नवरात्रि पर निबंध (Navratri essay in hindi), नवरात्रि एक अनोखा त्यौहार है, जो नौ रातो की होती है। यह त्यौहार एक ऐसा अनोखा त्यौहार है जो साल में दो बार आता है और बहुत धूम धाम से मनाया जाता है । पहली नवरात्रि हिंदी महीने के अनुसार चैत्र में यानि मार्च या अप्रैल में मनाया जाता है और दूसरी नवरात्री अक्टूबर या नवम्बर में मनाया जाता है ।
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है जो नौ दिनों तक मनाया जाता है। यह पर्व मां दुर्गा की पूजा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस उत्सव का महत्व भारतीय संस्कृति में बहुत ऊँचा है और यह विभिन्न रूपों में पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है।
नवरात्रि के नौ दिनों का प्रत्येक दिन एक विशेष रूप से मां दुर्गा और उसकी अलग-अलग स्वरूपिणियों को समर्पित किया जाता है। इन दिनों में लोग पूजा, आरती, भजन, व्रत, और भक्ति भाव से गुजरते हैं। नवरात्रि का उद्देश्य न केवल मां दुर्गा की पूजा करना होता है, बल्कि यह एक अवसर है अच्छे कार्यों को करने और बुराइयों से लड़ने का भी।
भारतीय संस्कृति में नवरात्रि का अलग ही महत्त्व है, विशेष रूप से गुजरात और बंगाल में, जहां इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। गुजरात में गरबा और दंडिया रास के नृत्यों की धूम मचती है, जबकि बंगाल में दुर्गा पूजा के पंडाल बनाए जाते हैं और महिलाएं सिंदूर खेलती हैं।
नवरात्रि के नव दिन माँ दुर्गा जी के नव अलग – अलग रूपों में मनाया जाता है, और दसवे दिन दहन करते है जो दशहरा के रूप में मनाया जाता है । नवरात्रि अलग अलग राज्यों के विभिन्न तरीको और विधियों से मनाई जाती है। कोलकाता में माँ दुर्गा जी की पूजा को सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है।
दुर्गा पूजा क्यों मनाई जाती है
माँ दुर्गा जी ने महिषासुर राक्षस का वध किया था । महिषासुर राक्षस को ब्रह्मा जी द्वारा वरदान प्राप्त हुआ था, कि उसे कभी कोई नही मार सकता है । लोग इस राक्षस के अत्याचारों से परेशान थे, जिसमे ब्रम्हा जी भी कुछ नही कर सकते थे, तब जाके के भगवान ब्रम्हा, विष्णु और शिव जी ने अपनी शक्ति से माँ दुर्गा जी की सृष्टि की थी ।
माँ दुर्गा जी के दस हाथ थे और उन्हें सारी शक्ति भी दी गई थी । माँ दुर्गा जी ने नौ दिनों तक महिषासुर राक्षस का मुकाबला किया और दसवे दिन जाकर उस राक्षस का वध किया । माँ दुर्गा जी के इस शक्ति को नवरात्री त्यौहार के रूप में मनाया जाता है ।
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नवरात्री के नौ दिन
नवरात्री के नौ दिन के प्रकार और कार्य दिए गये है इस प्रकार –
नवरात्री का पहला दिन
नवरात्रि के पहले दिन को माँ शैलपुत्री के रूप में मनाया जाता है । इनकी पूजा करने से, एक उर्जा प्राप्त होती है, इस उर्जा से लोगो के मन में शांति मिलती है । माँ शैलपुत्री को पहाड़ो की पुत्री भी कहा जाता है ।
नवरात्रि का दूसरा दिन
नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रहमचारिणी के रूप में मनाया जाता है । इस दिन माँ ब्रहमचारिणी की पूजा करते है, इनकी पूजा करने से हमें दुनिया के हर एक मुकाम हासिल करने कि और अपनी एक अलग पहचान बनने की शक्ति मिलती है ।
नवरात्रि का तीसरा दिन
नवरात्रि के तीसरे दिन को माँ चंद्रघंटा के रूप में मानते है । ये देवी माँ चाँद की तरह चमकती है, इसलिए इन्हें माँ चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है । इनकी पूजा करने से मन के सारे नकरात्मक और गलत विचार दूर हो जाते है और गलत विचार आते ही नही है ।
नवरात्रि का चौथा दिन
नवरात्रि के चौथे दिन को माँ कुष्मांडा के रूप में पूजा करते है । ये देवी माँ कृष्मान्डा की पूजा करने से हम उन्नती के राह पर चलते है और हमारे सोचने समझने की शक्ति में वृद्धि होती है ।
नवरात्रि का पांचवा दिन
नवरात्री के पांचवे दिन को माँ स्कंदमाता के रूप में पूजा करते है । इन देवी माँ की पूजा करने से हमें अंदरूनी व्यावहारिक ज्ञान विकसित और प्राप्त होता है । इन्हें माँ कार्तिकेय देवी भी कहा जाता है ।
नवरात्रि का छठवां दिन
नवरात्रि के छटवे दिन को माँ कात्यायनी के रूप में पूजा करते है । इन देवी की पूजा करने से हमारे अंदर के नकारात्मक सोच दूर होती है, और हम सही मार्ग पर चलना सीखते है ।
नवरात्रि का सातवां दिन
नवरात्रि के सातवे दिन को हम माँ कालरात्रि के रूप में मानते है । इन देवी की पूजा करने से हमें अपने जीवन में यश वैभव और वैराग्य प्राप्त होता है । इन्हें और काल का नाश करने वाली देवी के स्वरूप से जाना जाता है ।
नवरात्रि का आठवां दिन
नवरात्रि के आठवे दिन को हम माँ महागौरी के रूप में मानते है । इन देवी की पूजा करने से हमें अपनी मनोकामना को पूर्ण करने का वरदान मिलता है । इन्हें सफ़ेद रंग वाली देवी के स्वरूप में भी मन जाता है ।
नवरात्रि का नौवां दिन
नवरात्रि के नौवे दिन को हम माँ सिद्धिदात्री के रूप में मानते है । इन देवी की पूजा करने से हमें ऐसा आशीर्वाद मिलता है जिससे हम अपने सभी कामो को आसानी से कर सके और उनको पूर्ण कर सके ।
दशहरा के दिन
दशहरा इसलिए मानते है, कहते है भगवान राम जी ने अपने भाई लक्ष्मण और हनुमानजी और अपनी पूरी सेना के साथ मिलकर माँ सीताजी को बचाने के लिए रावण से युद्ध किये थे । युद्ध करने से पहले युद्ध में विजय होने के लिए भगवान रामजी ने माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी दिनों तक पूजा की थी ।
पुरे नव दिन पूजा करने के बाद दसवे दिन रावण से युद्ध किये थे और उस युद्ध में रावण की मुत्यु हो गई थी । इसलिए दशहरा का त्यौहार भगवान रामजी की विजय और रावण के वध के रूप में मनाया जाता है, और उस दिन रावण का पुतला जला कर ये सिद्ध किया जाता है, की बुराई पे अच्छाई की हमेशा जीत होती है ।
नवरात्रि की पूजा करने की विधि
अपने घरो में कलश की स्थापना करते है और नव दिन तक दुर्गा पाठ करते है । नवरात्री की नव राते धूमधाम से मानते है । आठवे या नौवे दिन हवन करते है और दसवे दिन कलश का दहन करते है । हर राज्यों में अलग अलग तरीको से ये त्यौहार बनाया जाता है । गुजरात में लोग गरबा करते है ।
नवरात्रि पर निबंध 10 लाइन
- नवरात्रि एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जिसे नौ रातें और दस दिनों तक मनाया जाता है।
- यह हिन्दू पंचांग के आश्विन महीने (सितंबर-अक्टूबर) में मनाया जाता है।
- यह त्योहार देवी दुर्गा की उपासना को समर्पित है, जो नारीशक्ति और शक्ति की प्रतीक हैं।
- नवरात्रि उन नौ रातों का उत्सव है जब देवी दुर्गा ने राक्षस राजा महिषासुर को परास्त किया था।
- नवरात्रि के प्रत्येक दिन को नवदुर्गा के रूप में जाना जाता है, जिसे नवदुर्गा कहते हैं।
- श्रद्धालु नवरात्रि के दौरान उपवास, प्रार्थना और मंत्रों का पाठ करते हैं।
- कई क्षेत्रों में गरबा और दंडिया रास, परंपरागत लोक नृत्य, उत्सव के हिस्से के रूप में आयोजित किये जाते हैं।
- नवरात्रि दसमी या विजयदशमी के रूप में समाप्त होती है, जो भगवान राम के रावण पर विजय का उत्सव है।
- यह अच्छे का बुरे पर विजय और धर्म की वापसी का प्रतीक है।
- यह न केवल एक धार्मिक त्योहार है बल्कि परिवार सभाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामाजिक एकता के लिए एक आवस्यक समय है।
नवरात्री के रंग
यह त्योहार नौ दिनों तक मनाया जाता है, और प्रत्येक दिन किसी विशेष रंग से जुड़ा होता है। यहाँ नवरात्रि के प्रत्येक दिन के लिए रंगों की सूची है:
- प्रथम दिन (पहला): धूसरा
- द्वितीय दिन (दूसरा): भगवान शक्ति का रंग – भगवान ब्रह्मा और भगवती सरस्वती के लिए आकारण और साक्षात्कार की भावना।
- तृतीय दिन (तीसरा): श्वेत
- चतुर्थी दिन (चौथा): लाल
- पंचमी दिन (पांचवा): रॉयल ब्ल्यू
- षष्ठी दिन (छठवा): पीला
- सप्तमी दिन (सातवाँ): हरा
- अष्टमी दिन (आठवां): मोर पंख का हरा
- नवमी दिन (नौवां): बैंगनी
ये रंग नवरात्रि के दौरान सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखते हैं, और बहुत से लोग त्योहार के प्रत्येक उपयुक्त दिन पर उसी रंग के कपड़े पहनते हैं।
नवरात्रि का महत्व
यह त्यौहार भारतीय समाज और संस्कृति में एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जिसे नौ दिनों तक मनाया जाता है। यह त्योहार वर्षा ऋतु के अंत में आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आता है, जो लगभग सितंबर और अक्टूबर के बीच होता है। नवरात्रि का महत्व निम्नलिखित है:
- देवी दुर्गा की पूजा: नवरात्रि उपासना और पूजा का एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण अंश है। इस अवसर पर भगवती दुर्गा की महिमा और उनके शक्ति स्वरूप की पूजा होती है।
- भगवती रूपों की प्रतिष्ठा: नवरात्रि के नौ दिनों में, नौ विभिन्न रूपों की देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है।
- आत्म-शुद्धि और साधना: नवरात्रि व्रत, उपासना और भक्ति का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक विकास के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।
- धर्मिक उन्नति: नवरात्रि धार्मिक शक्ति की ऊर्जा को स्त्री रूप में मान्य करता है और समाज में धार्मिक उन्नति को प्रोत्साहित करता है।
- कर्म, भक्ति और ज्ञान का मार्ग: नवरात्रि उपासना का एक मुख्य उद्देश्य अपने शिष्यों को कर्म, भक्ति और ज्ञान का मार्ग दिखाना है।
- सामाजिक एकता और समरस्ता: इस त्योहार के दौरान समाज में एकता, समरस्ता और भाईचारे की भावना को बढ़ाता है।
- आध्यात्मिक उत्थान: नवरात्रि का उत्सव आध्यात्मिक विकास और उत्थान के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।
- विभिन्न सांस्कृतिक प्रक्रियाएं: नवरात्रि भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकार की परंपरागत सांस्कृतिक प्रक्रियाएं और नृत्यों का आयोजन करता है।
- धर्मिक ज्ञान और शिक्षा: नवरात्रि के दौरान धार्मिक ग्रंथों की पठन पाठ की जाती है और विभिन्न धार्मिक विषयों पर शिक्षा दी जाती है।
- कर्मियता का विकास: नवरात्रि व्रत और उपासना के माध्यम से व्यक्ति आत्म-समर्पण और निष्कलंकता की दिशा में आगे बढ़ता है और अध्यात्मिक विकास की दिशा में प्रेरित होता है।
नवरात्रि का उद्देश्य
नवरात्रि का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- देवी दुर्गा की पूजा और उपासना: नवरात्रि का प्रमुख उद्देश्य माता दुर्गा की उपासना और पूजा करना है। यह उपासना उनकी शक्तियों और गुणों को प्राप्त करने के लिए होती है।
- आत्म-साक्षात्कार और आत्म-शुद्धि: नवरात्रि के दौरान व्रत और उपासना से व्यक्ति आत्म-शुद्धि करता है और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर चलता है।
- धार्मिक उन्नति: नवरात्रि धर्मिक उन्नति के लिए एक अद्वितीय अवसर प्रदान करता है और व्यक्ति को धार्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।
- सामाजिक एकता और समरस्ता: नवरात्रि उपासना और पूजा के दौरान समाज में एकता, समरस्ता और भाईचारे की भावना को बढ़ाता है।
- स्त्री शक्ति की प्रतिष्ठा: नवरात्रि माता दुर्गा की भगवती रूपों की पूजा करने से स्त्रियों की शक्ति और महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता दी जाती है।
- धर्मिक ज्ञान और शिक्षा: नवरात्रि के दौरान धार्मिक ग्रंथों की पठन पाठ की जाती है और विभिन्न धार्मिक विषयों पर शिक्षा दी जाती है।
- आत्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति: नवरात्रि उपासना और भक्ति के माध्यम से व्यक्ति आत्म-समर्पण और निष्कलंकता की दिशा में आगे बढ़ता है और अध्यात्मिक उन्नति की दिशा में प्रेरित होता है।
निष्कर्ष
नवरात्रि का महत्व विश्वास और उत्साह के साथ हिन्दू समाज में माता दुर्गा की उपासना और उनके शक्ति स्वरूप की पूजा करने का है। यह त्योहार धर्मिक उन्नति, आत्म-शुद्धि और सामाजिक एकता को प्रोत्साहित करता है और लोगों को सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। यह एक आध्यात्मिक उत्सव है जो व्यक्ति को अपने आंतरिक शक्तियों को पहचानने और उन्नति करने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा, नवरात्रि समाज में समरस्ता, एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ाता है और लोगों को एक सकारात्मक और उत्साही जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।
FAQs
नवरात्रि एक नौ रातें और दस दिनों का हिन्दू त्योहार है जो मां दुर्गा और उनके विभिन्न स्वरूपों की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
नवरात्रि नौ रातें और दस दिनों तक चलता है। यह आमतौर पर हिन्दू पंचांग के माह आश्विन में होता है, जो सितंबर या अक्टूबर महीने में आता है।
नवरात्रि मां दुर्गा की पूजा करने और उनकी कृपा की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है, जो शक्ति, साहस, और दिव्य ऊर्जा का प्रतीक है।
नवरात्रि के उत्सव में उपवास, पूजा, भजन-कीर्तन, नृत्य (जैसे कि गरबा और डांडिया रास), और मां दुर्गा की मूर्ति के लिए भव्य पंडाल बनाना शामिल है।
नवरात्रि भारत भर में मनाई जाती है, लेकिन विशेष रूप से गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, और कर्नाटक जैसे राज्यों में यह बहुत धूमधाम से मनायी जाती है।
नवरात्रि के दौरान उपवास करने से शरीर और आत्मा की शुद्धि होती है, देवी को समर्पित किया जाता है और संयम और नियंत्रण का अभ्यास किया जाता है।
गरबा और डांडिया रास गुजरात में नवरात्रि के दौरान लोकप्रिय नृत्य रूप हैं। गरबा में महिलाएं वृत्ताकार नृत्य करती हैं, जबकि डांडिया रास में जोड़ों में डंडे लेकर नृत्य किया जाता है।
घरों और पंडालों में रंग-बिरंगी सजावट, फूल, दीपक, और रंगोली जैसे जटिल नक्काशी किए जाते हैं, जो समृद्धि का प्रतीक होते हैं और मां दुर्गा का स्वागत करते हैं।
हां, लोग विशेष पूजा, मंत्रों का पाठ, भोग (भोजन), और मां दुर्गा के नाम में आरती (दीपकों की पूजा) करते हैं।
हां, नवरात्रि धार्मिक मूलों पर होती है, लेकिन यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी है जो एकता, आनंद, और संगीत, नृत्य, और समुदाय के रंगीन परंपराओं को प्रोत्साहित करता है।