शिक्षा और परीक्षा पर निबंध। Shiksha aur Pareeksha par Nibandh

दोस्तों, आज शिक्षा की बात की जाये तो वर्तमान समय में शिक्षा से सीखकर जीवन के एक उद्देश्यपूर्ण मार्ग प्रदर्शित करने का एक माध्यम है । वास्तव में देखा जाये तो शिक्षा हर दृष्टि से सभी के लिए महत्वपूर्ण है । एक शिक्षा व्यक्ति को उसके बुद्धि व गुणों तथा कार्य क्षमता को विकास करने के लिए उचित आयाम को प्रदान करता है।

शिक्षा के द्वारा प्राप्त किये विद्या व उसके अंदर छिपे गुणों का अवलोकन करने के लिए लोगों का परीक्षा लिया जाता है । क्योंकि शिक्षा को केवल किताबी पढ़ाई पर आधारित नहीं है, इसके लिए परीक्षा भी उसके साथ जोड़ा जाता है।

शिक्षा के द्वारा कई तरह के प्रशिक्षण लोगों को दिया जाता है फिर उसके बाद उसकी परीक्षा ली जाती है की वह उसमें कितना विद्या को अच्छे प्राप्त कर पाया है।

प्राचीन काल के समय में भी लोगों को धनुर्विद्या व युद्ध-विद्या की शिक्षा दी जाती थी और फिर उस कौशल विद्या की परीक्षा ली जाती थी । उसके आधार पर शिक्षा प्राप्त किये शिक्षार्थियों को सफल तथा असफल घोषित किये जाते है । जो ये शिक्षा और परीक्षा दोनों एक दूसरे के वास्तविक शीर्षक है।

भूमिका

आज के समय में शिक्षा मानव जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है । लेकिन सभी को शिक्षा के साथ परीक्षा अनिवार्य हो चूका है । इस वर्तमान समय में लोगों की प्रतिभा उनके परीक्षा लेने के बाद ही साबित की जाती है।

लोगों के द्वारा केवल पुस्तक पढ़कर और परीक्षा देकर परीक्षा पास कर लेना ही नहीं होता है । अगर हम शिक्षा को वास्तविकता से देखे तो शिक्षक द्वारा शिक्षा प्राप्त कर केवल पास कर लेना ही काफी नहीं होता है । क्योंकि वास्तव में शिक्षा का अर्थ होता है की एक व्यक्ति को विद्या प्राप्त कर इस योग्य बनना है की वह एक विकासशील बन सके।

एक शिक्षा प्राप्त व्यक्ति को अच्छे-बुरे, उचित-अनुचित तथा अपने साथ राष्ट्र हित व मानवीय हानि–लाभ का सम्पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हो सके । सब मिलाकर एक ही महत्वपूर्ण बात है की मनुष्य के अंदर की विवेक को जागृति करने के साथ उनके अपने कार्य शक्तियों का बोध कराकर इस योग्य बनाना की वो अपना जीवन सफलतापूर्वक बिता सके।

एक व्यक्ति अपने राष्ट्र के साथ मानवता के लिए भी कल्याणकारी हो सके। जहाँ तक परीक्षा को देखा जाये तो बस स्कूल व कालेजों के साथ सरकारी नौकरी तक ही सीमित रह चूका है । वैसे देखा जाये हर शिक्षा के साथ परीक्षा का कोई खास महत्व नहीं है।

शिक्षा प्रणाली का दोष

आज के समय में शिक्षा प्रणाली के परीक्षा में अनेक दोष देखने को मिलता है । सबसे बड़ी समस्या ये हो गयी है की जो भी विद्यार्थी रोजाना विद्यालय न जाकर केवल प्रवेश होने के बाद वो कभी-कभी जाते है, बाकी समय मस्ती में व्यतीत करते है ।

फिर जब परीक्षा का समय आता है तो कैसे भी नकल करके पास हो जाते है । जो उनके भविष्य के लिए हानिकारक होता है। मुख्य बात यह है की वो परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्नों को उत्तर को रटे रटाये शब्दों का ही इस्तेमाल करते है ।

वह किसी भी विषय को अच्छे से समझने के लिए कोशिश ही नहीं करते है । हमेशा शॉर्टकट रास्ता ही अपनाते है । इससे उनको वास्तविक जानकारी प्राप्त नहीं हो पाती है । जो उन्हें आगे की जानकारी का ज्ञान नहीं हो पाता है ।

परीक्षा का सही मापदंड

विद्यार्थी को केवल अच्छे अंक से पास होना एक तरह का संयोग माना जाता रहा है । बहुत बार ऐसा भी देखा गया है की जो बच्चे पढ़ने में अच्छे होते है तो भी अच्छे अंक प्राप्त नहीं करते है या परीक्षा में असफल हो जाते है । जो विद्यार्थी हमेशा पढ़ने व लिखने में कमजोर होते है उन्हें अच्छे अंक से पास होते हुए देखा जाता है।

ऐसे में परीक्षा में पास हुए विद्यार्थियों क भविष्य कैसा होगा कुछ कहा नहीं जा सकता है । इसी कारणवश आज भी शिक्षित लोग बेरोजगारी के भीड़ देखे जाते है । इसका मुख्य करना सिस्टम में भ्रष्टाचार है । जिसको अच्छे शिक्षा के द्वारा ही समाप्त किया जा सकता है।

उपाय

शिक्षा में हो रही त्रुटियों से बचने के लिए एक उपाय यह है की शिक्षा प्रणाली को शिक्षा और परीक्षा को व्यवहारिक बनाया जाये । लेकिन परीक्षा की सफलता को लेकर मापदंड बदला जाना चाहिए । शिक्षा में ही रहे भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने पर जोर देना चाहिए।

शिक्षा सिस्टम को परिवाद और सिफारिश वाद को बिलकुल हटा देना चाहिए । इसके साथ राजनीति से उठा रहे शिक्षा के लाभ जड़ से बंद कर देना चाहिए । जिससे एक अच्छे विद्यार्थी को आगे बढ़ने का मौका मिलना चाहिए।

लोगों द्वारा शिक्षा व परीक्षा को उनके व्यवहार, धारणा तथा उसकी मानसिक शक्ति के आधार पर सफलता तथा असफलता का मापदंड बनाना चाहिए । इस वर्तमान समय में राष्ट्र के हित में ध्यान रखते हुए शिक्षा प्रणाली में सुधार करना चाहिए।

निष्कर्ष

शिक्षा हर व्यक्ति को एक सभ्य व ईमानदार बनाने में मदद कर सकता है । परन्तु परीक्षा के आधार पर किसी को भी निर्णायक नहीं साबित किया जा सकता है । क्योंकि परीक्षा में आजकल ईमानदारी देखने को कहा मिलता है ।

वर्तमान समय में लोग घूसखोरी तथा नकल के दम पर परीक्षा पास कर ले रहे है । इसलिए इस बदला जाना चाहिए।

उस वस्तु पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए जो देश के हित में तथा मानव कल्याणकारी को बढ़ावा मिले । इससे हमारे देश में योग्यता बढ़ेगी व देश के विकास के लिए सबसे उपयोगी होगा।

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