होली पर निबंध, होली भारतवर्ष का एक महत्वपूर्ण त्यौहार हैंl होली को हिन्दू धर्म के लोग बड़ी धूमधाम से मानते हैl ये त्यौहार हर वर्ष फाल्गुन यानि मार्च के महीने में मनाया जाता हैl होली रंग बिरंगो का त्यौहार हैl होली को भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न त्यौहार माना जाता हैl
ये त्यौहार खुशियों का त्यौहार है, आपस में सब मिलकर एक दुसरे रंग लगाते है और गले मिलते हैl होली कई रंगों से खेला जाता है l होली की कई प्रचलित कथाये है, जैसे होलिका दहन, ब्रज कि होली, लठमार होली इत्यादिl
होली एक रंगीन त्योहार है जो हर धर्म के लोग उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। यह पर्व प्यार भरे रंगों से सजा होता है और वहाँ हर धर्म, संप्रदाय और जाति के बंधनों को छोड़कर एक-दूसरे के साथ भाईचारे का संदेश देता है।
इस दिन लोग अपने पुराने विवादों को भूलकर आपस में गले मिलते हैं और एक-दूसरे पर गुलाल फेंकते हैं। बच्चे और युवा रंगों के साथ खेलते हैं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह त्योहार मनाया जाता है। होली के साथ कई कथाएं जुड़ी हैं। होली के पूर्व रात को होली को जलाया जाता है, जिसके पीछे एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है।
होली क्या है?
होली, भारतीय त्योहारों का एक अनूठा पर्व है जो सभी आयु वर्गों के लोगों को एकजुट करने का अवसर प्रदान करता है। यह एक विशेष दिन है जब सभी व्यक्ति अपने अशीर्वाद, प्यार और मित्रता का इजहार रंगों के साथ करते हैं। होली एक बारहमासी त्योहार है, जिसे विशेष रूप से भारत में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
होली का आयोजन फागुन मास के पूर्णिमा को किया जाता है, जब प्रकृति नए रंगों में सजग होती है और वसंत ऋतु का स्वागत होता है। इसे “रंगों का त्योहार” कहा जाता है क्योंकि इस दिन लोग एक दूसरे पर विभिन्न रंगों का पारंपरिक आभूषण लगाते हैं और खुशियों के रंगों में डूब जाते हैं।
होली के इस अद्वितीय मौके पर स्कूल और संस्थानों में होली पर निबंध लेखन का आयोजन किया जाता है। छात्रों को इस मौके पर अपनी भाषा में अपने विचारों को व्यक्त करने का अवसर मिलता है, जिससे उनका अभिवादन और सोचने का तरीका स्थायी रूप से बदल सकता है।
होली का महत्व
होली, भारतीय समाज में रंग और खुशी का प्रतीक है। यह एक ऐसा त्योहार है जो समृद्धि, सौहार्द, और एकता का संदेश साझा करता है। इस दिन समाज में बनी दुर्भावनाओं को भूलकर, लोग एक-दूसरे के साथ खुशियों के रंगों में गले मिलते हैं। होली का त्योहार भारतीय सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और इसका महत्व अत्यधिक है।
- फागुन मास का आगमन: होली का आयोजन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होता है, जो वसंत ऋतु का सूचक होता है। इस दिन प्रकृति नए रंग में सजीव होती है और सुंदरता का उत्साह बढ़ता है।
- रंग भरने का आनंद: होली का मुख्य आकर्षण रंगों का खेल है। इस दिन लोग एक दूसरे पर रंग फेंकते हैं और अपने जीवन में रंग भरने का आनंद लेते हैं।
- सामाजिक सौहार्द: होली एक ऐसा त्योहार है जिसमें समाज में सौहार्दपूर्ण वातावरण बनता है। लोग अपनी दुर्भावनाओं को भूलकर एक दूसरे से मिलते हैं और आपसी मतभेदों को छोड़ देते हैं।
- धार्मिक महत्व: होली को धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। प्राचीन कथाओं और पुराणों के अनुसार, होली पर्व का आयोजन भगवान श्रीकृष्ण के बचपन के लीला को याद करने के लिए किया जाता है।
प्रसिद्ध पौराणिक कथा
होली, भारतीय समाज में एक प्रमुख पर्व है जो खुशियों और उत्साह का प्रतीक है। इस त्योहार का महत्व अनेक पुराणिक कथाओं और मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। इसमें से एक प्रमुख कथा है ‘हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद’ की कथा।
पौराणिक अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस राजा था जो अत्यंत अहंकारी और भगवान विष्णु के प्रति घमंडी था। वह अपने पुत्र प्रह्लाद से भगवान विष्णु की पूजा करने को मना करता था, बल्कि खुद को ही भगवान मानता था। परंतु प्रह्लाद, जो कि भगवान विष्णु के भक्त थे, उनके प्रति वफादार और भक्तिभाव से भरे थे।
हिरण्यकश्यप ने अनेक प्रकार के उत्पीड़न करने के बाद भी प्रह्लाद को विष्णु की पूजा करने से रोक नहीं सका। तब उसने अपनी बहन होलिका की सहायता ली, जिनके वरदान से वह असंभावित जगह में अग्नि में बैठ सकती थीं। हिरण्यकश्यप ने सोचा कि वह अपने पुत्र को होलिका के साथ आग में बैठा कर मार डालेगा।
लेकिन यहाँ पर एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुआ। जब होलिका अग्नि में बैठी, तो वह जलकर मर गई, परंतु प्रह्लाद असंभावित रूप से सुरक्षित रहे। यह घटना दिखाती है कि भक्ति और सत्य की विजय होती है।
इस पर्व का नाम होली भी होलिका के नाम पर है और यही कारण है कि होली के दिन लोग होली दहन के रूप में आग को जलाते हैं, इसे होलिका दहन भी कहा जाता है।
यह पर्व भाईचारे, प्यार और खुशियों का प्रतीक होता है, जिसमें लोग एक-दूसरे के साथ रंग और गुलाल फेंककर खुशियां मनाते हैं।
होली कैसे मानते है l
होली में लोग एक दुसरे को रंग और गुलाल लगाते है, प्यार से एक दुसरे के गले लगते है। इस दिन हम कई तरह के पकवान घर पे बनाते और खाते है और दुसरो को भी खिलते है। इस दौरान फागुन के गीत भी गाते है, होली के एक दिन पहले होलिका दहन होता है।
होलिका बनाने के भिन-भिन प्रकार है। लकड़ी, घास, गोबर पेड़ की टहनिया आदि का उपयोग करते है, फिर उसका दहन (जलाया) जाता है, ऐसा इसलिए करते है ताकि बुराई पे अच्छाई की जीत हो। दहन के बाद सभी औरते, पुरुष और बच्चे होलिका का चक्कर लगाते है और पुजा करते है।
इसके बाद से ही होली का त्योहार शुरु होता है और मजे करते है अच्छी बात तो यह हें की होली एक राष्ट्रीय त्यौहार है इस दिन सबकि छुटियाँ होती है और सब परिवार एक साथ मनोरंजन करते है।
होली के त्योहार की तैयारी कैसे करें?
होली का त्योहार आते ही सभी अपने-अपने तरीके से तैयारी में जुट जाते हैं। यह त्योहार फागुन मास की ठंड को विदाई देता है और मौसम में खुशियों की लहर लाता है। इस पर्व पर फाग गाने की परंपरा भी है, जो बिना फाग लोकगीतों के कुछ अधूरा सा लगता है। शुरू में, लोगों को फाग सुनकर ही पता चलता था कि होली आ रही है। ढोलक, मंजीरे, और हारमोनियम के साथ लोग अपने गायन कौशल से रंगीन फाग गाते हैं और दिलों को जीत लेते हैं। होली के मौके पर फाग प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है।
विशेष रूप से बच्चों में होली के त्योहार के लिए काफी उत्साह होता है। वे होलिका दहन के लिए लकड़ियाँ इकट्ठा करने लगते हैं। गाँवों में, लकड़ियाँ आसानी से मिल जाती हैं, लेकिन शहर के बच्चे खराब फर्नीचर आदि की तलाश में होते हैं और अक्सर दूसरों से मांगकर होलिका के लिए लकड़ियाँ इकट्ठा करते हैं। सभी लकड़ियों की यह योगदान देने की प्रक्रिया होती है।
महिलाएँ घरों में होली के त्योहार के लिए आने वाले लोगों के लिए मिठाइयाँ, नमकीन और गुजिया बनाने में जुट जाती हैं। रंग और गुलाल की तैयारी भी होती है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा के साथ होलिका दहन के साथ यह त्योहार शुरू होता है और अगले दिन होली का रंग-बिरंगा त्योहार मनाया जाता है। लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएँ देते हैं। शहरी संस्कृति ने होली मिलन कार्यक्रमों को जन्म दिया है, जिसमें राजनैतिक दल, संस्थाएँ होली मिलन कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं।
Click to View More Details About Holi Festival.
इस दिन ऐसा लगता है कि लोगों को एक-दूसरे को रंगने और पानी से भिगाने का लाइसेंस मिला होता है। साथ ही “बुरा न मानो, होली है” का जुमला यह बताता है कि आज के दिन लोगों को रंग-गुलाल लगाने की छूट है और इससे किसी को भी नाराज नहीं होना चाहिए। होली पर निबंध
होली में रंगों का क्या महत्व है?
देखा जाये तो, होली वास्तव में रंगों का त्योहार है। इसकी पहचान, रौनक और आत्मा इन्हीं रंगों में बसी है। जब होली के रंगों से सराबोर चेहरे, और रंगीन कपड़े होते हैं, तो वे सभी के चेहरों पर एक मुस्कान ले आते हैं। यह त्योहार बुजुर्गों को भी बच्चा बना देने की ताकत रखता है और उन्हें जीने का नया जोश और उत्साह प्रदान करता है। होली के त्योहार में कई तरह के रंगों की आभा होती है, जो इस त्योहार की जान हैं।
होली क्यों मनाया जाता है?
होली का त्यौहार एक प्राचीन कथा से जुड़ा है। कहा जाता है कि पुराने समय में हिरण्यकश्यप नामक राक्षस राजा था। उसकी बहन का नाम होलिका था और उसका बेटा प्रह्लाद विष्णु भगवान का भक्त था। प्रह्लाद ने बचपन से ही भगवान विष्णु की पूजा की थी।
इस बात को हिरण्यकश्यप को असहमति थी और उन्होंने प्रह्लाद को बार-बार भगवान विष्णु की पूजा से रोकने की कोशिश की। हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानता था और वह चाहता था कि सभी उसे ही पूजें। जब प्रह्लाद ने उनकी इच्छा को मानने से इनकार कर दिया, तो हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी।
होलिका को एक वरदान मिला था जो उसे अग्नि में जलाने से बचाता था। हिरण्यकश्यप ने अपने भक्त प्रह्लाद को अग्नि में बैठाया, लेकिन वहाँ जा कर होलिका जलकर भस्म हो गई और प्रह्लाद बच गया, जिसे भगवान विष्णु ने उसकी सच्ची श्रद्धा की रक्षा के लिए किया। इस घटना के बाद से, लोग होलिका दहन के बाद होली का त्यौहार उत्साह से मनाते हैं।
इससे हमें यह सिखने को मिलता है कि हमेशा बुराई पर अच्छाई की जीत होती है। लोग होली के इस त्योहार में रंग और गुलाल के साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं, जो इस त्यौहार का वास्तविक अर्थ है। इसलिए, हमें सदैव नेक काम करने की प्रेरणा लेनी चाहिए।
होली के हानिकारक प्रभाव
होली एक रोमांचक और रंगीन त्योहार है, जिसे लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। लेकिन कुछ बार होली के दिन अनजाने में दुर्घटनाएं हो जाती हैं, जिन पर सावधानी बरतना चाहिए।
कई लोग होली पर केमिकल या कांचीले रंगों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे त्वचा पर असुविधा हो सकती है। वे मादक पदार्थों का सेवन करते हैं, जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हैं।
बच्चे गुब्बारों में पानी भरकर गाड़ियों पर फेंकते हैं, या पिचकारी या रंग आंखों में फेंककर खेलते हैं, जो कभी-कभी दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है।
होली के दिन ऐसे रंगों और गतिविधियों से बचें, जो दूसरों के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। सावधानी बरतें और समझदारी से खेलें, ताकि किसी को भी कोई चोट न लगे और सभी का त्योहार सुरक्षित और आनंदमय हो।
निष्कर्ष (होली पर निबंध)
दोस्तों, होली के खेल में सावधानी बरतना बहुत महत्वपूर्ण है। हमें केमिकल-मुक्त रंगों का ही उपयोग करना चाहिए, जो पर्यावरण के लिए अधिक सहयोगी होते हैं और दूसरों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
हमें सभी को यह संदेश देना चाहिए कि वे भी सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल रंगों का ही उपयोग करें, जो बाजार में आसानी से उपलब्ध होते हैं।
हमें किसी भी प्रकार के अंडे, मोबाइल आयल, ग्रीस, या कोई अन्य केमिकल-संबंधित चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, जो आंखों और त्वचा को हानि पहुंचा सकती है। इस तरह के अनुचित पदार्थों से बचना हमारी स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
FAQs
होली एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो वसंत ऋतु के आगमन को मनाने के रूप में मनाया जाता है। यह रंग, मस्ती और उत्साह का पर्व होता है।
होली फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो मार्च या अप्रैल महीने में होती है।
होली का त्योहार विभिन्न पौराणिक कथाओं और विशेष घटनाओं से जुड़ा हुआ है, जैसे होलिका दहन और प्रहलाद कथा।
होली में लोग गुलाल, रंग, और पानी के साथ खेलते हैं, गाने-नृत्य करते हैं और मिठाईयाँ बाँटते हैं।
होली को रंग, गाने, नृत्य, और परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मनाया जाता है।
होली के दिन लोग घरों को सजाते हैं, गुलाल और रंग का स्टॉक करते हैं और विशेष खाने-पीने की व्यवस्था करते हैं।
होली के दिन लोग मिठाई, गुजिया, और खास व्यंजन बनाते हैं और एक-दूसरे के घर जाकर खाने की व्यवस्था करते हैं।
कृपया केमिकल रंगों का इस्तेमाल न करें और अच्छे गुणवत्ता वाले पर्यावरण-संज्ञेय रंगों का ही इस्तेमाल करें। आदरपूर्वक खेलें ताकि किसी को चोट न लगे।
बच्चों को केवल पर्यावरण के अनुकूल और साफ-सुथरे रंगों का ही इस्तेमाल करना चाहिए। सुनिश्चित करें कि रंग आंखों में नहीं जाते हैं।
होली में प्राकृतिक रंग जैसे हरा, पीला, गुलाबी आदि का इस्तेमाल करके प्राकृतिक संसाधनों का समर्थन किया जा सकता है। इससे पर्यावरण का भी संरक्षण होता है।
Pingback: दुर्गा पूजा पर लेख । Article/Essay on Durga Puja in Hindi