भूमि प्रदूषण भी एक बहुत बड़ा कारण है बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग का । बढ़ते प्रदूषण के कारण धरती की उपजाऊ मिटटी का कम होते चला जा रहा है। ज्यादेतर भूमि प्रदूषण बढ़ने के कारण है जंगलो, वनों की कटाई । लोग पर्यावरण के ख्याल नही रखते है अपने स्वार्थ के लिए पेड़ पौधों की कटाई करते जा रहे है। जंगलो को काट कर खेल खलिहान और बड़े – बड़े कल कारखानों का स्थापित हो रहा है । जिसके वजह से भूमि का भी प्रदूषण का खतरा बढ़ता जा रहा है।
वनों को काट कर औद्योगिक एवम आवासीय क्षत्रो और कस्बो में बदल दिया जा रहा है। लोगो द्वारा प्लास्टिक की थैली को उपयोग करके खुले में जमीन पर फेक देने की वजह से भूमि प्रदुषण बढ़ रहा है, साथ ही साथ मिटटी की उपजाऊ भी कम हो रही है।
देश में जनसंख्या वृद्धि का होना भी प्रदूषण का एक मुख्य कारण है । लोग जगह – जगह न सड़ने गलने वाले अपशिष्ट पदार्थ ऐसे ही जमीन पर फेक देते है। कचरे के ढेर की वजह से भूमि के साथ – साथ वायु भी प्रदूषित होता है । कुछ कचरे ऐसे होते है जो सड़ते नही है और गंध फैलाते है, आस पास के रहने वाले लोग के लिए दिक्कत होती है, परन्तु ये सब उन्ही लोगो के द्वारा ही फैलता है।
भूमि प्रदूषण के कारण
भूमि प्रदूषण बढ़ने के कई कारण है। प्रदूषण के वजह से पुरे विश्व का विकास दर की गति धीमी हो जाती है । मनुष्य अपने अपना जीवन यापन करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है, परन्तु कुछ स्वार्थी लोगो की वजह से भूमि प्रदूषित होते चली आ रही है।
वनों की कटाई –
मानव अपने जीवन यापन करने के या जरूरतमंद को पूरा करने के लिए वनों, पेड़ पौधों की कटाई करते जा रहा है । जिससे भूमि और वायु दोनों प्रभावित और प्रदूषित होते है । अगर हमें मिटटी की संतुलन को बनाये रखना है तो वनों रहना जरुरी है । पेड़ पौधों की वृद्धि भी जरुरी है । क्योकि इन सब की कमी वजह से मिटटी का कटाव हो जाता है फिर जमीन बंजर हो जाती है । जंगलो की कटाई करके वहा पर फैक्ट्री, कल कारखानों का निर्माण होते जा रहा है।
ठोस अवशेष –
हमारे जीवन में कुछ ठोस अवशेष होते है जो ना तो सड़ते है और ना ही गलते है । जैसे प्लास्टिक, डिब्बे, कंटेनर, इलेक्ट्रानिक के सामान इत्यादि जैसे अपशिष्ट पदार्थ होते है । हालाकि की इस समय मशीनों द्वारा निर्मित कुछ प्लास्टिक बायो बायोडिग्रेडेबल और कुछ नान – बायोडिग्रेडेबल होते है । जो नान बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट पदार्थ होते है उनकी वजह से भूमि का प्रदुषण बढ़ रहा है।
रासायनिक दवा –
बाजारों में कुछ रासायनिक दवा होती है जो कीटनाशको के रूप में उपयोग की जाती है । परन्तु उसके तरल और ठोस तत्व के वजह से धरती उपजाऊ कम हो जाती है । और ये भू प्रदूषण का एक कारण बनता है।
कृषि गतिविधिया –
गाँवो में किसानो द्वारा उपयोग किया जाने वाला उर्वरक (खाद) अच्छी फसल के लिए भी एक भूमि प्रदूषण का कारण है । क्योकि ज्यादे उर्वरक (खाद) खेतो के मिटटी के लिए हानिकारक होता है, जो मिटटी की उपजाऊ को कम कर देता है । कीटनाशक की दवा भी किसानो द्वारा प्रयोग में लाया जाता है जिसके कारण फसल तो अच्छी होती है परन्तु भूमि प्रदूषित होती रही है।
निष्कर्ष
हमें भूमि प्रदूषण के बचने के ज्यादे से ज्यादे पेड़ लगाने चाहिए और वनों की कटाई को रोकना चाहिए। खेतो में किसानो को गोबर खाद का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए । पानी की बहाव से मिटटी की कटाव को रोकना चाहिए । इसमे हम सबको मिलकर योगदान देना चाहिए। सरकार को सख्त पाबंधी लगाना चाहिए जंगलो की कटाई पर।
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