“जल है तो जीवन है” जल है तो मनुष्य, प्राणी, जानवर और अन्य सभी जीव जन्तु है। जल हमें नदियों द्वारा प्राप्त होता है। नदी न हो तो हम जल के लिए तरस जाएँगे । जल प्राप्त करने के लिए और भी कई साधन है, पर नदी का सबसे बड़ा सहयोग है।
प्रकृति द्वारा नदी हमारे लिए एक अनोखा उपहार है । नदियों के ही कारण हमारा जीवन संभव है, नदियाँ हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। नदियों से हमें स्वच्छ पानी प्राप्त होता है। यह निरंतर चलता रहता है, यह कभी स्थिर नही रहता है। नदी को हम कई नामो से जाना जाता है। जैसे प्रवाहिनी सरिता, आदि कई अनेक नाम है। नदी जहा से आरम्भ होता है उसे उदगम स्थल कहते है।
नदी के बहती धारा को घाटी कहते है। अक्सर करके बर्फ पिघलक ही नदियों के निर्माण होता है। नदियाँ बहुत ही लंबी होती, जो अनेक गाँवों और शहरो से निकलती है । जिससे उस गाव और शहर के जल की समस्या दूर करती है, अर्थात वहा पर रहने वाले सभी जीव जन्तुओ के पानी की सुविधा हो जाती है।
नदी से हमें कई तरह की सहायता मिलती है। नदियाँ जहाँ से बहती है वह स्थल उपजाऊ बन जाता है। सभी नागरिक जल के लिए नदी पर ही निर्भर है । कुछ पुरानी सभ्यता भी नदी के आस – पास बसने की वजह से प्रसिद्ध है।
नदियों के प्रकार –
नदियों के दो प्रकार है – 1. सदनर 2. बरसात
सदनर (सदानीरा) –
सुंगाई सदनर जों स्वयं पानी बनता है और इसका मुख्य स्रोत एक झील, नहर इत्यादि सब होता है।
बरसात (बरसाती) –
ऐसी नदी जो मौसम में भरती है, खास करके इस प्रकार की नदी बारिश पर निर्भर होती है । ऐसी नदियाँ बहुत लंबी होती है और हमेशा बहती रहती है।
नदियों का महत्व
नदी से हम जल प्राप्त होता है । नदी से हमारे दृश्य की सुंदरता बढ़ती है। नदियाँ सामाजिक, आर्थिक, वैज्ञानिक तथा और भी कई रूप से मदद करती है । नदियों से खेत की सिचाई के लिए पानी, पीने के लिए पानी और मछलियों के पालने के लिए मछली पालक रोजगार तथा अन्य बहुत सारे कामो के लिए नदियों का उपयोग करते है।
कभी – कभी कुछ प्राकृतिक आपदाओ के कारण पानी का आकाल पड़ जाता है । जैसे लम्बे समय तक बारिश का न होना । ये बहुत सारी अन्य तकलीफे खड़ी कर देते है । इस समय पर बस एक ही सहारा रहता है और वो है नदियो का उपयोग।
हमारे भारत देश में कई नदियों का नाम भगवान के नाम पर है, और हम इन नदियों को देवी मानते है और उन नदियों की पूजा भी करते है। हमारे देश में नदियों में स्नान करने पर उसको पवित्र मानते है। पहले के ज़माने में ऋषियों मुनियों ने नदी के किनारे बैठ कर तपस्या करके ही ज्ञान प्राप्त किये।
हमारे भारत देश के कुछ प्रमुख पवित्र नदियाँ है जैसे गंगा, यमुना, सिंधु, ब्रम्हपुत्र, सरस्वती, कृष्णा, कावेरी, यमुना, जमुना आदि नदियाँ है।
नदियों द्वारा होने वाले नुकसान
हम महुष्य प्रक्रति से छेढ़-छाड़ करते रहते है, और नदियों का संतुलन बिगड़ जाता है। जिससे नदिया अपना रौद्र रूप धारण कर तबाही का कारण बन जाती है । तभी प्राकृतिक आपदाएँ आ जाती है । जैसे कि बाढ, सुनामी, भूस्खलन आदि आदि आपदाएँ आ जाती है। उस जगह को काफी नुकसान होता करते है।
नदियों में बाढ़ आने से सिर्फ मनुष्य का ही नहीं बल्कि पशु-पंक्षी, बाकि पानी वाले जानवर को भी बहुत नुकसान होता है। बाढ़ के कारण मनुष्य और अन्य प्राणियों का जीवन बादल जाता है। नदियों में बाढ़ के कारण नदी के नजदीक रहने वाले लोगो का घर बर्बाद हो जाता है, उन्हें अपने निवास बदलना पड़ता है।
नदियों के कारण सबसे पड़ी हानि के रूप में केदारनाथ में होने वाले हादसे को ले सकते है, जिसमे हजारो लोगो की जान चली गई थी। कई लोग की जिंदगी सड़क पर आ गई थी।
यह सही बात है, कि प्राकृतिक असंतुलन से नदियों कभी कबार बहुत नुकसान कर देती है, लेकिन फिर भी नदियाँ सभी के लिए जीवन दयानी है। मानव को अपने द्वारा करने वाले प्राकृतिक प्रदुषण को कम करना चाहिए, और नदियों की महत्वता को समझना चाहिए और नुकसान पहुचाना कम करना चाहिए।
दुनियाँ की बड़ी नदियाँ
दुनिया की सभी नदिया आपस में मिलती है, चाहे बड़ी हो या छोटी। सभी नदियों का पानी समुन्द्र में जाकर मिलता है। दुनिया में बहुत सारी नदियाँ है, जिसको गिन पाना असंभव है। दुनिया में नील नदी को सबसे बड़ी नदी घोषित किया गया है।
यह पूर्वी अफ्रीका से उत्तर ओर इसके बाद मेडीटोरियान तक ६६५० किलोमीटर के दायरे में फैली हुई है। इसके आलावा डेन्यूब, मेकांग, जाँबेजी, वोल्गा, मिसीसिपी, गंगा, सेपिक आदि अन्य बड़ी नदियो में समावेश है।
निष्कर्ष
नदी से हमें जल प्राप्त होता है, जल हमारे जीवन के लिए अत्यंत जरुरी है । नदी से हमारी प्राकृतिक की सौन्दर्य बढती है। नदी के किनारे लोग सुबह, शाम ठंडी – ठंडी हवा बहती है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत जरुरी है।
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