दोस्तों ऐसा तो सब जानते है की परिश्रम ही सफलता की कुंजी है । परन्तु आजकल के लोग बिना परिश्रम के भी पैसा कमाना चाहते है जो ऐसा होना संभव नही है । कुछ लोग तो ऐसा करके मतलब थोडा बहुत मेहनत करके पैसा कमा तो लेते है । परन्तु वो ज्यादे दिन तक इस धन को संचित नही कर पाते है । आजकल मनुष्य बिना परिश्रम के अपने जीवन में कुछ नही कर सकता है ।
जैसा की हम सब जानते है भगवद्गीता में इस परिश्रम के महत्व को बखूबी भगवान् श्रीकृष्ण के द्वारा अपने प्रार्थी अर्जुन को उपदेश दिया है की “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन:” । मनुष्य की वास्तविकता पूजा अर्चना जो है उसके कार्य यानि की परिश्रम से ही है । इस सब के बिना मनुष्य को सुख-समृधि पाना अत्यंत मुश्किल है ।
जो भी व्यक्ति इस परिश्रम से दूर भागता है वो बिलकुल कर्महीन, आलसी, दुखी और दुसरो पर निर्भर रहने वाला होता है । ऐसे लोग अपने आगे की जीवन में कुछ नही कर पाते है बस हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते है ।
हमे अपने जीवन में परिश्रम को उतना ही महत्व देना चाहिए जितना हम अपने आगे की जिन्दगी जीने लिए भोजन को देते है । हम किसी भी महान व्यक्ति को देखे तो ऐसे ही महान नही हो जाते है उसके पीछे उसकी कड़ी मेहनत की वजह से वह सफल हुआ होता है । लोगो को सफल होने के लिए कठिन परिश्रम की जरुरत होती है ।
परिश्रम का महत्व
परिश्रम का असली महत्व है जो व्यक्ति अपनी इच्छाओ या सपनो के मेहनत करके उसको हासिल करता है वो असल में परिश्रमी व्यक्ति कहलाता है । परिश्रमी व्यक्ति हमेशा अपनी आकांक्षाओ को प्राप्त करने के लिए वो खुद ही उसका रास्ता चुनता है । परिश्रमी व्यक्ति कभी भी रास्ते में आने वाले मुश्किलो व संकटों से कभी पीछे नही हटता है, वह अपनी मंजिल को प्राप्त करके उसको सफल बनाता है ।
परिश्रम एक ऐसी चीज है जो किसी भी काम को असंभव से संभव बना सकता है । इतिहास गवाह है की जो भी व्यक्ति जितना कठोर मेहनत करता है यानि की परिश्रम करता है वो उतना ही अपनी जीवन को सरल बनाता है । परिश्रम का कोई भी सीमा बाधित नही होता है।
परिश्रमी व्यक्ति हमेशा अपने परिश्रम से वो केवल की धन ही नही कमाता है, बल्कि वो अपने परिश्रम से सुख, शांति, यश कीर्ति और आनंद की भी सहानुभूति प्राप्त करता है ।
दूसरी ओर कर्महीन लोगो को देखे तो वो हमेशा अपने आलस पर निर्भर रहते है । कोई भी काम करना होता है तो वो सदैव अपने भाग्य पर निर्भर रहते है । ऐसे लोग कभी भी अपने अंदर की कमियों को नही देखते है, हमेशा से वो दुसरो में कमी और दोष निकालते रहते है । ऐसे लोग भाग्य भरोसे जीते है जो भी उनकी जिन्दगी में मिलता है उसका भगवान की प्रसाद समझकर रख लेते है । लेकिन कभी भी अपने तरफ से थोडा भी मेहनत करने को कोशिश नही करते है ।
लोगो के विकास और समृधि पाने के लिए परिश्रम करने की आवश्यकता है । सभी लोगो से ये ही निवेंदन है सभी व्यक्ति परिश्रमी है जो मनुष्य के लिए एक सफलता जी कुंजी है । अगर पहले से लेकर अभी तक का जो सफ़र देखे तो , जो भी उन्नति और विकास के मार्ग में आने वाले सभी परेशानियों का हल निकालते हुए आगे की ओर अग्रसर रहता है और परिश्रम करने से कभी नही पीछे हटता है ।
परिश्रम का वास्तविक स्वरूप क्या होता है ?
अगर देखा जाये तो परिश्रम का वास्तविक स्वरूप क्या होता है, अक्सर लोग इसी उलझन में रहते है की कैसे परिश्रम करने चाहिए और कब करना चाहिए । सच बात ये है की लोगो को बिना फल की चिंता किये परिश्रम करते रहना चाहिए । यही कथन भगवान श्रीकृष्ण जी ने गीता में कहा है ।
क्योकि परिश्रम करता हुआ व्यक्ति एक न एक दिन जरुर सफल होता है । जब भी हम कोई भी कार्य की शुरुवात करते है तो हमें उस काम को लगन के साथ करने रहना चाहिए । सफलता अपने आप हासिल हो जाएगी अगर हम पूरी लगन के साथ परिश्रम करे ।
कठोर परिश्रम के लाभ
किसी को भी परिश्रम का लाभ इतनी आसानी से नही मिल पाता है, चाहे आमिर या गरीब ही क्यों ना हो । परिश्रम तो सबको करना ही पड़ता है और निरंतर परिश्रम करने वाले ही एक सफल पुरुष बनते है । इस तरह हमें भी बिना संकोच किये लगातार परिश्रम करते रहन चाहिए ।
आजकल की दुनिया देखा जाये तो लोगो को रहना और खाना बहुत ही आरामदायक हो गया है । उन लोगों को परिश्रम का पता ही नही चलता है और वो लोग दिन प्रतिदिन आलसी होते जाते है । लेकिन आज के युवा पीढ़ी को ये समझना होगा की कोई भी सफलता बिना परिश्रम के नही मिलता है ।
परिश्रम से कुछ अलग सीखने को मिलता है ?
आज के समय में लोगो के बीच रेस लगी हुई है । अगर हम सही तरीके से कोई परिश्रम या कठोर मेहनत नही की तो आज के रेस में हम पीछे छुट जायेंगे । इसलिए हमें अपने परिश्रम से कुछ अलग सिखने को मिलता है, जो सबसे बेहतर बनने के काबिलियत रखता है । हमें अपनी कठिन परिस्थितियों से सामना करना सिखाती है । परिश्रम से लोग खुद में बदलाव करके और आने वाली कठिन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहते है ।
हमे मेहनत करने से सफलता तो मिलती परन्तु उसके साथ अच्छे चरित्र का निर्माण होता है । समाज में सम्मान, कीर्ति और यश भी बढ़ता है । लोगो के बीच सकारात्मकता का भाव बना रहता है । ऐसे ही इतिहास में देखने लिए कई उदाहरण मिलेंगे जिन्होंने ने अपने परिश्रम के वजह कितनी कीर्तिमान स्थापित किये । जैसे की डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम है जो कठिन परिश्रम से ही भारत देश को कई मिसाइल दिए जिसकी वजह से उन्हें मिसाइल मैन के नाम से जाना जाता है । अब्दुल कलाम अपने कठिन परिश्रम के वजह से ही भारत के राष्ट्रपति और वैज्ञानिक भी बने ।
ऐसे ही जे. जे. थामसन को कहा जाता है की वो बचपन में मंदबुद्धि के वजह से उनको स्कूल से निकल दिया गया था । लेकिन उन्होंने अपने परिश्रम और काबिलयत के दम पर बल्ब का अविष्कार किया । परन्तु उन्होंने अपने काम में हजार बार फेल होने के बावजूद भी परिश्रम करना नही छोड़ा आखिर में उन्हें सफलता मिल ही गयी । इसलिए हमें भी परिश्रम करना नही छोड़ा चाहिए ।
निष्कर्ष
कहा जाता है की तन मन धन से परिश्रम करने वाले की कभी हार नही होती है । हम सभी को परिश्रम करना सिखा चाहिए जिससे अपनी मंजिल प्राप्त कर सके । परिश्रम ही एक ऐसी चीज है जो आपके जीवन में सब कुछ दिला सकती है । परिश्रम करने वाले एक जरुर अपने देश और समाज का नाम रौशन करते है ।
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