देश की राष्ट्रीय शिक्षा नीति का अर्थ है की एक निश्चित शिक्षा प्रणाली के अंदर सभी विद्यार्थियों को बिना जाति, धर्म, स्थान, लिंग का भेदभाव किये एक समान गुणवता की शिक्षा को देना ही मुख्य उद्देश्य होता है । राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा सम्पूर्ण देश के सभी स्कूलों में एक ही समान शिक्षा का प्रदान करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
सन 1968 के शिक्षा नीति के अनुसार सभी स्कूलों में एक समान शिक्षा लागू करने के लिए संकल्पित है । इस नीति को 10+ 2+3 के द्वारा देश के सम्पूर्ण स्कूलों, कालेजों व विश्वविद्यालयों में स्वीकार किया गया था।
इस नीति के तहत पहले 10 वर्ष शिक्षा का विभाजन 5 वर्षों की प्राथमिक, 3 वर्षों को उच्च प्राथमिक और 2 वर्ष को माध्यमिक शिक्षा को पूर्वतः बनाये रखने का फैसला किया गया है।
नई शिक्षा नीति को 29 जुलाई 2020 को लाया गया । जिसके तहत छात्रों को कुछ शिक्षा प्रणाली में सुधार कर उनको एक नई दिशा में ले जाने का प्रयास किया गया है । ये राष्ट्रीय शिक्षा नीति में लगभग 34 साल बाद किया गया है । शिक्षा नीति में बदलाव जरूरी होता है तथा समय के अनुसार हो जाना चाहिए। (Rashtriya shiksha niti par nibandh Essay)
राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आवश्यकता तथा विशेषता
समानता के लिए शिक्षा
इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा एक ही लक्ष्य होता है। की सभी को शिक्षा प्राप्त करने का समान अवसर मिले। इस नीति के तहत विशेष उन लोगों पर ध्यान दिया जाता है । जो शिक्षा की समानता से वंचित रह जाते है।
स्त्रियों की समानता के लिए शिक्षा
शिक्षा का स्तर को स्त्रियों के स्तर के सामान परिवर्तन लाने पर शिक्षा को एक अभिकर्ता के रूप माना जायेगा । इस शिक्षा प्रणाली के द्वारा महिलाओं में सशक्तिकरण में सकारात्मक तथा विकास, मध्यस्थ में अच्छी भूमिका रहेगी।
इसके द्वारा समाज में एक सकारात्मक भाव पैदा होगा । जिससे हर समाज में स्त्रियों के शिक्षा में बढ़ावा मिलेगा । समाज में निरक्षरता को ख़त्म करने का प्रयास रहेगा । इसके साथ देश की सोच में भी विकास देखने को मिलेगा।
अनुसूचित जनजाति तथा अनुसूचित जाति की शिक्षा
इस शिक्षा नीति के अनुसार सभी जाति के लोगों को एक समान शिक्षा उपलब्ध कराने पर सुझाव दिया गया है –
- हर जन जातीय क्षेत्रों में प्राथमिक विद्यालय खोलने की प्राथमिकता दिया जाये।
- जनजातीय भाषाओं में पाठ्यक्रम तथा शिक्षा सामग्री को विकसित किया जाए।
- हर शिक्षित व होशियार छात्र – छात्राओं को उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में प्रोत्साहित कर आगे बढ़ने का मौका दिया जाये । ताकि आने वाले भविष्य में उस जाति के बच्चों के एक मिसाल कायम हो।
- अनुसूचित जाति के छात्रों को भी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें।
- छात्र व छात्राओं के लिए छात्रवृति तथा छात्रावास की व्यवस्था की जाये।
साथ ही अन्य पिछड़े, अल्पसंख्यक तथा विकलांग वर्ग के बच्चों को भी पढ़ने की व्यवस्था की जाये । जहां साधन न जाने की व्यवस्था हो वहाँ पर प्राथमिक विद्यालय की व्यवस्था की जाये । उनके लिए पर्याप्त संसाधन की संरचना की जाये । सभी के लिए समान शिक्षा का व्यवस्था की जाये।
नई शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण तथ्य
इस नई शिक्षा नीति के द्वारा सभी वर्ग के लोगों को एक समान शिक्षा प्रदान करना । इस नई नीति का निर्माण सन 2017 में डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया । इसके बाद सन 2019 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा” को प्रस्तुत किया गया । यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के पहले सन 1968 और 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति होगी।
- नई शिक्षा नीति के अनुसार केंद्र व राज्य सरकार की मदद से देश की जीडीपी का 6% हिस्सा के बराबर निवेश करने लिए रखा गया है।
- इस नई शिक्षा नीति के द्वारा वर्तमान में चल रहे 10 + 2 शैक्षणिक मॉडल को 5+3+3+4 के आधार पर विभाजित करने का फैसला किया गया है।
- इस शिक्षा नीति में सभी छात्रों के अंदर रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय तथा नये विचार की भावना को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया जा रहा है।
- इस नई तकनीकी शिक्षा के माध्यम से भाषा बाध्यता को दूर करना तथा दिव्यांग छात्रों के लिए शिक्षा का सुगम बनाने के लिए जोर दिया जा रहा है।
- संसद में कैबिनेट द्वारा “मानव संसाधन विकास मंत्रालय” का नाम बदलकर “शिक्षा मंत्रालय” करने पर मंजूरी प्रस्तावित की गयी है।
- 3 वर्ष से 8 वर्ष की आयु के बच्चों को शैक्षणिक पाठ्यक्रम के अनुसार 2 समूहों में विभाजन किया गया है – पहले 3 – 6 साल के आयु के बच्चों के लिए आँगनबाड़ी, बालवाटिका, प्री-स्कूल के द्वारा शिक्षा दी जाएगी।
- तथा 6 – 8 वर्ष के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 1 व 2 में शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रदान की जाएगी।
- नई शिक्षा नीति के द्वारा प्रारम्भिक शिक्षा को बहुस्तरीय खेल तथा उनके गतिविधि के आधार पर प्राथमिकता दी जाएगी।
नई शिक्षा नीति 2023 (एनईपी) क्या है?
भारत सरकार की नई शिक्षा नीति को एनईपी (National Education Policy) कहा जाता है। इसका पहला मसौदा 1986 में तैयार हुआ था और आखिरी बार 1992 में संशोधित किया गया था। भाजपा सरकार, जिसके नेतृत्व में नरेंद्र मोदी हैं, ने चुनावी घोषणापत्र में शिक्षा क्षेत्र में बदलाव करने का आदान-प्रदान किया और नई शिक्षा नीति (एनईपी) बनाने का वादा किया।
2020 में जुलाई महीने में, भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्कूल से कॉलेज स्तर तक भारतीय शिक्षा प्रणाली में आधुनिक सुधार लाने के उद्देश्य से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को मंजूरी दी। इस नीति का मूख्य उद्देश्य भारत को ‘वैश्विक ज्ञान महाशक्ति’ बनाना है, और इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय में बदला गया है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मूल सिद्धांत समानता, गुणवत्ता, सामर्थ्य, और जवाबदेही पर आधारित है। इसका उद्देश्य स्कूल और कॉलेज शिक्षा को अधिक समग्र, बहु-विषयक और लचीला बनाना है, जिससे सतत विकास हो सके, जैसा कि 2020 के एजेंडे में उल्लेख है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की आवश्यकता
2020 में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के पहले, भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई समस्याएं थीं। इस समय तक, अधिक प्राथमिकता उस समय दी जाती थी जब छात्रों को विभिन्न अवधारणाओं को समझने में मदद की आवश्यकता थी। इसके अलावा, विभिन्न बोर्डों की मौजूदगी एक बड़ी समस्या थी। प्रत्येक बोर्ड ने अलग-अलग कौशलों के लिए अलग-अलग पाठ्यक्रम तैयार किए थे, और फिर भी सभी छात्रों को एक ही मानक बोर्ड परीक्षा देनी होती थी।
इसके अलावा, पिछले वर्षों में, पारंपरिक विषयों को सीखने या उनमें माहिर बनने पर ज़्यादा जोर दिया गया था, जबकि व्यावसायिक कौशलों को विकसित करने पर कम ध्यान दिया गया था। नई शिक्षा नीति में, भारतीय शिक्षा प्रणाली की सभी समस्याओं और सीमाओं को देखा गया है। इसके अलावा, नीति का उद्देश्य है व्यावसायिक और औपचारिक शिक्षा के बीच अंतर को कम करना है।
स्वतंत्रता के बाद भारतीय शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन
यहाँ दी गई तारीखों के आधार पर भारतीय शिक्षा नीतियों का एक संक्षेप है:
वर्ष | घटना |
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1948 | पहला आयोग, विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग, स्थापित |
1952 | माध्यमिक शिक्षा आयोग की स्थापना |
1964-1966 | भारतीय शिक्षा आयोग की शुरुआत |
1968 | पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई |
1986 | एक नई शिक्षा नीति बनाई गई |
1992 | पिछली शिक्षा नीति में संशोधन |
2005 | 1986 की शिक्षा नीति में पुनः संशोधन |
2020 | नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पारित |
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का अवलोकन
पहलू | सारांश |
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उद्देश्य | भारत में नई शिक्षा नीति का उद्देश्य 3-18 वर्ष की आयु के लिए समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है। |
शैक्षणिक बदलाव | रटने की शिक्षा से समग्र, व्यावहारिक और समस्या-समाधान शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। |
मूल्यांकन दृष्टिकोण | याद रखने और पारंपरिक ग्रेडिंग तरीकों की तुलना में समस्या-समाधान क्षमताओं पर जोर देता है। |
भाषा पर जोर | क्षेत्रीय भाषा, हिंदी और अंग्रेजी पर जोर देते हुए त्रि-भाषा फॉर्मूला लागू करता है। |
निर्देश की भाषा | प्रारंभिक वर्षों (कक्षा 1-5) में परिवर्तन से पहले सीखने को आसान बनाने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं का उपयोग किया जाएगा। |
पाठ्यचर्या में परिवर्तन | मौलिक अवधारणाओं, कौशल और बहु-विषयक ज्ञान को प्राथमिकता देने के लिए संशोधित पाठ्यक्रम। |
प्रौद्योगिकी एकीकरण | इसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी एकीकरण के माध्यम से शिक्षा की पहुंच और प्रभावशीलता को बढ़ाना है। |
समतामूलक शिक्षा | इसका उद्देश्य शहरी-ग्रामीण शिक्षा अंतर को पाटना, सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित करना है। |
शिक्षक गुणवत्ता संवर्धन | शिक्षक पात्रता परीक्षण, व्यावसायिक विकास और बेहतर शिक्षा कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करता है। |
व्यावसायिक शिक्षा | छात्रों को कार्यबल के लिए बेहतर ढंग से तैयार करने के लिए व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा को शामिल किया गया है। |
उच्च शिक्षा विनियमन | निगरानी और स्वायत्तता को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय उच्च शिक्षा नियामक परिषद की स्थापना की गई। |
शैक्षिक संरचना | अधिक लचीले और केंद्रित दृष्टिकोण के लिए, 10+2 संरचना की जगह, 5+3+3+4 प्रणाली की शुरुआत की गई है। |
उच्च शिक्षा नामांकन लक्ष्य | 2035 तक उच्च शिक्षा नामांकन को 50% तक बढ़ाने का लक्ष्य है। |
उच्च शिक्षा विनियमन | मेडिकल और लॉ कॉलेजों को छोड़कर एचईआई के लिए एकल नियामक, स्वायत्तता और गतिशीलता को बढ़ावा देना। |
एमफिल उन्मूलन | एमफिल डिग्री की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है। |
5+3+3+4 संरचना क्या है?
नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 ने भारत की शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इसने पारंपरिक 10+2 संरचना को छोड़कर नई 5+3+3+4 व्यवस्था को लागू किया है, जिससे सीखने के चरणों में एक नया क्रम स्थापित हुआ है। इस नए ढाँचे का मुख्य उद्देश्य 3 से 18 वर्ष की आयुवर्ग के बच्चों को समृद्धिपूर्ण और समग्र शिक्षा प्रदान करना है।
एनईपी 2020 में सीखने के लिए एक स्थायी और सुसंगत मॉडल की बात की गई है, जो बच्चों को उनकी स्थानीयता, भाषा, और सांस्कृतिक परंपरा के हिसाब से शिक्षित करने का प्रयास करता है। यह नीति शिक्षा में नए और विशेष क्षेत्रों में सुधार करने का प्रस्ताव प्रस्तुत करती है ताकि बच्चे अधिक सक्षम और समर्थ हों। इसके साथ ही, शिक्षा में तकनीकी एकीकरण और विज्ञान-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में उच्च शिक्षा को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है।
शिक्षा के चार भाग
नई शिक्षा नीति 2020 एक नई और सुनिश्चित शिक्षण संरचना प्रस्तुत करती है जो छात्रों को चार विभिन्न चरणों, अर्थात् मूलभूत, प्रारंभिक, मध्य, और माध्यमिक, में विभाजित करती है। यह चरण छात्रों के पूरे शैक्षिक सफलता के मार्ग में एक एकीकृत और सुसंगत मॉडल प्रदान करती है जिससे उनकी समग्र विकास में सहारा मिलता है।
- फाउंडेशनल स्टेज (5 वर्ष): इस चरण में, शिक्षा का प्रारंभ होता है और छात्रों को आंगनवाड़ी/पूर्व-प्राथमिक/बालवाटिका तथा पहली और दूसरी कक्षा में पढ़ाई की जाती है। इसका उद्देश्य छात्रों को मजबूत शैक्षिक आधार और आवश्यक कौशल प्रदान करना है।
- प्रारंभिक चरण (3 वर्ष): इस चरण में, शिक्षा तीन वर्षों तक चलती है और छात्रों को कक्षा तीन से पांच तक में पढ़ाई की जाती है। यहाँ पर शिक्षा में एक ठोस आधार बनाया जाता है और छात्रों को उन्नत विषयों के लिए तैयार किया जाता है।
- मिडिल स्कूल (3 वर्ष): इस चरण में, मिडिल स्कूल कक्षा छह से आठ तक को कवर करता है और छात्रों को एक व्यापक सीखने का अनुभव प्रदान करता है जो माध्यमिक शिक्षा की दिशा में एक कदम के रूप में कार्य करता है। इसमें शिक्षक छात्रों को उन्नत आलोचनात्मक सोच और विश्लेषणात्मक कौशल से लैस करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- माध्यमिक चरण (4 वर्ष): यह चरण 5+3+3+4 शैक्षिक मॉडल का अंतिम खंड है, जो चार वर्षों तक फैला हुआ है और इसमें कक्षा नौ से बारह तक शामिल है। इसमें विस्तारित अवधि छात्रों को गहन विषय अन्वेषण, कौशल विशेषज्ञता और समग्र विकास के लिए अधिक समय देती है।
निष्कर्ष
देश में सभी वर्ग के लोगों को शिक्षा प्राप्त करने अधिकार होना चाहिए। किसी भी प्रकार की जाति व धर्म के आधार शिक्षा का बटवारा नहीं होना चाहिए । सरकार द्वारा हमेशा समय – समय पर नई तकनीकी के आधार पर शिक्षा की नीति में बदलाव जरूरी करना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर निबंध
FAQs
एनईपी 2020 नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति है, जो भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने का प्रयास कर रही है। इससे छात्रों को समृद्धि, उच्चतम शिक्षा और नौकरी में बेहतर तैयारी होगी।
हाँ, एनईपी 2020 ने 10+2 संरचना को छोड़कर 5+3+3+4 संरचना को लागू किया है, जिससे शिक्षा के चरणों में बेहतर सुधार होगा।
हाँ, एनईपी में त्रि-भाषा फॉर्मूला के माध्यम से क्षेत्रीय भाषा, हिंदी और अंग्रेजी पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
क्या नौकरी तैयारी के लिए व्यावसायिक शिक्षा में सुधार किया गया है?
हाँ, एनईपी में व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा को महत्वपूर्ण बनाया गया है, जिससे छात्रों को नौकरी के लिए बेहतर तैयारी मिलेगी।
नई शिक्षा नीति के अनुसार, छात्रों को गहन विषय अन्वेषण, कौशल विशेषज्ञता, और समग्र विकास के लिए अधिक समय मिलेगा, जो उच्च शिक्षा के लिए बेहतर तैयारी करेगा।
हाँ, एनईपी 2020 का एक मुख्य उद्देश्य सामाजिक समानता को सुनिश्चित करना है, ताकि हर छात्र को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में समान अवसर मिलें।
हाँ, प्रारंभिक वर्षों में सीखने को आसान बनाने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं का उपयोग किया जाएगा, जो बच्चों के लिए शिक्षा को मजेदार बनाएगा।
एनईपी के अंतर्गत, बच्चों को उन्नत आलोचनात्मक सोच और विश्लेषणात्मक कौशलों के साथ गहन विषय अन्वेषण के लिए अधिक समय मिलेगा, जिससे उनका समग्र विकास होगा।