हर रिश्ता वक्त के साथ बदलता जाता है, एक दोस्ती का रिश्ता है जो बदलता नही है । जैसे – 2 हम आगे बढ़ते रहते है वैसे -2 ही अपने नये दोस्त मिलते रहते है । एक ये ही रिश्ता है जो हम अपनी मर्जी से बना सकते है, अगर दोस्त सही न हो तो उसे छोड़ सकते है।
हम सबके पास एक सच्चा दोस्त होता है। जिसे देखते ही या उसकी बात करते ही हमारे चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है । दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जिसकी जरूरत हर उम्र में पड़ती है।
जब हम पहली बार स्कूल जाते है, तब सबसे पहले हम दोस्त बनाना ही सीखते है । उस दोस्त के साथ हम अपनी सुख – दुख और यहाँ वहा की बाते करते है जैसे की अब वही हमारा सब कुछ अच्छे से साथ समय बिताना अच्छा लगने लगता है।
स्कूल का समय कम लगने लगता है। लेकिन जब हम गलत व्यक्ति के साथ दोस्ती कर लेते है तो टाइम की बर्बादी और धोखा ही मिलता है हम रास्ते से भटक जाते है।
दोस्ती की परख
दोस्ती एक अनमोल रिश्ता है जिसे छोड़ने का कभी मन नही करता, दोस्ती निभाने के लिए जरुरी नही है की हम एक दुसरे से मिलते रहे या पास में रहे, दूर रह के भी दोस्ती निभाई जा सकती है।
अक्सर देखा जाता है की जिसके पास अच्छी नौकरी होती है, अच्छा धन होता है उसके पास बहुत से दोस्त बन जाते है और उसके आगे पीछे घूमते रहते है, उसकी हर बात मानते है, उसके लिए कुछ भी करने के लिए राजी हो जाते है।
ये सब उसके धन की लालच की वजह से सब होता है, पर नौकरी, धन जाते ही और बुरे वक्त आते ही उनमे से कुछ दोस्त साथ छोड़ देते है, उस वक्त पे जिसने साथ छोड़ दिया मतलब वह बस नाम के दोस्त थे सिर्फ पैसे के लिए दोस्ती किये थे पर उस वक्त पे भी जो साथ न छोड़े वही सच्चा मित्र होता है।
निष्कर्ष
एक सच्चा दोस्त हमेशा सही सलाह देता है और हमें गलत रास्ते पर जाने से रोकता है । वह हर सुख – दुःख का साथी होता है।
जो सिर्फ सुख में साथ दे वो सच्चा दोस्त नही होता है इसलिए दोस्ती भी सोच समझ के करनी चाहिए ।