्त करने के निकट आ गया है, जिससे सूर्य की तरफ बढ़ते घातक किरणें सीधे धरती पर आ रही हैं, और पृथ्वी पर मौजूद कई जिंदगियो को भी नुकसान पहुंचा रही है।
प्रदूषणों के कारण मानवता का नुकसान
वातावरण में मौजूद प्रदूषणों की वजह से मानवता के स्वस्थ जीवन पर बहुत संकट आ गया है। एक इंसान आज पूरी तरह से हवा में लम्बी सांस लेने तक से वंचित रह गया है।
कारखानों से निकले गन्दे जल के कारण भारी संख्यां में बीमारियां फसलों तक जाती है जो मनुष्य के शरीर में आकर कई विषैली बीमारियां उतपन्न करती हैं। भोपाल गैस ट्रेजेडी में गैस की ही वजह से करोड़ों की संख्या में लोग मारे गए थे। कई तो अपाहिज भी हो गए और इन सबका का कारक केवल प्रदूषण है।
यही पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण समय पर बारिश नही होती और, न मौसमों का चक्र सही से सन्तुलित हो पाता है।
प्रदूषण की वजह
ऐसे कई कारण हैं जो प्रदूषण की वृद्धि में सहयोग देते हैं जैसे तेल व बड़ी- बड़ी मशीनों वाले कारखाने, वैज्ञानिक उपकरण के भारी मात्रा में उपयोग, रेफ्रिजरेटर, जैसे ऊर्जा निकालने वाले मशीनों को भी दोषी ठहराया जाता हैं।
प्रकृति के सन्तुलन में कमी आना मुख्य कारण है। वृक्षों की तेजी से कटाई के कारण मौसम का चक्र असन्तुलित हो जाता है। घनी आबादी वाले जगहों पर तो हरियाली होने की बाद भी प्रदूषण मौजूद है।
प्रदूषण का हल
कई तरह से मौजूद प्रदूषण के प्रकारों की वजह से लोगों को बहुत समस्या झेलनी पड़ती है और कई बीमारी भी उन्हें आ घेड़ती है। इन सब मुश्किलों से निपटने के लिए हम मनुष्य की ज़िम्मेदारी होती है कि अधिक पेड़ लगाए जिससे, हरियाली की मात्रा में वृद्धि हो।
सड़कों के किनारे पर हमें बहुत मात्रा में पेड़ लगाने, यही पेड़ों से हमें प्रदूषण से सुरक्षा मिलती है। वे जगहें जो घनी आबादी के हो वहां हवा पर हम वृक्ष लगा सकते है जिसकी वजह से हवा की मात्रा ज्यादा हों। कल-कारखानों वाले जगहों पर हमें अधिक आबादी नही रखनी चाहिए और उनसे आ रहे प्रदूषण से निपटने के उपाय खोजने चाहिए।
निष्कर्ष
देश के जनसंख्या में भारी वृद्धि व विज्ञान के तकनीकी विकास के कारण प्रदूषण जैसे बड़े मुद्दे से पृथ्वी को सामना करना पड़ा । वायु प्रदूषण के प्रदुषित होने की वजह से फेफड़ों में कई प्रकार की बीमारियां उतपन्न होती है।
फिर इसके बाद व्यक्ति के सांस लेने की प्रक्रिया पर भी भारी संकट आता है। तेज ध्वनियों की वजह काफी लोगों के सुनने की क्षमता घटती है और इससे बहुत ज्यादा तनाव पैदा होता है।
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