दिवाली रोशनी और खुशियों का त्यौहार है। यह अधिकारिक रूप से भारत देश में मनाया जाने वाला सबसे खुबसूरत और मुख्य त्योहारों में से एक है। दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिक के रूप में मनाया जाता है। दिवाली को लोग दीपावली के रूप में भी जाना जाता है। यह त्यौहार हर साल अक्टूबर या नवम्बर महीने में आता है।
दिवाली का पर्व पंचांग या शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह दीपावली का त्यौहार सुख, समृद्धि और वैभव का प्रतिक है। दिवाली का पर्व हमेशा दुर्गा पूजा के दशहरा उत्सव के ठीक 20 दिन बाद यानि ली 21वे दिन दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है।
दीपावली शब्द का अर्थ है “दीपो को एक पंक्ति में रखना” अर्थात दीप का मतलब मिटटी के दीपक और अवली शब्द का मतलब एक कतार में। यह दीपवाली का त्यौहार भगवान श्री राम के जीत के खुशी में मनायी जाती है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है की इसी दिन ही भगवान श्री रामचंद्र जी अपने 14 वर्ष का वनवास काट कर वापस अपने घर को लौटे थे।
इस वनवास के अवधि के दौरान भगवान् श्री राम जी ने रावण से युद्ध करके अपनी पत्नी सीता माता को उसके कैद से छुड़ाया था और विविषण को लंका का राजा बनाकर अपना वचन निभाया था। इतना सब कार्य करने के बाद जब भगवान् राम अपने घर अयोध्या लौटे थे, तो अयोध्यावाशी उनके लौटने के ख़ुशी सभी अपने घर को दीपो सजा दिय थे। इस तरह जीत के ख़ुशी में लोगो ने दिये जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मानते है।
दीपावली का धार्मिक महत्व
इस धार्मिक त्यौहार के अलग ही महत्व है। यह त्यौहार भारत देश के हर एक क्षेत्र में भिन्न – भिन्न जगहों पर मनाई जाती है। दीपवाली का त्यौहार के साथ संस्कृतियों, देवी – देवताओ और परम्पराओ से जुड़ा हुआ है।
रामायण कथा के अनुसार दिवाली भगवान् श्री रामचन्द्र जी के वापसी दिन कहा जाता है। शुभ लाभ का भी प्रतिक माना जाता है, क्योकि इस दिन लक्ष्मी जी पूजा की जाती है। इस दिन इसलिए भी खास मन जाता है की श्री राम अपनी अपनी धर्मपत्नी सीता के साथ वापस लौटे थे। यह सब राक्षस रावण को मारने के बाद उस पर विजयी होकर वापस अयोध्या आये थे।
एक और कथा प्रसिद्ध है की दिवाली दिन भगवान् विष्णु ने कृष्ण का अवतार के रूप नरकासुर राक्षस का वध किया था । और उसके कैद से 16000 बंदी कुवारी लड़कियों को छुड्वाया था।
दिवाली के दिन लोग शाम के समय जब दिया जलाते है तो उस टाइम देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा व आरती करते है। ऐसा माना जाता है की भगवान गणेश विघ्नों के हरता है वो सारे विध्नो को नाश कर बुद्धि और विवेक का विकास करते है। और लक्ष्मी जी की दिवाली के दिन पूजा करने पर धन और समृधि में विकास होता है।
दीपावली का आध्यात्मिक महत्व
दीपावली का त्यौहार एक खुशियों का त्यौहार है, इस दिन लोग आपस के झगड़ें भुला कर एक – दुसरे को मिठाईयां भेट करते है। ताकि उनके रिश्तो में मजबूती आ सके। ये त्यौहार सभी के घरो में सुख और समृद्धि लाता है।
इस दिन खास करके हिन्दू व्यापारी दूकान के साथ – साथ नया बही खाता भी खोलते है। और साथ ही में वो भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी जी की पूजा भी करते है ताकि धन और समृधि का विकास हो सके।
यह प्रकाश का त्यौहार सभी लोगो के अंदर शांति और खुशियों का बहार लाता है। दिवाली निश्चित रूप से लोगो के अंदर सुख और शांति का अनुभव करता है । दिवाली का त्यौहार एक अलग ही रौनक लाता है जब लोग पटाखे और फुलझड़ियाँ बच्चो जलाते है। सबके घर में अच्छा सा पकवान बनता है मिठाईयां बनती है सब मजे में इस त्यौहार का आनंद लेते है। इस दिन आतिशबाजी भी खूब होती है।
दीपावली के कारण प्रदूषण
वैसे देखा जाये तो दिवाली एक ऐसा पर्व है जिसमे सभी धर्म के लोग इस त्यौहार का भरपूर आनंद लेते है। लेकिन आतिशबाजी करते समय ये सब भूल जाते है की पर्यावरण पर क्या असर पड़ेगा। लोग जो पटाखे फोड़ते है उससे निकलने वाला धुँआ पुरे वातावरण को प्रदूषित करता है।
इसके दौरान वायु, ध्वनि और भूमि प्रदूषण का बढ़ोतरी होता है । भारत देश में ऐसे कई शहर है जो प्रदूषण काफी ज्यादा प्रभावित है जैसे दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद इस सब शहरो में दिवाली आने पर पटाखे फोड़ने पर वैन लगा दिया जाता है ताकि वातावरण ज्यादे प्रदूषित न हो।
इन शहरो में देखा गया है की दिवाली दुसरे दिन बाद भी आस पास के वातावरण पूरा धुधला दिखाई देता है और लोगो को साँस लेने में काफी दिक्कत होती है । इससे लोगो को आँखों और साँस को ज्यादा प्रभावित करता है।
दिवाली को इको फ्रेंडली या सही तरीके से मनाएं
जैसा की सभी जानते ही की दिवाली के समय पटाखे फोड़ने से कितना सारा नुकसान पहुंचता है। इस सभी चीज को रोकने के लिए सभी को मिलकर कोई उपाय करना चाहिए। सबसे पहले बात की हम सभी लोग को पटाखे फोड़ने बंद कर देना चाहिए। वातावरण के अनुकूल रहे ऐसा सब चीजो प्रयोग करना चाहिए।
हमें एक जिम्मेदार नागरिक बनना चाहिए और खुद से आगे बढ़ कर इस मुहीम का आगे बढ़ाना चाहिए। सरकार से भी निवेदन करना चाहिए की जो भी खतरनाक और जहरीले गैस वाले पटाखों को बाजार हटा देना चाहिए। और जो भी इस चीज का पालन ना करे उसको पूर्णरूप से वैन कर देना चाहिए।
निष्कर्ष
हमें अपने घर पर सभी परिवार के साथ इको फ्रेंडली तरीके से दिवाली मनाना चाहिए। हमें जहरीले और खरतनाक पटाखे फोड़ कर सभी के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ नही करना चाहिए।
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