शहरीकरण के कारण प्रदूषण पर निबंध । Essay on Pollution due to Urbanization

देखा जाये तो सरकार द्वारा शहरीकरण करना एक ख्वाहिस है । देश का विकास करने के लिए गावों को शहरीकरण करना आवश्यक हो गया है । हालाँकि शहरीकरण करने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरुरत होती है । जिस भी क्षेत्र में हो रहा होता है उसके आर्थिक विकास को बढ़ावा देना होता है । जैसे की शहरीकरण करने से लोगो को स्कूल, कॉलेज, व्यावसायिक शिक्षण केंद्र के खुलने से उनकी कई समस्याओं का हल हो जाता है ।

सरकार के द्वारा इस कार्य को कराये जाने का मुख्य फोकस वहा के रह रहे लोगो के लिए रोजगार व सुविधा पैदा करना होता है । जिससे उनको ज्यादे दिक्कतों का सामना न करना पड़े । ऐसा कई बार देखा जाता है की वहा के नगर निगम के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो में पहले दुकान को स्थापित करता है । फिर ऐसे ही बुनियादी ढाचे का निर्माण करके उसको शहरीकरण किया जाता है । ऐसे ही कई इंडस्ट्रीज, कंपनिया धीरे – धीरे अपना कार्य का विकसित करके उस क्षेत्र को विकास और शहरीकरण का निर्माण करता है ।

शहरीकरण करने से प्रदुषण का भी फैलाव होता है । प्रदुषण एक ऐसी समस्या है जो दिन प्रतिदिन बिकराल रूप धारण करते जा रही है । हमारे आने वाले कुछ दशको में प्रदुषण का विस्फोट देखने को मिलेगा । प्रदूषण कई तरह से फैलता है जैसे की धुएं की वजह से वायु प्रदूषण, शहरी शोर सराबो की वजह से ध्वनि प्रदुषण, नदी नाले में कचरा फकेने की वजह से जल प्रदूषण और जमीन पर कूड़ा करकट डालने की वजह से मृदा प्रदूषण का फैलाव होता है ।

शहरीकरण प्रदुषण के मुख्य कारण

अगर देखा जाये तो प्रदुषण मुख्य कारण शहरीकरण से भी है । दुनिया में जो भी प्रदुषण फैलता है वो सब शहरी विकास के वजह से ही होता है । जैसे की शहरो में बड़ी – बड़ी फैक्ट्रियां, कम्पनियां और खदानों का निर्माण होता है लोगो के सुविधा तो होती है । लेकिन उनसे निकलने वाले धुएं से वहा का वातावरण प्रदूषित होता है ।

वहा के सेप्टिक टैंक की वजह से जो कारखानों की वजह से आस पास के नदी, नालो में पानी बहता है । जिससे वहाँ के जल और मिटटी भी प्रदूषित हो जाती है जो पानी रहने वाले जलीय जीवो को काफी नुकसान पहुँचता है उसके साथ ही मनुष्य को भी हानि पहुँचता है । शहरो में चलने वाले मशीनरी कारखानों और रोड पर चलने वाले गाडियों के शोर के वजह से ध्वनि प्रदूषण में बढ़ोतरी होता है ।

शहरीकरण और औद्यौगिकीकरण के कारण वातावरण का प्रभाव

आजकल पहले जैसे दिन देखने को नही मिलते है जैसा की पहले हुआ करते थे । पहले के वातावरण स्वच्छ और साफ रहता था और खुले आसमान के नीचे बच्चे खेला करते थे और खुले आसमान में पंक्षी उड़ा करते थे । अब ऐसा दिन देखने के कहा मिलता है । इस सब की वजह पेड़ – पौधों को काट कर शहरीकरण करने से हो रहा है क्योकि शहरीकरण के वजह से पेड़ पेड़ पौधे और पशु पंक्षी भी प्रदुषण के वजह प्रभावित हो रहा है ।

अगर हम अपने भारत देश को देखे तो वो एक कृषि प्रधान देश था । जिससे हमारी संस्कृति गावों में ही बसती है । परन्तु इस समय गावों को संख्या धीरे – धीरे कम होते जा रहे है क्योकि गावों का शहरीकरण करने से वहा पर कारखानों, चीनी मील और इंडस्ट्रीज खुलने की वजह से प्रदूषण की मात्रा बढ़ गया है ।

एक तरह से देखा जाये तो इंसानों का लालच कहे या उसकी जरूरते दिन प्रतिदिन बढती जा रही है । और उन सभी जरुरतो को पूरा करने के लिए कई सारे विकास तो किया परन्तु हम लोग पृथ्वी का भी शोषण किये जा रहे है । जिससे पृथ्वी की खूबसूरती जो उसकी हरियाली होती है दिन प्रतिदिन कम होते जा रही है ।

सबसे ज्यादा प्रभावित नदी (जल प्रदुषण)

शहरीकरण से देखा जाये तो सबसे ज्यादा प्रभावित नदियाँ हो रही है । जिसका मुख्य वजह है नदियों के किनारे बसे शहरो से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ नालो के द्वारा पूरा पानी को प्रभावित करता है । जिससे लोगो के बीच सिचाई, पीने योग्य पानी, औद्योगिक उपयोग, बिजली आदि की समस्या बढती जा रही है ।

शहरीकरण और प्रदूषण

हमारे आसा पास के वातावरण दिन प्रतिदिन जहरीले होते जा रहे है । इससे लोगो का जीना दुसवार होते जा रहा है । लोग प्रदूषण की वजह से घर में कैद हो जा रहे है । एक तरह से देखा जाये तो शहरो के लोगो के हालात बद से बदतर होते जा रहे है प्रदूषण का स्तर अब ख़तरनाक हो गया है ।

कुछ रासायनिक गैस जो वातवरण में जाकर हवा और पानी को जहरीले बनाने का काम कर रहे है । जो वातावरण को पूरी तरह से दूषित कर दिया है । शहरो में देखा जाये तो हरियाली बहुत ही कम मात्रा में देखने को मिलता है । जो एक चिंता का विषय बना हुआ है । लोगो को चाहिए की शहरो के विकास के साथ – साथ प्रकृति का भी विकास किया जाये तब जाकर पृथ्वी का संतुलन बना रहेगा ।

शहर के फैक्ट्रियो से निकलने वाले रासायनिक पदार्थ जैसे पोटैशियम, सल्फर का प्रभाव भूमि के उपजाऊ मिटटी पर नकरात्मक प्रभाव डालता है ।

शहरो में वाहनों का प्रभाव

अगर शहरीकरण के वजह से बढ़ रहे प्रदुषण की समस्या को मान रहे तो उसमे एक रोल वाहनों के दुस्प्रभाव को भी कहा जा सकता है । क्योकि शहरो के क्षेत्र में वाहनों की आबादी बहुत ज्यादे होती है जिससे इन वाहनों से निकलने वाला धुआं वहाँ के वातावरण को प्रभावित करता है । इससे कई तरह की श्वास सम्बन्धित खतरनाक बीमारियाँ होती है । इससे होने वाली जानलेवा बीमारी कैंसर, अस्थमा आदि तरह की होती है ।

एक तरह से देखा जाये तो वाहनों के हार्न और मंदिरों, मस्जिदों, डी. जे जैसे लाउडस्पीकरो की वजह ध्वनि प्रदुषण में बढ़ोतरी हो रही है । इसके परिणाम स्वरुप लोगो की आयु कम होती जा रही है, आजकल के लोग किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त से जूझ रहे है । अगर ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में प्रदुषण के साथ – साथ बीमरियों में भी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी ।

निष्कर्ष

दोस्तों प्रदुषण हमारे स्वास्थ के लिए कितना हानिकारक है, ये सब सभी को पता होना चाहिए तभी हम सब मिलकर इसका समाधान निकल सकते है । ये सबके लिए एक चिंता का विषय है, इसके बारे में सोच समझकर कोई फैसला लेना होगा तभी हमारे आगे का जीवन को सुलभ बना सकते है । हम चाहिए की पेड़ पौधों को ज्यादा से ज्यादा लगाया जाये और वनों को सुरक्षित किया जाय ।

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