बेरोजगारी पर निबंध हिंदी में। Essay On Unemployment in Hindi, berojgari par nibandh

बेरोजगारी पर निबंध

बेरोजगारी का मतलब है जब कोई व्यक्ति नौकरी ढूंढने में सफल नहीं होता। यह समस्या हर जगह है, न केवल भारत में। बहुत से लोग हैं जो नौकरी नहीं पा रहे हैं। यह समस्या भारत में और भी गंभीर होती जा रही है क्योंकि जनसंख्या बढ़ रही है और नौकरियों की मांग भी बढ़ रही है। अगर हम इस समस्या को ध्यान में नहीं रखेंगे तो देश को नुकसान हो सकता है। इसलिए हमें मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढना चाहिए।

बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है मनुष्य के जीवन में, ये पुरे विश्व स्तर की बात कर ले बेरोजगारी एक समस्या बनी हुई है। बेरोजगारी की समस्या लोगो को उनके मौत की ओर लेकर जाती है।

कुछ लोग बेरोजगार के वजह से अपनी बढती दरिद्रता और गरीबी को सहन नही कर पाते है और अंतिम क्षण में मौत को गले लगाना ही सही समझते है।

इसलिए बेरोजगार के गंभीर समस्या बनी हुई है। भारत देश में सबसे ज्यादा लोग बेरोजगारी से जूझ रहे है । इस समय भारत में लगभग 27% लोग बेरोजगार है लॉकडाउन की वजह से 2020-21 की आकडे के अनुसार।

बेरोजगारी क्या है?

बेरोजगारी से तात्पर्य वह स्थिति होती है जब कुशल और प्रतिभाशाली लोग नौकरी ढूंढना चाहते हैं लेकिन उन्हें सटीक या उचित तरीके से नौकरी नहीं मिलती। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे कि अधिक लोगों की मौजूदगी, अर्थव्यवस्था में बदलाव, या नौकरी की कमी। ऐसे माहौल में, कुशल लोग भी अच्छी नौकरी प्राप्त करने में संकोच कर सकते हैं।

बेरोजगारी के प्रकार

यह एक बहुत व्यापक मुद्दा है और इसमें कई प्रकार हो सकते हैं। यह सिर्फ नौकरी नहीं पाने की स्थिति ही नहीं है।

  • प्रच्छन्न बेरोजगारी: यह व्यक्ति की क्षमताओं और प्रशिक्षण के मुताबिक अनुकूल नौकरी न मिलने की स्थिति होती है।
  • मौसमी बेरोजगारी: कुछ क्षेत्रों में काम विशेष मौसमों या मौसम की आवश्यकताओं के हिसाब से होता है, जिसके कारण कुछ समय के लिए लोगों को नौकरी नहीं मिलती।
  • खुली बेरोजगारी: यह उस स्थिति को कहता है जब लोग चाहते हैं कि वे काम करें लेकिन कोई सामाजिक या अन्य प्रतिबंधों के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिलती।
  • तकनीकी बेरोजगारी: यह तब होती है जब व्यक्ति की तकनीकी या प्रौद्योगिकी क्षमताओं के अनुरूप नौकरी नहीं मिलती।
  • संरचनात्मक बेरोजगारी: कुछ समय तक कोई व्यक्ति खुद का व्यवसाय शुरू करने की कोशिश करता है, लेकिन वह सफल नहीं हो पाता है।

इनके अलावा, कई अन्य प्रकार की बेरोजगारी होती है जैसे कि चक्रीय बेरोजगारी, शिक्षित बेरोजगारी, अल्परोजगार, घर्षणात्मक बेरोजगारी, दीर्घकालिक बेरोजगारी और आकस्मिक बेरोजगारी।

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बेरोजगारी के कारण

भारत में बहुत से लोग बेरोजगार हैं। इसमें जनसंख्या बढ़ना, कम आर्थिक विकास, अनियमित मौसम का असर, अर्थव्यवस्था में धीमी वृद्धि और छोटे उद्योगों में कम बढ़ोतरी जैसे कारण हैं।

इसके साथ ही, यहाँ कई और बड़े कारण हैं जो बेरोजगारी को बढ़ावा देते हैं। व्यापारिक तौर पर शिक्षित लोगों को भी कई बार नौकरी नहीं मिलती, जिससे वे सफाई कर्मचारी बनने को तैयार हो जाते हैं। सरकार भी इस समस्या को हल करने के लिए अच्छे से काम नहीं कर रही है।

कृषि क्षेत्र में भी बहुत सारे लोग काम करते हैं, लेकिन वहाँ रोजगार का मौका केवल फसल लगाने या काटने के समय ही मिलता है।

इसके अतिरिक्त, भारत में बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण यहाँ की बड़ी आबादी है, जो हर साल बहुत सारी नौकरियों की मांग करती है, लेकिन सरकार और अधिकारी इन्हें पूरा करने में सक्षम नहीं होते।

जनसंख्या बढ़ना और आर्थिक विकास की धीमी गति इसमें मुख्य कारक हैं। यहाँ कुछ मुख्य कारण और उनकी प्रमुखता है:

  • जनसंख्या वृद्धि: भारत में अधिक जनसंख्या के कारण नौकरियों की मांग बहुत ज्यादा होती है।
  • आर्थिक विकास में धीमी गति: कुछ क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था की विकास गति धीमी रहती है जिससे नौकरियों की निर्माण नहीं हो पाती।
  • नौकरियों की कमी: अधिकांश समय, सरकार या अन्य संस्थाएं नौकरियों की समुचित संख्या प्रदान करने में असमर्थ रहती हैं, जिससे बेरोजगारी बढ़ती है।
  • पारिवारिक असामंजस्य: बेरोजगारी एक व्यक्ति के साथ नहीं, उसके परिवार के लिए भी मुश्किलाएं लाती है। पैसे की कमी से सभी आवश्यक चीजों का अभाव होता है, जैसे खान-पान, रहने के लिए ठिकाने, और बच्चों की शिक्षा। इससे परिवार में तनाव बढ़ता है।
  • आतंकवाद का बढ़ना: बेरोजगारी आतंकवाद को बढ़ावा देती है, क्योंकि इससे लोग अपराधिक रास्ते चुनने को मजबूर हो जाते हैं। पैसा कमाने के लिए वे गलत कार्यों में प्रवृत्त होते हैं।
  • राष्ट्र का नुकसान: बेरोजगारी से देश को हानि होती है, क्योंकि यह लोगों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है और उन्हें समाज में योगदान नहीं कर पाने देती है।

बेरोजगारी के परिणाम

यदि वर्तमान स्थिति ऐसी ही रही तो बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बन सकती है। इसके अतिरिक्त, किसी भी आर्थिक प्रणाली में कई समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि गरीबी में वृद्धि, अपराध दर में वृद्धि, श्रम का शोषण, राजनीतिक अस्थिरता, मानसिक स्वास्थ्य और कौशल की कमी। आखिरकार, ये सभी चीजें राष्ट्र के पतन का कारण बन सकती हैं।

बेरोजगारी रोकने के उपाय

बेरोजगारी देश के लिए एक समस्या है जो तरक्की में रुकावट डालती है। इससे लोगों की प्रगति रोकी जाती है। इस समस्या को हल करने के लिए हमें एक संगठित और योजनाबद्ध तरीके से काम करना चाहिए।

  • जनसंख्या नियंत्रण: देश में जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए प्रयास करना चाहिए। जब रोजगार के साधन जनसंख्या से कम होते हैं, तो बेरोजगारी की समस्या से निपटना सरल होता है।
  • कृषि का विकास: देश में कृषि को आधुनिक बनाने के लिए सरकार को उन्नत तकनीक और साधनों की पहुंच प्रदान करनी चाहिए। यह लोगों को अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करेगा।
  • शिक्षा में सुधार: बेरोजगारी को कम करने के लिए शिक्षा में सुधार आवश्यक है। छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि उद्यमिता और कौशल को भी सिखाना चाहिए।
  • लघु और कुटीर उद्योगों का विकास: छोटे शहरों और गाँवों में लघु और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करना चाहिए। इससे लोगों को आसानी से रोजगार का मौका मिल सकता है। सरकार को इसमें पूंजी लगानी चाहिए।
  • औद्योगिकीकरण: नई नौकरियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार को अपने व्यापार को विश्वासयोग्यता से बढ़ावा देना चाहिए और अन्य देशों में उत्पादों का निर्यात करना चाहिए।

निवारण

सबसे पहले हमारे देश को आर्थिक स्थिति को ठीक करके उसको रफ़्तार से आगे बढ़ाना चाहिए। लोगो के लिए संसाधनों की व्यवस्था करना चाहिए । बंद कंपनी और कारखानों को खोल देना चाहिए ज्यादे से ज्यादे अपने देश में निर्माण कम्पनियो को स्थापित करना चाहिए।

  • हमारे देश में बढ़ रहे जनसंख्या पर नियंत्रण करना चाहिए । और लोगो विकसित के लिए हमारे देश में उचित शिक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए।
  • जनसंख्या न बढे उसके लिए कानून बनना चाहिए क्योकि ये के सबसे मुख्य समस्या है बेरोजगारी के लिए।
  • हमारे देश में शिक्षा प्रणाली को बेहतर ढंग से सुनियोजित करना चाहिए ताकि मध्यम और गरीब वर्ग के लोगो के बच्चो को अच्छी शिक्षा मिल सके, कॉलेज और विश्वविद्यालो को ज्यादे से ज्यादे स्थापना कर सके।
  • कृषि से सम्बंधित उधोग की बढ़ावा देनी चाहिए उनके धंधे को विकसित किया जाना चाहिए
  • बागवानी, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन और मुर्गी पालन इत्यादि ऐसे धन्धे को आगे बढ़ाना चाहिए।

सरकार द्वारा नीतियां 

सरकार ने इस को कम करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें कुछ मुख्य हैं जैसे आईआरडीपी (एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम), डीपीएपी (सूखा प्रबंधन क्षेत्र कार्यक्रम), जवाहर रोजगार योजना, रोजगार आश्वासन योजना, नरेगा (नेहरू रोजगार योजना), स्व-रोजगार के लिए प्रशिक्षण, पीएमआईयूपीईपी (प्रधानमंत्री एकीकृत शहरी गरीबी उन्मूलन) शामिल हैं। इनके अलावा, रोजगार विनिमय, रोजगार गारंटी योजना, संगठित क्षेत्र का विकास, लघु और कुटीर उद्योग, विदेश में रोजगार, जवाहर ग्राम समृद्धि योजना और कई अन्य भी हैं। सरकार ने निजी क्षेत्र में भी नियमों में लचीलापन दिया है ताकि वहां भी रोजगार की स्थिति में सुधार हो सके।

निष्कर्ष 

यह एक समाजिक समस्या है जिसमें व्यक्ति जो काम करने के लिए तैयार होता है, वह नौकरी नहीं पा सकता। यह समस्या विभिन्न कारणों से होती है, जैसे की आर्थिक मंदी, तकनीकी बदलाव, जनसंख्या वृद्धि, और शिक्षा की कमी। बेरोजगारी आर्थिक, सामाजिक, और मानसिक प्रभाव डाल सकती है और देश की प्रगति में बाधा डाल सकती है। इसे कम करने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने कई योजनाएं चलाई हैं।

FAQs

बेरोजगारी क्या है?

बेरोजगारी वह स्थिति है जब एक व्यक्ति को नौकरी की तलाश होती है और वह उपयुक्त रोजगार नहीं पा सकता है।

बेरोजगारी के प्रकार क्या होते हैं?

बेरोजगारी के विभिन्न प्रकार होते हैं जैसे- प्राचीन, छिपी, संरचनात्मक, तकनीकी, मौसमी, शिक्षित, और चक्रीय बेरोजगारी।

बेरोजगारी के क्या कारण हो सकते हैं?

बेरोजगारी के कारण जैसे आर्थिक मंदी, तकनीकी परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि, और व्यवसाय के उदारीकरण शामिल हो सकते हैं।

सरकार बेरोजगारी को कैसे कम कर रही है?

सरकार ने विभिन्न योजनाओं को शुरू किया है जैसे रोजगार योजनाएं, प्रशिक्षण कार्यक्रम, और क्षेत्रीय विकास पर ध्यान देने के लिए।

बेरोजगारी का सबसे बड़ा प्रभाव क्या होता है?

बेरोजगारी का सबसे बड़ा प्रभाव होता है समाज और अर्थव्यवस्था पर, जो विकास में रुकावट डाल सकता है।

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