भारत कई धर्मों व जाति के मिश्रण से बना हुआ है । भिन्नता में एकता ही एक राष्ट्रीय संस्कृति की नींव है। इस देश की संस्कृति सदियों पुरानी संस्कृति होने के बाद भी इस आधुनिक सदी के अपने नैतिक मूल्यों व परंपराओं को बरकरार रखने में सफल हुए है।
भारत एक इकलौता राष्ट्र है जहाँ संस्कृति, मान-मर्यादा व प्रतिष्ठा के लिये जाना जाता है। सबसे पौराणिक देश वाला भारत अपनी सभ्यता को तवज्जो देता आया है। हालांकि बहुभाषी वाला यह देश भारत कई भाषाओं के साथ चलता आ रहा है परन्तु हिंदी इस राष्ट्र की रास्ट्र भाषा है।
पूरे देश में निकटतम 22 आधिकारिक भाषा व 400 अन्य भाषाएँ लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं। इतिहास पे यदि ग़ौर करें तो, हिन्दू तथा बौद्ध जातियों का यह भूमि जन्म स्थान है।
भारत एक सांस्कृतिक देश
हर देश की अपनी संस्कृति व रिवाज होती है। सब धर्मों के अपने त्योंहार और उसके बनाये उत्सव होते हैं जिसे वे अपने मुताबिक मनाते हैं।
यहां रहने वाले व्यक्ति इस तरह के व्यंजनों को अपने अपने धर्मों से जोड़ते हुए मान्यता देते हैं और बनाते है जैसे दही चूड़ा, आलू की भूजिया, इडली डोसा। अन्य जाती को मानने वालों की कुछ भिन्न भोजन संस्कृति होती है और उसी तरह से व के भोजन को जगह देते हैं।
भारतीय समुदाय के संस्कृति की खासियत इसके भिन्न, धर्म, राजनीति, एकता, गौरव, आदर-सत्कार, मानवता व नैतिकता हैं। ये वे सब भाव हैं जो भारत को बाकी अन्य देशों से भिन्न करते हैं ।
देश की सभ्यता इसका मान
भारत के देश वासी अपने संस्कारों ,विचारों रीति-रिवाजों से कभी समझौता नही कर सकते हैं और इसकी गरिमा को बनाए रखने में अपना मान-सम्मान कुछ भी नही देखते हैं।
इस सदियों पुराने वाले मानव की भूमि पर इनके बनाये रिवाज़ व संस्कृति को मान्यता मिली हुई है। ये सब भाव एक-दूसरे के पूरक हैं परंतु भिन्नता भी है।
एक देश की सभ्यता इंसानों के बाहरी ढंग से जुड़ी होती है, जैसे उसके जीने का तरीका, बात करने की बोली जाने वाली भाषा, आदि। संस्कृति का सम्बन्ध मनुष्य के विचार, आचरण, कार्य करने की क्षमता व कौशलता से होता है।
भिन्न विचारों का मिश्रण
एक देश की सँस्कृति का इतिहास काफी गौरवपूर्ण व गहरा होता है। समाज के रहने वाले एकता, विन्रमता, नैतिकता, हमदर्दी, एवं सज्जनता जैसे भाव के साथ एक दूसरे के संग रहते हैं क्योंकि यही सब इंसानों के लिए महत्व रखता है, और यही सब उनके आदर्श बनते हैं।
यद्दपि, मानव सभ्यता और संस्कृति एक दूसरे से भारत मे ब बहुत पुराना इतिहास रहा है, क्योंकि मनुष्य अपने विचारों को जब समाज मे पेश करता तब किसी वस्तु की रचना होती है, उसे कोई नाम मिलता है। अपने धर्म पे आधारित लोग विचारों, रीति-रिवाज़ और तवज्जों देते हैँ।
भिन्नता में एकता वाले इस राष्ट्र में हर दूसरे व्यक्ति अपने अपने त्योंहारों को अपने रस्मों के मुताबिक बांटकर मनाते हैं, इसकी मान्यता देते हुए उपवास रखते हैं, देश की प्रसिद्ध नदियों के पवित्र जल में शुद्ध होते हैं, भगवान की अर्चना दुबे रहते हैं, रस्मों से जुड़े उनके चर्चित गीत गाते हैं, उन गीतों पर झूमते व नाचते हैं, अपने त्योहारों के पकवान बनाते हैं, और कई कार्य करते हैं।
निष्कर्ष
कई समाजिक में चल रहे कार्यक्रमों के साथ रास्ट्र के महत्वपूर्ण उत्सवों को मिलकर मनाते हैं जैसे स्वतंत्रता दिवस, रक्षा बंधन, ईद, व दीवाली। एक दूसरे के धर्म व संस्कृति को बिना हाथ लगाए सब प्रसनता व उत्साह के साथ देश के कई हिस्सों में कई जातियों के लोग अपने त्योंहारों को मान्यता देते हैं।
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