आज के समय में पृथ्वी के वायुमंडल का सबसे बड़ी चिंता ग्लोबल वार्मिंग का तेजी से बढ़ना है जिसे विश्व के बड़ी आबादी बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं, और इसी कारणवश विज्ञान हर संभव इसका हल निकालने में जुटी हुई है।
वास्तविकता का सामना करते हुए, पृथ्वी के सतह पर लगातार और तापमान में वॄद्धि देखने को मिली है, जो एक ग्लोबल वार्मिंग की ही मुख्य प्रक्रिया में शामिल है।
ग्लोबल वार्मिंग का ख़तरा
यह विज्ञान के द्वारा ये सिद्ध है कि आने वाले 50 या 100 वर्षों में पृथ्वी का तापमान बहुत ही ऊंचे स्तर तक बढ़ जाएगा I जो पृथ्वी पर रहने सभी जीव जन्तुओ के लिए की एक बहुत बडी बाधा उत्पन्न हुई है I इस खूबसूरत धरती के तापमान में वॄद्धि का मुख्य कारण वायु में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड में तेजी से हो रही बढ़ोतरी है।
हमारी सबसे प्यारी धरती पर वृक्षों में कमी होती जा रही है I जिसका मुख्य वजह कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में बढ़ोतरी हो रही है, जिसका कारण है लोग कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग बहुत कर रहे हैं। पृथ्वी के तापमान में अधिक वृद्धि की वजह से कई मुश्किलें उत्पन्न होती हैं।
ग्लोबल वार्मिंग इस वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड गैस के बढ़ने की वजह से धरती पृथ्वी की सतह में बहुत बढ़ जाती है। ग्लोबल वार्मिंग विश्व का आज बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है जिसे सभी लोग सकारात्मक तरीके से निपटना चाहते हैं।
इसके बाद धरती के तापमान में बढ़ोतरी कई रंग से नुकसान देखने को मिलते हैं और इसके अलावा, इस ग्रह पर मानव के अस्तित्व में खतरा है। यह पृथ्वी की जलवायु में मौजूद क्रमिक व स्थायी बदलावों में वॄद्धि फिर इस तरह है प्रकृति के संतुलन पे बहुत प्रभाव देता है।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव
ग्रीनहाउस हाउस गैस जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन जैसे गैस धरती पर तेजी से फैलते ग्लोबल वार्मिंग का बहुत बड़ा कारण हैं। इसका सबसे बड़ा असर समुद्री स्तर में वृद्धि लाता है। बर्फ की पहाड़े जो पिघलती है, ख़राब जलवायु में बुरा प्रभाव पड़ता है, यह जीवन पर बढ़ रहे लोगों के मरने के संकट का प्रतिनिधित्व करता है।
आकड़ों की देखें तो समझेंगे की लोगों के जीवन की महत्व की वजह से बीसवीं शताब्दी के दौरान जलवायु में बहुत ज़्यादा बढ़ोत्तरी हुई है अतः विश्व के ग्रीन हाउस गैस में भी वृद्धि देखने को मिली है।
पुराने दौर के कुछ वर्ष जैसे 1983, 1984, आदि सबसे गर्म साल साबित हुए हैं, यह आंकलन किया गया है।
इसने ग्लोबल वार्मिंग में बहुत ख़राब प्रभाव दिखा है जैसे प्रकृति के विपदाओं का विनाशकारी रूप सामने आया जैसे- बाढ़, समुद्री तूफान, पानी की कमी भूस्खलन, भोजन में सुखा, बर्फ कम होना, अधिक संख्या में मृत्य स्तर आदि ।
ग्लोबल वार्मिंग के कारक
ग्लोबल वार्मिंग के होने की सबसे मुख्य वजह ओजोन की परतों में कमी है जिससे ये साबित होता है अंटार्कटिका में मौजूद सबसे ऊपरी के ओजोन परत में छेद है। ओजोन के परत में क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस के मौजूद होने से ओजोन परत में प्रत्येक दिन कमी आ रही है।
यही गैस ग्लोबल वार्मिंग के अस्तित्व का बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है। क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस की इस्तेमाल औद्योगिक पदार्थ व फ्रिज में एयरोसोल प्रणोदक के जैसे कई जगहों पर करते हैं, जिसके क्रमिक मौजूदगी से वातावरण में ओजोन परत की भारी कमी की वजह होती है।
ग्लोबल वार्मिंग से होने वाले नुकसान
ग्लोबल वार्मिंग से बहुत सारे नुकसान देखने को मिलता है –
वायु पर प्रभाव
पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिनिंग के कारण हवा में प्रदुषण तेजी फ़ैल रहा है l क्योकि पृथ्वी का तापमान में बढोत्तरी ओजोन गैस के कारण वायुमंडल में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है l जिससे दमा, फेफड़ो से सम्बधित कई तरह की गंभीर बीमारियाँ होती है l
जल पर प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते स्तर की वजह से बड़े – बड़े ग्लेशियर पिघल रहे है l एक तरह से कहे तो बढ़ते तामपान की वजह से सारा बर्फीले चट्टान धीरे – धीरे गल रहे है, जो एक दिन महासागर बन कर तबाही मचा देगा l सारे जीव-जन्तुओ के लिए एक चिंता का कारण है l इसके चलते ये हिम पिघल कर और हवा में मौजूद CFC गैस से मिलकर अम्लीय होकर बारिश के रूप में धरती पर देखने को मिलता है l
इससे भी स्किन से सम्बन्धित कई तरह की बीमारियाँ होती है l जो अब इसमे बढ़ोतरी देखने को मिलता है l
धरती (भूमि) पर प्रभाव
वार्मिंग के चलते धरती पर भी कई तरह के नुकसान देखने को मिल रहा है l धरती का तामपान बढ़ने की वजह से कई जगह सुखा तो कई जगह बारिश के वजह से बाढ़ जैसे हालत बने रहते है l सुखा और बाढ़ की वजह से ज्यादा नुकसान और परेशानी का सामना धरती पर रह रहे जंगली जानवर और कृषि क्षेत्र में पड़ता है l
बारिश के समय में बदलाव
अगर हम कुछ समय में बरसात के समय को देखे तो उसमे काफी बदलाव आया है l अब तो बारिश सर्दियों के मौसम में देखें को मिलती है l आंधी, तूफान, चक्रवात, सुनामी और भी कई तरह के बारिशो के रूप में देखने को मिलता है l इससे लोगो के जिन्दगी में कई तरह के बाधा उत्पन्न होती है l
गर्म लू का बढ़ता प्रभाव
अक्सर ग्रीष्मकालीन के समय बहुत लू देखने को मिलता है l लू बढती धरती के गर्मी के वजह से बनता है जैसे पृथ्वी का तापमान बढ़ता है और वायुमंडल उस जगह का पूरी तरह गर्म हो जाता तो येही गर्म हवा चक्र के उपर उठती है l
समुद्र और महासागर के बढ़ते स्तर का प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग के वजह से बड़े – बड़े बर्फ के गलेशियर धीरे – धीरे पानी में पिघल रहे है, जिससे समुद्र का पानी लगातार बढ़ते जा रहा है l जिससे तटीय क्षेत्र में रह रहे लोगो के लिए काफी परेशानी सबब बन रहा है l समुद्र का पानी ग्लोबल वार्मिंग के वजह से पानी खारा और अम्लीय होता जा रहा है l जो जीवन में एक बड़ा परेशानी कारण बन कर उभर रहा है l
स्वास्थ समस्याओ पर प्रभाव
इस ओजोन स्तर के बढ़ने के वजह से लोगो के बीच कई स्वास्थ संबधित बीमारियाँ देखने को मिली है l जैसे की हवा फ़ैल रहे प्रदुषण की वजह से श्वास से संबन्धित बीमारियाँ उत्पन्न हो रही है l ऐसे ही जल और पृथ्वी पर बढ़ते तापमान, बाढ़ भी स्वास्थ को हानि पहुँचा रहे है l
निष्कर्ष
हमें वनों के सुरक्षा को बढ़ाना होगा और वृक्षारोपण करना होगा l ओजोन की परत जब धरती से टकराती है तो इसकी आने वाली नुकसान देने वाली सूरज की रोशनी को रोककर धरती की सतह को सुरक्षित करती है।
वैसे, धीरे-धीरे ओजोन परत जब कम होने लगती है तब पृथ्वी की सतह में तेजी से वॄद्धि होते ग्लोबल वार्मिंग का ख़तरनाक संकेत माना जाता है।
Pingback: प्रदूषण पर निबंध हिंदी में l Essay On Pollution In Hindi - HindiEnglishessay