मकर संक्रांति हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है । ये हर साल जनवरी महीने के 14 या 15 तारीख को मनाया जाता है । ये भारत देश में इस त्यौहार के दिन अलग – अलग नाम और रीती रिवाजो के द्वारा धूम धाम से मनाया जाता है।
लोग इस त्यौहार के दिन खिचड़ी और तिल गुड के लड्डू के साथ मनाते और खाते है। मकर संक्रांति के दिन लोग बड़ी उत्साह के साथ बच्चे और बड़े पतंग भी उड़ाते है।ये त्यौहार हमेशा ठंडी (सर्दी) के मौसम में आता है, इसलिए लोग गरम कपडे पहन कर हल्की धुप में इस दिन का आनंद लेते है।
ये हर साल की तरह ही जब सूर्य उतरायन होते हुए मकर रेखा से गुजरता है तो उसी तारीख 14 जनवरी के दिन मनाते है। इस त्यौहार का एक विशेष बात ये होती है की इसका सम्बंध भूगोल और सूर्य की दशा (स्थिति) है।
मकर संक्रांति मनाने के विधि
भारत देश में अलग – अलग राज्य में मकर संक्रांति के त्यौहार को अलग – अलग तरीके से मनाया जाता है। जैसे गुजरात, आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे संक्रांति के रूप लोग मनाते है । वही इसे तमिलनाडु (चेन्नई) में इसे पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है।
पंजाब ओर हरियाणा में इसे लोहड़ी पर्व के रूप मनाया जाता है । और असम में बिहू के रूप में मनाया जाता है। लोग इस त्योहारों को अपने – अपने तरीके से पुरे हर्षोल्लास के साथ पुरे देश मनाते है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनना सबसे महत्वपूर्ण व्यंजन माना जाता है, और तिलगुड जैसे कई तरह के लड्डू बनाते है । ये सब एक प्रथा के रूप मनाई जाती है।
संक्रांति के त्यौहार को स्नान और दान का पर्व कहा जाता है क्योकि इस त्यौहार के दिन लोग सुबह उठ कर सबसे पहले स्नान करना सबसे जरुरी माना जाता है। और स्नान करके दान करने के लिए कुछ तिलगुड और चावल थाली में छू कर किनारे रखा देते है फिर जब कोई भिछुक या भिखारी आता है उसे दान में दे देते है।
इस त्यौहार के दिन लोग कई तरह के आयोजन किया जाता है, खासकर गुजरात राज्य में लोग बड़ी संख्या में पतंग उड़ाते है और पतंगों का आयोजन करते है । पतंग उड़ना भी एक विशेष महत्व माना जाता है।
पतंग कई तरह के कई प्रकार से होते है लोग अपनी – अपनी पसंद के अनुसार पतंगो लेकर खुले मैदान में या घर छतों पर जाकर ख़ुशीयो के साथ आपस में मिलजुल कर उड़ाते है । मकर संक्रांति के दिन लोग जाकर नदियों में स्नान करते है । फिर उसके बाद पुजा पाठ किया करते है।
मकर संक्रांति का महत्व –
मकर संक्रांति का भारत में बहुत ही बड़ा महत्व दिया जाता है । कहा जाता है की जैसे ही सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा से गुजरता है तो उस दिन को मकर संक्रांति का दिन होता है । और तब से रात छोटी होने लगती है और दिन बड़ा होने लगता है।
संक्रांति के दिन गंगा में नहा लेने से सारे पाप धुल जाते है ऐसा लोगो की आस्था है, जिससे हमारी अंतर आत्मा शुद्ध और पवित्र हो जाती है, और मन को शांति मिलती है । उस दिन दान पुण्य करने से लोगो की बाधाये दूर हो जाती है।
शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को देवताओ की रात्रि अर्थात नकारात्मक का प्रतीक होता हो और उत्तरायण को देवताओ का दिन अर्थात सकारात्मक का प्रतीक माना गया है।
इसी कारण इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापो का विशेष महत्व होता है। ऐसा कहा गया है की इस शुभअवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढकर दुबारा प्राप्त होती है। मकर संक्रांति के दिन गंगास्नान और गंगाघाट पर दान को अत्यंत शुभ माना जाता है।
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