गणतंत्र दिवस पर निबंध l Republic Day 2024 Essay in Hindi

Republic Day essay, गणतंत्र दिवस26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाने वाला एक पर्व है और इसी 26 जनवरी के दिन भारत का संविधान लागु हुआ था। भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 में लागु हुआ था। इसी दिन अंग्रेजो के द्वारा लागु किया गया कानून हटाकर, भारत के संविधान को अपनाया गया। संसद से भारतीय संविधान लागु होने के बाद हमारा भारत एक लोकतान्त्रिक गणराज्य बन गया और यही एक महत्वपूर्ण कारण है जिससे हम सभी राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में बड़े आनंदपूर्वक मनाते है।

इस दिन पूरे देश में उत्सव का एक वातावरण बनता है। राजपथ पर नगर सेना, झलकारान, स्कूल छात्र, और विभिन्न राज्यों और संघीय क्षेत्रों की खूबसूरत झांकियों का परेड होता है। राष्ट्रपति इस अवसर पर लाल किले से वक्तव्य करते हैं और देश की जनता को संबोधित करते हैं।

स्कूलों और कला संस्थाओं में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें छात्र भाषण, नाट्य, संगीत, और विभिन्न प्रकार की प्रस्तुतियाँ करते हैं। यह दिन देश के नागरिकों के लिए गर्व और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।

गणतंत्र दिवस का उद्देश्य भारतीय संविधान, गणराज्य की संरचना और नागरिकों के अधिकारों की महत्वपूर्णता को जनता के मन में स्थापित करना है। यह दिन एक ऐतिहासिक घटना को याद करता है और राष्ट्र के उत्थान के मार्ग पर हमें प्रेरित करता है।

हमारा देश आज़ादी के बाद से 9 दिसम्बर 1947 को संविधान बनाने की शुरुवात की गयी, जिसे पूरा होने में 2 साल 11 महीने 18 दिन में बन कर तैयार हुआ । इस दिन भारत सरकार द्वारा पूर्णरूप से स्वराज्य घोषित कर दिया गया था।

गणतंत्र दिवस का महत्त्व 

26 जनवरी को भारत में गणतंत्र दिवस के रूप में खास महत्व है। इस दिन 1950 में भारतीय संविधान लागू हुआ था। हर साल इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पुराने कानूनों को छोड़कर नये संविधान को लागू किया गया था और लोकतंत्रिक तंत्र को भारतीय संविधान से जोड़ा गया था। नई दिल्ली में इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं, जिसमें राष्ट्रपति द्वारा ध्वजारोहण किया जाता है। स्कूल और सरकारी संस्थानों में भी तिरंगा फहराया जाता है, रैलियां निकाली जाती हैं और वीर सपूतों को याद किया जाता है। छात्रों द्वारा स्कूलों में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

भारतीय गणराज्य का उद्घाटन 15 अगस्त 1947 को हुआ था, लेकिन यह राज्य तब तक संविधान से नियंत्रित नहीं था। इसके बाद, 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान को लागू किया गया, और भारत गणराज्य का नामकरण हुआ। इस समय की खास तिथि को हर साल “गणतंत्र दिवस” के रूप में मनाने का आयोजन किया जाता है।

भारतीय संविधान, जो दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों का निर्धारण करता है। यह एक ऐतिहासिक दस्तावेज है जो भारत के लोकतंत्र की मूल नींव है और देश की गणराज्यता का प्रतीक है।

गणतंत्र दिवस के मूल्य

गणतंत्र दिवस महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिन हमें याद दिलाता है कि हम एक स्वतंत्र और गणराज्य में जीते हैं, जहाँ हर नागरिक का एक समान स्थान होता है और संविधान के माध्यम से उनके अधिकार सुरक्षित होते हैं। इस दिन के माध्यम से हम अपने देश के संविधानिक लक्ष्यों और नागरिक जीवन के मूल तत्वों को समझते हैं और उन्हें महत्वपूर्ण मानते हैं। यह एक दिन है जो एकता, सामाजिक न्याय, और देश के सर्वोत्तम हित की प्रतीक होता है।

स्वराज्य की घोषणा 

हमारे देश के भारत में लौहार अधिवेशन में इस प्रस्ताव की घोषणा की गयी थी । यदि अंग्रेजो के सरकार सरकार द्वारा 26 जनवरी 1930 तक हमारे भारत देश को डोमिनियम का दर्जा नही दिया गया था। तभी तो भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्र घोषित कर दिया जायेगा और ब्रिटिश सरकार ने एस बात पर निर्णय नही लिया था।

भारतीय कांग्रेस द्वारा 26 जनवरी 1930 को पूरी तरह से पूर्ण स्वराज्य घोषित कर दिया गया। जो ये अधिवेशन थे वह पंडित जवाहरलाल नेहरु की अध्यक्षता में दिसम्बर 1929 में हुआ था।

लाहौर अधिवेशन का आयोजन

लाहौर अधिवेशन, जिसका आयोजन पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में दिसम्बर 1929 में किया गया था, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक महत्वपूर्ण घटना थी। इस अधिवेशन के माध्यम से, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव की घोषणा की जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।

पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव

लाहौर अधिवेशन में एक प्रमुख प्रस्ताव के रूप में यह घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार द्वारा 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमीनियम (स्वायत्त्र द्वीप) का दर्जा नहीं दिया जाता, तो भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्र घोषित किया जाएगा।

अंग्रेज सरकार का निर्णय

हालांकि अंग्रेज सरकार ने इस प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं लिया, लेकिन यह प्रस्ताव भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नयी ऊर्जा और महत्वपूर्ण मोड़ दिया। इसके परिणामस्वरूप, 26 जनवरी 1930 को भारतीय कांग्रेस द्वारा “पूर्ण स्वराज” का घोषणा किया गया, जिसके बाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और भी जोरदार हो गया।

इस प्रस्ताव की घोषणा ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बनाया। इसके परिणामस्वरूप, 26 जनवरी 1930 को “पूर्ण स्वराज दिवस” के रूप में मनाया जाता है और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है।

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गणतंत्र दिवस का इतिहास 

हमारे भारत देश के आज़ादी के बाद 9 दिसम्बर 1947 को संविधान बनाने की प्रक्रिया शुरू की गयी । जिसे 2 वर्ष 11 माह 18 दिन माँ बनाकर तैयार किया गया । गणतंत्र दिवस के दिन ही पुरे भारत को कांग्रेस सरकार द्वारा पूर्ण स्वराज्य को घोषित कर दिया गया । और उसी दिन 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

हमारे भारतीय संविधान के निर्माण के लिए 22 समितियों को चुनकर उनका चुनाव किया गया । जिनका मुख्य कार्य संविधान का निर्माण एवं संविधान बनाना था। संविधान सभा द्वारा संविधान निर्माण के लिए 114 दिनों की बैठक की गयी।

जिसमे 308 सदस्यों ने भाग लिया और उस बैठक में मुख्य सदस्य डॉ भीमराव अम्बेडकर, सरदार बल्लभ भाई पटेल, पंडित जवाहरलाल नेहरु और डॉ. राजेंद्र प्रसाद, अब्दुल कलाम इत्यादि लोग थे।

इसके अलावा भी संविधान सभा के बैठक में जनता एवं प्रेस वालो को भी सम्मलित किया गया था। इसके बाद 26 जनवरी 1950 में पुरे देश में संविधान लागु किया गया । 26 जनवरी की महत्वता बनाये रखने के लिए और गणतंत्र स्वरुप को मान्यता देने के लिए 26 जनवरी के दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। 26 जनवरी के दिन 1950 को पुरे देश में कानून और भारतीय शासन को लागु कर दिया गया।

गणतंत्र दिवस, आजादी के बाद भारतीय संविधान की रचना

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, 28 अगस्त 1947 को भारतीय संविधान का निर्माण कार्य आरंभ किया गया। उस समय एक ड्राफ्टिंग कमेटी को गठित किया गया था जिसका उद्देश्य था भारत के स्थायी संविधान का प्रारूप तैयार करना।

4 नवंबर 1947 को डॉ. बी. आर. अंबेडकर की अध्यक्षता में इस कमेटी ने भारतीय संविधान के प्रारूप को सदन में रखा। इसके बाद, सदस्यों ने 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिनों में संविधान बनाया। आखिरकार, इसको 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया और भारतीय गणराज्य का आदान-प्रदान हुआ। इस उपलक्ष्य में पूर्ण स्वराज की प्रतिज्ञा का भी सम्मान हुआ।

कार्यक्रम

26 जनवरी यानि की गणतंत्र दिवस हमारे भारत देश में राष्ट्रिय त्यौहार के रूप में मनाया जाता है । 26 जनवरी के दिन भारत के राष्ट्रपति द्वारा समारोह में (ध्वज) तिरंगे को फहराया जाता है, और 21 तोपों की सलामी दी जाती है, साथ ही में 26 जनवरी में शामिल सभी नागरिको द्वारा सामूहिक रूप से खड़े होकर राष्ट्रगान के साथ – साथ तिरंगे को सलामी दिया जाता है। गणतंत्र दिवस के दिन अलग – अलग रेजिमेंट, भारतीय तीनो सेनाए (जल, नभ, थल) शामिल होता है।

संस्कृति की झलक

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद, भारत ने “विविधता में एकता” के महत्वपूर्ण संकल्प को प्रकट किया। इसके तहत, देश के विभिन्न राज्यों ने अपनी विशेष संस्कृति, परंपरा और प्रगति को झाँकियों के माध्यम से प्रस्तुत किया।

उत्सव में लोग अपने लोक नृत्य, गायन, नृत्य, और वाद्य यंत्रों का प्रदर्शन करते हैं। यह एक सुंदर और रंगीन दृश्य सृष्टि करता है, जो भारतीय सभ्यता और सांस्कृतिक धरोहर को महत्वपूर्ण बनाता है।

कार्यक्रम के अंत में, वायु सेना द्वारा केसरिया, सफेद और हरे रंग के फूलों की बारिश की जाती है, जो आकाश में राष्ट्रीय झंडे का चिन्ह होती है। इसके साथ ही, शांति की भावना को उजागर करते हुए कुछ रंग-बिरंगे गुब्बारे आकाश में छोड़े जाते हैं। यह एक दृश्य है जो राष्ट्रीय एकता और भारतीय समरसता की महत्वपूर्ण भावना को प्रकट करता है।

गणतंत्र दिवस, निष्कर्ष

हमारे देश के हर कोने- कोने में बड़े उत्साह और आनंदपूर्वक मनाया जाता है। सभी छात्र मिलकर अपना – अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करते है । 26 जनवरी के दिन देश का शहीदों के उनके बलिदानों को यादकर उन्हें सलामी दिया जाता है। गणतंत्र दिवस के दिन बीटिंग द रिट्रीट का आयोजन किया जाता है।

विविधता में एकता का उत्सव भारतीय समाज के एकता और सामर्थ्य का अद्वितीय प्रतीक है। यह देश के विभिन्न हिस्सों की भिन्नताओं को समर्थन करता है और उन्हें एक सामान विभाजन के रूप में स्वीकार करता है। यहाँ पर विभिन्न संस्कृतियों और राज्यों की भाषा बोली जाती है लेकिन भारत की एकता का अहम भाग रहती है। इस उत्सव से हम यह अनुसंधान कर सकते हैं कि हम एक समरस्थ और समर्पित राष्ट्र बनाने के मार्ग पर अग्रसर हैं।

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