भारत में हर त्यौहार का महत्व है पर दुर्गापूजा यानि नवरात्री बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है यह पुरे दस दिनों का होता है। दसवे दिन दुर्गा माता ने राक्षस महिषासुर का वध कर के बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल की थी । इसी दिन को दशहरा कहा जाता है।
भारत में दुर्गापूजा को लोग अलग – अलग जगह पर विशेष तरह से मनाते है। दुर्गापूजा पुरे दस दिनों का होता है । परन्तु अंतिम चार दिन बड़ी धूम धाम से पूजा होती है।
दुर्गापूजा क्यों मनाते है ?
दुर्गापूजा से जुडी कई कथाए है । पहली कथा ये है की माँ दुर्गा इस महिषासुर नामक राक्षस का वध करके बुराई पर अच्छाई की जीत हासिल हुई थी। दूसरी कथा ये है की भगवान् श्री राम जी ने नौ दिन और नौ रात युद्ध करके दसवे दिन रावण का वध किया था। इसलिए दसवे दिन को दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
इस पर्व को शक्तिपर्व भी कहा जाता है । नवरात्री में दुर्गापूजा की पूजा इसलिए किया जाता है की क्योकि देवी दुर्गा ने नौ दिन रात युद्ध करके दसवे दिन महिषासुर को मारा था । इसलिए दसवे दिन को विजयदशमी के रूप में भी लोग मनाते है।
दुर्गापूजा कब और कैसे मनाते है ?
हिंदी कैलेंडर के हिसाब से दुर्गा पोज्जा हर साल अक्टूबर महीने में आता है। दुर्गा पूजा पितृपक्ष के बाद आता है । ये दुर्गा पूजा पुरे नौ दिन का होता है लोग इसे पुरे नौ दिन बड़ी श्रधा से मनाते है । और नौ दिन के बाद दसवा दिन दशहरा व विजयदशमी के नाम से मनाया जाता है।
जैसे ही दुर्गापूजा यानि नवरात्री प्रारम्भ होता है लोगो में बड़ी उत्साह देखी जाती है। लोग पहले से तैयारी शुरू कर देते है लोग देवी दुर्गा की मूर्तियाँ लाते है और नौ दिन मूर्ति की सेवा के साथ – साथ पूजा भी करते है। नवरात्री के अंतिम चार तिथियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण होती है, ष्टमी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी जिस दिन मूर्ति को लोग हवन करने के बाद उसे जल में प्रवाहित करते है यानि की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है बड़ी धूमधाम से।
दुर्गा पूजा के कारण पर्यावरण पर प्रभाव –
आजकल लोगो का पूजा करने का तरीका बदल गया है । पहले लोग अपने – अपने घरो में छोटे तस्वीर के साथ शांति से पूजा कर लिया करते थे । परन्तु अब पूजा करने के लिए बड़ी – बड़ी मूर्तियाँ बनवाने लगे है । मूर्तियाँ बनवाने के लिए रंगों का इस्तेमाल होता है । जैसे सीमेंट, पेरिस आदि का उपयोग किया जाता है । इसी मूर्ति को जब शुद्ध पानी में विसर्जन किया जाता है तो इसके कारण पानी मैला और गंदा हो जाता है।
मूर्तियाँ जब लोग अपने घरो पर लाते है तो खुशियां के साथ ढोल नगाड़े और डी. जे. बजाते है। और यही कार्यक्रम जब मूर्ति को विसर्जन करते है समय भी करते है। इसके कारण ध्वनि प्रदूषण में बढ़ोतरी होता है।
पर्यावरण के बचाव के लिए उपयोग –
हमें प्रदूषण से वातावरण को बचाने के लिए इको फ्रेंडली मूर्तियाँ का उपयोग करना चाहिए । ढोल नगाडो और डी जे का कम इस्तेमाल करना चाहिए । विसर्जन के समय किसी पवित्र नदी में नही बल्कि किसी आस पास के तालाबो, पोखरों में विसर्जन कर देना चाहिए । जिसके कारण बहते पानी में जल को प्रदूषित होने से बचा लेगा क्योकि ये पानी एक जगह से होते हुए बहुत दूर कई जगहों पर जाता है।
दुर्गा पूजा सबसे ज्यादा कहा मनाई जाती है ?
आमतौर पर पुरे भारत देश में दुर्गापूजा का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है । खास करके सबसे ज्यादा मान्य पश्चिम बंगाल में मनाई जाती है वहा के लोग खास तरह से दुर्गा पूजा को मानते है । वहा पर बड़े – बड़े पंडाल लगाये जाते है और मेले का भी आयोजन किया जाता है । जिसे लोग दुर्गापूजा का आनंदपूर्वक मनाते है।
साथ ही में महाराष्ट्र और गुजरात में कुछ अलग तरीके से दुर्गापूजा को मनाया जाता है । यहाँ पर गरबा और डांडिया के नाम से प्रसिद्ध है क्योकि यहाँ पर लोग नौ रात को रोज गरबा और डांडिया का कार्यक्रम होता है यानि के खेला जाता है । जो लोग आनंदपूर्वक लोग इसका मजा लेते है।
निष्कर्ष
दुर्गा पूजा सभी धर्म और जाति के लोग मनाते है खास करके जो हिन्दू लोग होता है। दुर्गापूजा के त्यौहार पर सभी लोग एक साथ मिलकर नवरात्री यानि दुर्गापूजा मानते है। इसमे जो कार्यक्रम होता है उसमे ईनाम भी रखा जाता है जो भी प्रतियोगिता जीतता है उसे मिलता है।