प्रदूषण के प्रकोप पर निबंध । Hindi Essay on the Wrath of Pollution

प्रदूषण की समस्या एक विश्वव्यापी स्तर पर बना हुआ है । इस प्रदूषण के प्रकोप से पूरी दुनिया में सभी नगर त्रस्त है । प्रदूषण का प्रकोप पूरी दुनिया में इस तरह से फ़ैल रहा है की कई तरह की बीमारियाँ से लोग ग्रसित होते जा रहे है।

प्रदूषण की वजह से पर्यावरण का संतुलन दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहा है । आजकल नगर के विकास के उपयोग में लाये जाने वाले सभी वस्तु प्रदूषण का कारण बन रहे है । सही में बात कि जाये तो मानव द्वारा औधोगिक विकास के चलते कार्यरत वैज्ञानिकों द्वारा किया गया सभी कार्य प्रदूषण में बढ़ोतरी कर रहे है।

सबसे ज्यादा प्रदूषण का प्रकोप ग्रामीण क्षेत्रों में नगरों के विकास होने की वजह से हो रहा है । जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों की जनसंख्या शहरों की ओर पलायन करते जा रही है ।  इस विकास की वजह से कई ग्रामीण क्षेत्र महानगर बन गये।

लोगो को विकास की वजह से अनेक लाभ तो हो रहा है लेकिन उसके साथ कई समस्या भी उत्पन्न होती जा रही है । कैंसर जैसे गंभीर बीमारियाँ के साथ अन्य जानलेवा बीमारियाँ भी पैदा होता जा रही है।

बढती जनसंख्या प्रदूषण का कारण

वर्तमान में भारत देश जनसंख्या की बात करें तो इस समय सबसे टाप पर है । हाल ही में हमने चाइना को जनसंख्या के मामले में पीछे छोड़ नंबर 1 बन गये है । हालाँकि हमारा भारत देश सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश भी है।

हमारे देश में बढ़ते नगर, महानगर व बढती जनसंख्या एक गंभीर समस्या पैदा करते जा रहे है । और यही समस्या आगे चलकर प्रदूषण की समस्या बनकर पैदा हो रही है । बढती जनसंख्या का दबाव उसके सीधा वायुमंडल पर प्रभाव डालता है।

जिसके कारण वायुमंडल की गति पर असर देखा जाता है और धरती पर जगह कम पड़ती दिखाई दे रही है । और इसी कम पड़ती जगह को पूरा करने के लोग वनों व जंगलों की कटाई करते जा रहे है।

वहाँ पर रहने के लिए मनुष्य घर व कल कारखाना का निर्माण करते जा रहा है । जिसके कारण निकालने वाला कचरा व विषैले धुआं की वजह से प्रदूषण का प्रकोप बढ़ते जा रहा है।

महानगरो की वजह से प्रदुषण

वायुमंडल में प्रदूषण कई तरह से फैलता है जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि सब अलग – अलग तरीके से वातावरण को प्रदूषित करते है । महानगरों में लगे कल कारखाने, औधोगिक फैक्टरियां, व कंपनियों से निकालने वाले गंदे पानी तथा विषैले गैस की धुवा की वजह से वहाँ के पूरे वातावरण को प्रदूषित कर देता है ।

महानगरों में जितनी सुविधा मिलती है उतना ही वहाँ बीमारियाँ भी फैलती है । छोटे – छोटे बच्चे भी गंभीर रोग से ग्रसित हो जाते है जैसे गाडियों से निकलने वजह धुआं लोगों के अंदर दमा, खांसी, टी. बी., फेफड़े व हृदय के रोग से संक्रमित कर देता है।

अधिकतर महानगरों में पानी की समस्या को लेकर हमेशा किल्लत बनी रहती है । वहाँ के लोगों के लिए पीने व नहाने को लेकर सब चिंतित रहते है । मुंबई जैसे महानगरों में लोगों को पानी को लेकर बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

प्रदूषण पर रोकथाम

हमें प्रदूषण को रोकना अतिआवश्यक हो गया है क्योंकि प्रदूषण की वजह से लोगों का जीवन जीना दुर्लभ हो गया है । इसके साथ में हमें बढती जनसंख्या पर भी रोक लगाना आवश्यक हो गया है । ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकास हो ताकि गाव के लोगों को पलायन न करे।

  • लेकिन जो भी विकास हो उसे पर्यावरण को ध्यान में रख कर किया जाये ताकि लोगों को किसी तरह का नुकसान भी न हो और रोजगार भी मिले सके।
  • जो भी औद्योगिक इकाइयों वाली कंपनियां हो उसे शहरों से दूर स्थापित किया जाये क्योंकि उससे निकलने वाले सारे अपशिष्ट पदार्थ नदियों तक न पहुँच सके।
  • जो अनुकृतियाँ वाले कार्य हो उसे बंद कर दिया जाये और इसके विरुद्ध कार्य करने वाली चीजो पर सख्त कार्यवाही की जाये।
  • सभी नगरों व शहरों में ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण किया जाये और साथ ही में हरे – भरे वनों व जंगलों के पेड़ पौधों के कटाई पर रोक लगाया जाये।

निष्कर्ष

हमें अधिक से अधिक पेड़ -पौधे लगाना चाहिए ताकि हम अपने आस – पास प्रदूषण को बढ़ने से रोक सके । अपने घरों के आस – पास हमेशा साफ सफाई रखना चाहिए और किसी भी तरह का गन्दगी नहीं फैलने देने चाहिए।

हमेशा हमें पर्यावरण रहित वस्तुओं का ही इस्तेमाल करना चाहिए ताकि हम प्रदूषण से होने वाली बीमारियों से बचा जा सके।

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