विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध। Student and Discipline Essay in Hindi

दोस्तों, किसी भी समाज में एक व्यक्ति की अनुशासन की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है । क्योंकि मनुष्य की अनुशासन ही उसकी श्रेष्ठता की पहचान कराता है । एक अनुशासित व्यक्ति को उसे समाज में उच्चतम स्थान दिलाता है।

विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन होना एक स्वाभाविक चीज होता है । एक अनुशासित विद्यार्थी की उपयोगिता तथा उसका कद स्कूल व समाज में दिन प्रतिदिन बढ़ते जाता है । क्योंकि यह समय के साथ उस व्यक्ति के चरित्र का भी निर्माण करता है । या हम दूसरे तरह से कह सकते है की, विद्यार्थी जीवन किसी भी व्यक्ति का उसके जीवन का एक आधार शिला होता है।

क्योंकि जो भी व्यक्ति समय के साथ गुण व अवगुण का आत्मसात करता है, उसी के आधार पर उसके चरित्र का निर्माण होता है । हम बिना किसी अनुशासन का पालन किये बिना कोई भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकते है । इसलिए सभी को अनुशासन की महत्व को समझना चाहिए।

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व

एक विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का होना सबसे ज्यादा जरूरी होता है । क्योंकि एक अनुशासन विद्यार्थी अपना हर कार्य समय पर पूरा करता है । वह हर कार्य को मन व लगन के साथ मेहनत करता है।

अनुशासन का पालन करने वाले छात्र सदैव परिश्रमी होते है । वह कक्षा में अध्यापक द्वारा बताये गयी सभी बातों का अनुसरण करता है । उसकी अवहेलना न करके बल्कि उसका पालन करता है । अनुशासित विद्यार्थी अध्यापक द्वारा दिये गया काम को बिना किसी टाल मटोल किये उसको पूरी लगन से पूरा करता है।

अगर कोई विद्यार्थी को अनुशासन की राह पर चलने की आदत पद जाती है तो उसके आगे का भविष्य काफी सुलभ व सरल हो जाता है । क्योंकि एक अनुशासित व्यक्ति अपने कार्य को अनुशासन में रह कर अच्छे से संभालता है । वह अपनी जिम्मेदारी को अच्छे से समझता है।

इस वर्तमान समय की बात करें तो लोगों के अन्दर अनुशासन की कमी होती जा रही है । इस अनुशासनहीनता के कारण और बढती हुई प्रतिस्पर्धा के दौर में लोगों का जीवन काफी व्यस्त रहने लगा है । जिसके वजह से उनके घर में असंतोष का भाव पैदा होता है, और हमेशा किसी न किसी से कोई कार्य को लेकर झगड़ा होते रहता है।

अनुशासन का अर्थ

अनुशासन का अर्थ होता है नियम का पालना करना । जो नियम या शासन समाज या सरकार द्वारा व्यवस्थित किये जाते है । उसे पूरी नैतिक जिम्मेदारी के साथ निभाना चाहिए । जो समाज व बड़े लोगों द्वारा जो भी नैतिक व सामाजिक नियम निर्धारित किये जाते है, उसे ही हम अनुशासन कहते है।

अनुशासनहीनता का दुष्प्रभाव

लोगों के अंदर दुष्प्रभाव अलग – अलग तरह से देखा जा सकता है । कुछ विद्यार्थी जो अनुशासनहीन होते है उन्हें पढाई में ध्यान कभी भी नहीं लगता है । वे हमेशा पढाई में पिछड़ते जाते है । उनका कोई भी एक लक्ष्य निर्धारित नहीं होता है।

वे छात्र हमेशा अपनी ताकत दूसरे छात्रों के समूह बनाकर ही दिखाते है, खुद के बल बूते एक काम नहीं कर पाते है । वह अपन धौंस दिखने के लिए दूसरे व सरकारी सम्मति को क्षति पहुँचाते है । हमेशा वो बुरी संगत में पड़ते जाते है जिससे एक दिन वह किसी भी काम के लायक नहीं रह जाते है।

अनुशासनहीनता को रोकने का उपाय

हम अनुशासनहीनता को रोकने के लिए सबसे पहले मनुष्य को अपनी आत्मा को अनुशासन में करना चाहिए । क्योंकि एक व्यक्ति तभी अनुशासन में रह सकते है जब उसका मन व दिमाग खुद के नियंत्रण में हो।

छात्रों में अनुशासन का भाव पैदा करने के लिए उन्हें नैतिक शिक्षा अवश्य देना चाहिए । इसके अलावा उनके साथ मित्रता का व्यवहार तथा उनके हर समस्या का निवारण करके ही अनुशासनहीनता पर रोक लगा सकते है।

निष्कर्ष

एक व्यक्ति को अपने जीवन में सफल पुरुष बनने के लिए उसे अनुशासित होना बहुत जरूरी है । अनुशासन हमें अपने जीवन में सही तरीके से जीने में मदद करता है।

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