विजयदशमी अथवा दशहरा पर निबंध । Essay on Dussehra in Hindi

Dussehr Essay in Hindi, दशहरा पर निबंधदशहरा भारत में हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान राम के द्वारा रावण के वध के दिन मनाया जाता है। इसे अच्छाई की जीत और बुराई पर अच्छाई के रूप में मनाने के लिए समर्पित किया जाता है। दशहरा के दिन रावण के पुतले को ज्यादातर स्थानों पर बनाया जाता है और फिर उसे आग लगाकर दहन किया जाता है। इसके साथ ही रावण के बेटे मेघनाथ और भाई कुंभकर्ण के पुतले भी दहन किए जाते हैं। यह एक प्रकार का पर्व यात्रा और सामाजिक उत्सव भी है जिसमें लोग समूहों में एक साथ आकर रावण के पुतले को दहन करते हैं।

इस दशहरा का आयोजन भारत भर में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है और लोग इसे खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं। यह त्योहार समाज में आपसी सख्ती और एकता का संकेत भी माना जाता है।

दशहरा का त्योहार इस साल 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा और शस्त्र पूजा का शुभ समय दोपहर 01 बजकर 58 मिनट से दोपहर 02 बजकर 43 मिनट तक है। यह त्योहार भगवान राम के रावण पर विजय के रूप  में मानी जाती है। यह त्योहार भारतीय समाज में शक्ति, धर्म और न्याय के मूल्यों को स्थापित करता है। यह त्योहार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आता है।

विजयादशमी को दशहरा भी कहते हैं, जो नवरात्रि के अंत में आता है। इसे समय मां ने 9 दिन महिषासुर से युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध किया। इससे लोग मुक्ति प्राप्त हुए और उन्हें बड़ा आनंद हुआ। मां दुर्गा को इस दिन विजयी होने का बड़ा गर्व हुआ था, इसलिए लोग उसे दशहरा या विजयादशमी के रूप में मनाने लगे।

दशहरा का उत्सव (दशहरा और नवरात्रि संबंध)

इस दशहरा या विजया दशमी नवरात्रि के बाद दसवें दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। रावण ने भगवान राम की पत्नी, देवी सीता को अपहरण किया था और उसे लंका ले गया था। भगवान राम दुर्गा माता के भक्त थे और उन्होंने युद्ध के पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की थी और दसवें दिन दुष्ट रावण का वध किया। इसलिए विजयादशमी एक महत्वपूर्ण दिन है। राम की विजय के प्रतीक स्वरूप इस पर्व को ‘विजयादशमी’ कहा जाता है।

दशहरा के उत्सव के दौरान अलग-अलग जगहों पर बड़े मेले लगते हैं। लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ आकर खुले आसमान के नीचे मेले का आनंद लेते हैं। यहाँ पर विभिन्न वस्त्र, चूड़ियाँ, खिलौने और कपड़े बिकते हैं। उसके साथ ही, मेलों में विभिन्न व्यंजन भी बिकते हैं।

इस समय रामलीला का आयोजन भी होता है। वहाँ रावण का बड़ा पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा या विजयादशमी भगवान राम की विजय को याद करने के रूप में मनाया जाता है, जब उन्होंने रावण को मारा था। रामलीला में विभिन्न स्थानों पर रावण वध का प्रदर्शन होता है।

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दशहरा में शास्त्रों की पूजा

इस दिन क्षत्रियों के यहाँ शस्त्र की पूजा होती है और रावण, उसके भाई कुम्भ कर्ण और पुत्र मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं। कलाकार राम, सीता और लक्ष्मण के रूप धारण कर आग के तीर से इन पुतलों को मारते हैं जो पटाखों से भरे होते हैं। जैसे ही पुतले में आग लगती है, वे जलने लगते हैं और उनमें लगे पटाखे फट जाते हैं और उसका अंत हो जाता है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व माना जाता है।

शक्ति की उपासना

शारदीय नवरात्रि नौ दिनों तक जाती है, जिसमें भगवान दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक है और विशेष रूप से महिलाओं को समर्पित है। नवरात्रि के आयोजन में भगवती दुर्गा की आराधना, भजन-कीर्तन और भगवान की कथाएँ समाहित हैं।

इस अवसर पर शक्ति और सामर्थ्य की पूजा करने से व्यक्ति आत्म-विश्वास और उत्साह से भर जाता है। इस उत्सव के अंत में दशहरा का उत्सव आता है, जो विजय और समर्पण की भावना से जुड़ा है। यह भारतीय संस्कृति और धर्म का महत्वपूर्ण हिस्सा है और लोगों को सजीव उत्साह और ऊर्जा से भर देता है।

दशहरा, निष्कर्ष

दशहरा भारत भर में उत्साह और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है। उत्सवों में जीवंत मेले, मोहक रामलीलाएँ और रावण के विशाल पुतले की संबंधित दहन करने का पर्व शामिल है। यह परिवारों और समुदायों के लिए एक साथ आने का समय है, न्याय और एकता के मूल्यों को मजबूत करते हैं।

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