गर्मी के मौसम पर निबंध। Summer Season Essay in Hindi

Summer Season Essay in Hindi, गर्मी के मौसम गर्मी के दिनों की कुछ यादें हमें हमेशा याद रहती हैं। किसी के लिए गर्मी एक अच्छा मौसम हो सकता है, लेकिन किसी के लिए यह बहुत परेशानी भरा हो सकता है। गर्मी के मौसम में बहुत ज्यादा तापमान होता है, जिससे लोगों को बाहर जाने में परेशानी होती है। कई बार लोग गर्मी के कारण बीमार भी हो सकते हैं।

मौसम का प्रभाव हमारे दिनचर्या और भावनाओं पर बहुत अधिक होता है। सर्दी के मौसम में लोग गर्म कपड़े पहनकर रहते हैं और अपने घरों में बैठकर गरमागरम चाय और कोफी का आनंद लेते हैं। बरसात के मौसम में हर कोई बचपन की यादें ताजगी से भर देता है और वर्षा केs बाद की खुशबू का आनंद लेता है। गर्मी के मौसम में ठंडी की चाय और फ्रूट जूस सबको राहत पहुँचाते हैं।

मौसम का आनंद लेना हर व्यक्ति का अधिकार है और हर मौसम में अपना आनंद निकालना अच्छा रहता है। आपकी विचारों को सुनकर मुझे खुशी हुई। आप और आपके दोस्त विभिन्न मौसमों का आनंद उठाते हैं और इसे अपने अनुभवों में शामिल करते हैं। हर मौसम में अपनी खूबसूरती है और हर एक को अपनी खासियतों से नवाजने का अवसर देता है।

गर्मी के मौसम में अधिक उच्चतम तापमान और जलवायु की अधिकता से कई लोग परेशान हो सकते हैं। इससे विशेष रूप से उन लोगों को प्रभावित कर सकता है जिनका ताजगी का स्तर कम है या जिन्हें धूप से अलर्जी होती है। इसलिए, यह जरुरी है कि लोग गर्मियों में अपना ख्याल रखें और हाथ योग्य उपायों का पालन करें।

लोगों पर गर्मी का प्रभाव

गर्मी का प्रभाव लोगों पर अनेक तरह से होता है। यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। यहाँ कुछ मुख्य प्रभाव हैं:

  • शारीरिक थकावट: गर्मी के दिनों में अधिक उच्चतम तापमान से लोग आसानी से थक जाते हैं। ऊर्जा की कमी हो सकती है और कार्य करने में परेशानी हो सकती है।
  • जलन और सुन्नपन: धूप और उच्चतम तापमान से त्वचा पर जलन और सुन्नपन का असर हो सकता है।
  • अक्सर गर्मी: गर्मी के कारण लोगों को अक्सर गर्मी लगती है और वे समुचित रूप से घूमना नहीं पसंद करते।
  • अच्छी तरह से सोने की कठिनाई: ऊब और तापमान के बढ़ने के कारण लोगों को अच्छी तरह से सोने में कठिनाई हो सकती है।
  • उच्च रक्तचाप और तनाव: गर्मी के मौसम में उच्च तापमान के कारण रक्तचाप बढ़ सकता है और व्यक्ति तनावग्रस्त हो सकता है।
  • द्रुति में कमी: गर्मी के मौसम में ऊर्जा की कमी होने के कारण लोगों की द्रुति में कमी हो सकती है।
  • सामाजिक और आत्मिक प्रभाव: गर्मी के मौसम में व्यक्ति सामाजिक घटनाओं और आत्मिक स्थितियों को भी प्रभावित कर सकता है।

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गर्मी के दिन का आरम्भ 

ऐसे दिनों में सूरज की तेजी और ऊँचाई के साथ-साथ धरती पर बहुत अधिक गरमी का अहसास होता है। लू की गरम हवाओं के कारण लोगों को बहुत परेशानी होती है और धूल-मिट्टी के प्रदूषण का भी प्रभाव होता है। इस मौसम में लोग अधिकतर सुरक्षित रहने के लिए ऊर्जा की बचत करने और हाइड्रेशन बनाने की जरुरत होती है।

गरमी के सबसे तापती दिनों में सुबह को भी आराम नहीं मिलता। आकाश बिल्कुल साफ होता है और बादलों का कोई निशान नहीं होता। हल्की हवा भी नहीं चलती है। घास सूख गई और लहलहाती है।

इन दिनों, खुले आसमान को देखकर सूर्य का निकलना हर किसी को आनंद देता है। सुबह के समय उगते सूर्य की रौशनी अच्छी नहीं लगती। जैसे-जैसे सूर्य ऊँचा उठता जाता है, वैसे-वैसे उसमें और चमक बढ़ रही है।

गरमी लगातार बढ़ रही है। ज़मीन से आग निकलने लगती है और तेज लू भरी हवाएं चलने लगती हैं। धूल और मिट्टी की ऊँचाई से सांस लेने में कठिनाई होती है।

गर्म मौसम की शुरु वात

गर्मियों का मौसम आमतौर पर अप्रैल से शुरू हो जाता है और जून-जुलाई के आस-पास तक रहता है। गर्मियों में लोगों को आकाश की सफाई और सूर्य की ऊँचाई से आनंद आता है। प्रातः और शाम में लोग हवा में घूमने के लिए जाते हैं। दिन भर गर्मी के कारण लोग पसीने-पसीने हो जाते हैं और रात में वे अपने घर की छत पर सोते हैं।

कुछ लोगों को गर्मी का मौसम अच्छा लगता है, जैसे शिक्षक या छात्र, जिन्हें गर्मियों में छुट्टी मिलती है और वे अपने समय को खेलने-कूदने या पतंग उड़ाने या बाहर घूमने में बिताते हैं।

जब मैं छोटा था, तो गर्मियों में मैं अपने दोस्तों के साथ पतंग उड़ाता था। स्कूल जाने की जरूरत नहीं रहती थी क्योंकि हमारे स्कूल की छुट्टियां होती थी। हम दोपहर के टाइम घर पर ही आराम करते थे। शाम को गर्मी कम होती जाती थी, तब हम दोस्त मिलकर अपनी छत पर पतंग उड़ाते थे। यह काम हमें अच्छा लगता था। कभी-कभी पतंग उड़ाते समय मुझे गर्मी भी लगती थी, लेकिन यह भी अच्छा लगता था और मुझे खुशी का अनुभव होता था।

गर्मी में लोगों की दशा

गरमियों के दिनों में, लोगों का बाहर जाने का आदान-प्रदान काफी कम होता है। सड़कें अकेली-वीरान लगती हैं और लोग अपने सिर पर तौलिया या छातरी लेकर बाहर निकलते हैं। ताकि वे धूप और गरम हवाओं का सामना कर सकें। जलती हुई सड़कें इसे और भी असहनीय बनाती हैं, जिससे बिना जूतों और सिर को ढके बाहर निकलना नामुमकिन सा लगता है।

शहरों में, धनी लोग ठंडे ठंडे कूलरों और पंखों के नीचे बैठकर गरमी से राहत पाते हैं। वे बार-बार ठंडे पेय पदार्थों या शरबत से प्यास बुझाते हैं। सामान्य लोग ठंडे पानी से काम चलाते हैं। गरीब लोगों की हालत गरमियों में बहुत खराब हो जाती है। उन्हें अपने रोजी-रोटी के लिए तपती धूप और लू में मेहनत करनी पड़ती है। उनका पूरे शरीर से पसीने की धार निकलती रहती है। जहाँ कहीं ठंडे जल का प्याऊ नहीं मिलता, वहाँ वे पानी पीकर अपनी प्यास बुझा लेते हैं।

गर्मी में पशु पक्षियों की दशा

भारी गरमी में, पशु-पक्षियों की स्थिति भी बहुत खराब हो जाती है। ये बेसहारे प्राणी शीतल छाया की तलाश में व्याकुल रहते हैं। बहुत से प्राणी तो सांस लेने के लिए हाँफते हैं। भैंसों को बहुत गर्मी लगती है, क्योंकि उनकी त्वचा काली होती है।

अक्सर उथले तालाबों या कीचड़ भरे स्थानों में भैंसें बैठी रहती हैं और गरमी से राहत पाती हैं। दिन भर चिड़ियाएँ अपने घोंसलों में दुबकी रहती हैं। पेड़-पौधों की पत्तियाँ लटक जाती हैं और घास सूख कर पीली पड़ने लगती हैं। समूची दोपहर सड़कें अकेली और उदास दिखाई देती हैं।

गर्मी के मौसम में शाम के समय

गरमियों में, शाम के समय गरमी थोड़ी कम होती है। सूर्य ढलने लगता है और थोड़ी राहत मिलती है। लोग घर से बाहर निकलने लगते हैं, जो खरीदारी का समय भी होता है।

खोमचेवाले और फेरिवाले अपने माल को बेचने के लिए आवाज़ लगाते हैं। सड़कें और बाजार रमणीक दिखते हैं। यहां भीड़-भाड़ दिखाई देने लगती है। आइसक्रीम और ठंडे पेय बेचने वालों की खूब बिक्री होती है।

शाम के समय पार्कों और उद्यानों में एक मेला जैसा आत्मस्थ होता है। बच्चे नरम घास पर खेलते हैं और खुशी-खुशी उछलते हैं। ऐसा लगता है कि मृत शहर फिर से जीवित हो उठा हो।

गर्मी के मौसम में रात्रि का समय

कभी-कभी गरमी की रातें कठिन हो सकती हैं, लेकिन अक्सर रात के समय ठंडी हवाएं चलने लगती हैं। इससे लोगों को बड़ी राहत मिलती है। बहुत से लोग शाम को दोबारा स्नान करके दिनभर की गर्मी, घाम, पसीना से राहत पाते हैं। कभी-कभी रात को तेज हवाओं या हल्की बूंदों के साथ आने वाली बर्फी भी हवाओं को शीतल कर देती है और मौसम को सुहावना बना देती है।

निष्कर्ष

शहरों और नगरों में गरमियों के दिनों में अक्सर पानी की बड़ी कमी हो जाती है। भारी गरमी के दौरान लोगों की स्थिति बहुत कठिन हो जाती है। भारत के राजस्थान जैसे राज्यों में इन दिनों पीने के पानी तक का अकाल हो जाता है। अधिकांश तालाब और कुएँ सूख जाते हैं। लोगों को जीवित रखने के लिए टैंकरों से पानी पहुँचाया जाता है।

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