विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध। Essay On Students & Discipline in Hindi

विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध

अनुशासन का अर्थ होता है किसी नियम, आदेश या निर्देश का पालन करना, और यह जीवन में व्यवस्थितता और नियमितता को दर्शाता है। माता-पिता, गुरु, और अन्य प्रमुख व्यक्तियों के निर्देशों और सलाहों का सम्मान करना, उनकी बातों को मानना और उन्हें अनुसरण करना अनुशासन का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। यह न केवल विद्यार्थी जीवन में ही बल्कि सभी क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण होता है।

अनुशासन के माध्यम से ही विद्यार्थी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के दिशा में प्रगति कर सकते हैं। यह उन्हें समय का सही उपयोग करने, अपने कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने, और नियमित अभ्यास करने में मदद करता है। अनुशासन उन्हें संयम, सजगता और नियमितता का सिखाता है, जो उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में महत्त्वपूर्ण होते हैं।

सही मार्गदर्शन और अनुशासन विद्यार्थियों को समय प्रबंधन, सही दिशा में अग्रसर होने, और समृद्धि की दिशा में मदद कर सकते हैं। इसलिए, अनुशासन को अपनाना जीवन में सफलता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम हो सकता है।

विद्यार्थी के जीवन में अनुशासन का महत्व

अनुशासन जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। यह व्यक्ति को संयमित और नियमित बनाता है, जिससे उसका जीवन संतुलित और व्यवस्थित रहता है। विद्यार्थी-जीवन में अनुशासन का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। छात्र को समय की महत्ता को समझना चाहिए, और वह अपने अध्ययन में प्रतिबद्धता से लगन करना चाहिए। इसके अलावा, वह बड़ों का सम्मान करना और उनकी सलाह को मानना चाहिए। अनुशासन छात्र को जीवन में सही दिशा और नैतिकता प्रदान करता है ताकि वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सके।

छात्र को झूठ नहीं बोलना चाहिए और हमेशा सत्य का पालन करना चाहिए। वह अपने वचनों पर निर्भर होना चाहिए और किसी को धोखा नहीं देना चाहिए। अशिष्ट व्यवहार से बचना चाहिए और उचित आचरण को अपनाना चाहिए। अच्छी संगति बनाना और सही व्यक्तिगत गुणों को विकसित करना छात्र के लिए आवश्यक होता है।

समाज में विद्यार्थी की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है, और उसका अनुशासन से ही उसका भविष्य सफल होता है। अनुशासन से ही व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है, क्योंकि यह उसे सही मार्ग पर चलने के लिए दिशा प्रदान करता है। बिना अनुशासन के, व्यक्ति कठिनाइयों में फंस सकता है और जीवन में स्थिरता नहीं प्राप्त कर सकता है।

अनुशासन से छात्र नई चीजों को सीख सकते हैं और अपने अनुभवों से सीख सकते हैं। यह उन्हें सच्ची शिक्षा प्रदान करता है और उन्हें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद करता है। इसलिए, अनुशासन का पालन करके छात्र अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और समाज में उत्तम नागरिक बन सकते हैं।

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विद्यार्थी जीवन में विद्या और अध्ययन का समय –

विद्यार्थी का शब्दिक अर्थ होता है ‘विद्या’ और ‘अर्थी’, जिससे स्पष्ट होता है कि विद्यार्थी वह होता है जो विद्या की प्राप्ति के लिए अभ्यस्त रहता है। अनुशासन का अर्थ होता है ‘शासन’ या ‘नियंत्रण’ को मानना, जिसमें व्यक्ति अपनी उच्चकंठ चेष्टाओं को नियंत्रित करता है। विद्यार्थी की उम्र चार से पच्चीस वर्ष के बीच मानी जाती है, जब उसे शिक्षा और अध्ययन का काल मिलता है।

इस समय में विद्यार्थी को न घर-परिवार का दबाव होता है, न सामाजिक दायित्व का, और न ही आर्थिक चिंता का। उसे स्वतंत्रता से अपने शारीरिक, बौद्धिक, और मानसिक विकास का मार्ग प्राप्त होता है। यह संभावना सिर्फ तभी हो सकती है जब वह अनुशासन में रहता है, चाहे वह गुरुजनों का हो या माता-पिता का। इससे उसमें शील, संयम, ज्ञान-प्रवृत्ति, और नैतिकता की भावना जागृत होती है।

प्राथमिक स्तर पर विद्यार्थी जीवन में अनुशासन की भूमिका

जब एक बच्चा पहली बार विद्यालय जाता है, तो उसे वहां पर शिक्षक द्वारा अनुशासित व्यवहार सिखाया जाता है। शिक्षक बच्चों को सही ढंग से बैठना, पंक्ति में खड़े होना और समूह में शामिल होने की सही तकनीकें सिखाते हैं। इस दौरान बच्चे समूह में अनुशासित व्यवहार करना सीखते हैं और वे सभ्यता और नैतिकता की बुनियाद रखते हैं। विद्यालय के इस प्रारंभिक चरण में ही बच्चों को भाषा का ज्ञान, पढ़-लिख का संचार, और शिक्षकों की सुनने की क्षमता मिलती है। इससे ही उनका शिक्षागत अनुशासन प्रारंभ होता है।

विशेष रूप से वह बच्चे जो शिक्षकों की सुनते हैं और उनकी बातों का पालन करते हैं, उनकी शिक्षा की गति अधिक तेज होती है। ऐसे बच्चे ज्यादा सहजता से और सही तरीके से नए ज्ञान को अपना सकते हैं। इस प्रकार, प्रारंभिक स्तर पर अनुशासित व्यवहार बच्चों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो उनकी एकाग्रता और शिक्षागत उन्नति में मदद करता है।

आज के विद्यालयों में अनुशासन

आजकल कई विद्यालयों में अनुशासन का पालन पहले के मुकाबले कम होता नजर आता है। प्राचीन काल में गुरुकुलों या वैदिक शिक्षा केंद्रों में अनुशासन का महत्त्व बहुत अधिक था और वहां छात्रों को सम्मान और अनुशासन की शिक्षा दी जाती थी। वहां पर छात्रों को गंभीरता से अनुशासन का महत्त्व सिखाया जाता था।

लेकिन आजकल के महाविद्यालयों में, छात्र अक्सर अनुशासन को ध्यान में नहीं रखते हैं। वे अक्सर अनुशासन को भूल जाते हैं और पढ़ाई के समय या छुट्टी में यहाँ-वहाँ घूमते रहते हैं। इससे न केवल उनका अनुशासनहीन व्यवहार होता है, बल्कि उनकी सभ्यता भी गायब हो रही है। शिक्षकों के प्रति सम्मान कम हो रहा है और वे उनके सलाह या उपदेश को गंभीरता से नहीं लेते हैं। ऐसे माहौल में छात्रों की शिक्षा और उनका विकास प्रभावित होता है।

इससे यह साबित होता है कि अनुशासन छात्रों के विकास में बहुत महत्त्वपूर्ण है। उन्हें समय और स्थान की उपयोगिता को समझना चाहिए ताकि वे अच्छे अध्ययन कर सकें और सभी मानवीय गुणों को समझ सकें।

जीवन में अनुशासनहीनता की समस्या

आजकल के विद्यार्थी बड़े ही मोबाइल और इंटरनेट के दीवाने हो गए हैं और उनका अनुशासन से दूर हो रहा है। वे अपने विशेष मोबाइल फोन पर वीडियो और गेम्स में अधिक समय बिताते हैं, जिससे उनका वक्त व्यर्थ होता है। महाविद्यालय में भी विद्यार्थियों का ध्यान अध्ययन पर अधिक नहीं होता, और अनुशासन के साथ पढ़ाई पर उनका ध्यान कम होता है।

यह समस्या सिर्फ विद्यार्थियों में ही नहीं है, बल्कि पूरे देश में बढ़ रही है। आधुनिक युग में लोग रात तक मोबाइल में व्यस्त रहते हैं और देर से सोते हैं, जिससे उन्हें सुबह समय पर उठने में परेशानी होती है। वे सुबह ठंडे पानी से स्नान नहीं करते हैं। अब स्थिति यह है कि अगर किसी छात्र का साइकिल का टायर पंच हो जाता है, तो वह स्कूल जाने का बहाना ढूंढ लेता है। कई छात्रों को छुट्टी चाहिए होती है, तो वे स्कूल से छुट्टी लेने के लिए झूठा आवेदन पत्र भेजते हैं। जब अध्यापक वास्तविक कारण पता लगाते हैं, तो पता चलता है कि वह घर पर बैठे टीवी देख रहा था।

इससे उनका शिक्षा में भी ध्यान बिखर जाता है और अनुशासन की कमी आत्मविश्वास और शिक्षा में भी असर डालती है। अनुशासन और समय का उचित उपयोग विद्यार्थियों के शिक्षागत विकास में महत्त्वपूर्ण होता है और उनके भविष्य के लिए आवश्यक होता है।

अनुशासित रहने के उपाय

अनुशासन एक स्थिर और नियमित अभ्यास का परिणाम होता है। अधिकतर लोग एक बड़ा लक्ष्य स्थापित करते हैं लेकिन उसे पूरा करने के लिए सही तरीके से कठिनाईयों का सामना नहीं करते हैं। वे आरंभ में उत्साहित होते हैं, लेकिन जब कार्य के लिए परिश्रम करने की बारी आती है, तो वे असफल हो जाते हैं।

अनुशासन और नियमितता का महत्त्व

  • अनुशासन स्थापित करना: स्व-सुधार में एक महत्त्वपूर्ण पहलू अनुशासन है, जो नियमित प्रयास की आवश्यकता है। अक्सर लोग महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों का संकल्प लेते हैं, लेकिन उन्हें हासिल करने के दौरान उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
  • प्रारंभिक उत्साह: कई लोग उत्साह से शुरू करते हैं, लेकिन वास्तविक काम के लिए परिश्रम करने में हिचकिचाहट आती है। शुरुआती उत्साह जब खत्म हो जाता है, तो सच्चाई आती है।

धीरे-धीरे आदत बनाना

  • छोटे आदत से शुरू करना: अनुशासन को डालने के लिए सही है कि छोटे कार्य से शुरू किया जाए। उदाहरण के लिए, यदि सुबह 4 बजे उठना लक्ष्य है, तो पहले 6 बजे उठें। धीरे-धीरे 5 बजे, और जब आपको लगे कि 6 बजे उठना आसान हो रहा है, तो उसके बाद 4 बजे उठना शुरू करें।
  • अध्ययन आदतें: इसी तरह, लंबी पढ़ाई के लिए, 15 मिनट ध्यान से शुरू करें, फिर धीरे-धीरे 30 मिनट तक बढ़ाएं, और अंत में 2 से 4 घंटे तक लगातार पढ़ाई करने का प्रयास करें।

दैनिक नियमितता

  • रोजाना के कार्य: होमवर्क पूरा करना, सुबह की पढ़ाई करना, व्यायाम करना, और स्कूल जाने जैसे छोटे दैनिक आदतों में नियमितता महत्त्वपूर्ण है।
  • दीर्घकालिक अनुशासन: छोटे और बड़े कार्यों में नियमितता बनाए रखने से सटीक नियमितता और ध्यान बना रहने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष 

अनुशासन को अपनाने का सबसे सही तरीका नियमितता और सहनशीलता में है। छोटे कदमों से शुरू करके धीरे-धीरे अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ना अनुशासन का नेतृत्व करने में सहायता करता है। यह एक सामान्य और दैनिक क्रिया होती है, जो हमारी सोच और कार्यों को संरचित रखती है और हमें अपने लक्ष्यों की दिशा में ले जाती है। अनुशासन को व्यापक रूप से अपनाने से हमारे जीवन में सफलता और संतुलन की स्थिति आती है।

FAQs

विद्यार्थी अनुशासन क्या है?
  1. विद्यार्थी अनुशासन का मतलब है शासन का पालन करना और नियमों का सम्मान करना। यह उन नियमों और दिशा-निर्देशों का पालन करना है जो विद्यार्थी के अध्ययन और जीवन को संगठित और सहज बनाते हैं।
विद्यार्थी अनुशासन क्यों आवश्यक है?
  1. अनुशासन शिक्षा में उच्चतम महत्त्व रखता है क्योंकि यह विद्यार्थी को नियमितता, दिशा, और उच्च मानकों के साथ जीवन की मूलभूत शिक्षा प्रदान करता है।
विद्यार्थी में अनुशासन कैसे स्थापित करें?
  1. अनुशासन को स्थापित करने के लिए, शिक्षकों को सख्त नियमों का पालन कराने के साथ-साथ छात्रों को उनके कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदारीपूर्ण बनाने की आवश्यकता होती है।
अनुशासन के क्या लाभ हैं?
  1. अनुशासन संयमित जीवन, सफलता, व्यक्तित्व विकास, और सुव्यवस्थित जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। यह एक नियमित और संगठित जीवन जीने में मदद करता है।
अनुशासन कितने प्रकार के होते हैं?
  1. अनुशासन दो प्रकार के होते हैं – बाहरी और आंतरिक। बाहरी अनुशासन दिखावटी होता है, जबकि आंतरिक अनुशासन मौलिक और वास्तविक होता है।
विद्यार्थी के अनुशासन के तीन मुख्य फायदे क्या हैं?
  • नियमितता और दिशा
  • उच्च स्तर की समझ
  • सही दिशा में प्रेरणा

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