ऐसा कोई जीव या मनुष्य इस धरती पर मौजूद नहीं होगा जो जल के महत्व से परिचित नहीं है। जल के बगैर सांस लेना भी मुश्किल है।
इसकी एक-एक बूंद कीमती है पर जब यही बूंद की मात्रा जब अत्यधिक हो जाती है तब सिर्फ विनाशकारी बाढ़ लाती है जो सिर्फ ज़िन्दगी ही लेता है।
हमारे स्वर्णिम भारत में हर वर्ष कई स्थानों पर बाढ़ आकर अपना प्रचण्ड रूप दिखाती है जिससे देश को सिक्कों में कई नुकसान देखने को मिला है। हर साल है निरंतर रूप से बाढ़ के वक्त ही हमारे देश के नेता और सरकारी नौकर सजग होते प्रतीत होते है और कुछ दिनों के बाद ही यह उनके लिए एक आम हादसा की भांति भुला दिया जाता है।
यही देश के सेवक दूसरे कार्यो में मग्न हो जाते हैं । आज़ादी को कुल पाँच दशक हो गए हैं और इसके बावजूद भी हमारा बाढ़ बढ़ जैसी समस्या का कोई स्थाई हल नहीं निकाल सके जिससे बाढ़ के द्वारा होने वाले नुकसान को अधिक से अधिक नियंत्रित किया जा सके ।
बाढ़ को रोकने के कार्य
बाढ़ पे पूर्ण रूप से विराम लगाना देश के सरकार की ही ज़िम्मेदारी है । इबढ़ जैसे विराट समस्या का हल कई प्रयास से निकाल रहे हैं । इस शुभ लक्ष्य की प्राप्ति में हमें कई तरह से सफलता भी देखने को मिली है इसके बावजूद भी कई और प्रयास चालू हैं ।
हमें इस बात पे भरोसा है कि आने वाले सालों में हम बढ़ जैसी घातक परिस्थिति से जूझने के लिए कई अभियान चालू करेंगे जो इससे हानि को पूरी तरह से रोक सकेंगे ।
ये बात सब जानते हैं कि अत्यधिक मात्रा में हर वस्तु की प्राप्ति केवल हानि या विनास ही ला सकता है ठीक उसी प्रकार अधिक मात्रा में जल का केवल एक ही रूप हो सकता है वह है बाढ़। ये भयावह पानी प्रकृति में प्रकोप लाती है जो साथ में कई कीमती वस्तु या कोई जीवन अपने साथ ले जाती है ।
बाढ़ के कई रूप
ऐसे कई नामी पवित्र नदियाँ हैं हमारे देश में जो मनुष्य के लिए किसी भगवान की दी हुई भेँट से कम नही हैं परन्तु कभी कभी इन्हीं नदियों जैसे गंगा का प्रचण्ड रूप बढ़ के रूप में सामने आता है। फिर ये शांत दिखने वाली नदियां कभी-कभी प्रकोप बनकर विनाश लाती है।
हमारे भारत में केवल जुलाई से लेकर अगस्त तक का महीना वर्षा ऋतु के ही कहलाता है जब आग के समान गर्म धरती के जलन को ठंडी बूँदें शांत करती हैं । वो नदियां जो पूरी तरह से सूखती जा रही थीं अब उनमें पानी का करिश्मा दिखता है ।
सभी आज़ादी से अपना रास्ता बनाती हैं । यह वर्षा ऋतु व इसका जल लाखों किसानों व काम करने वाले मजदूरों के लिए वरदान साबित हुआ है । ईसके बावजूद पिछले कई सालों में जो बाद का खौफनाक दृश्य देखने को मिला उससे मेरा ही नहीं बल्कि सभी लोगों के दिल में सदा के लिए भय बैठ गया।
बहूत ज़्यादा वर्षा की वजह से होने वाली बाढ़ के पानी के द्वारा कई प्रकार की बीमारियों से होने के ख़तरनाक परिणाम देखने को मिलते हैं।
ये बाढ़ का पानी केवल नुकसान ही ला सकता है जो कई रूप से सामने आते हैं। ये बाढ़ स्वास्थ्य, काम और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। बाढ़ के दुष्परिणाम कई रूप में देखने को मिलते हैं और गंभीरता को दिखाती है।
निष्कर्ष
जो क्षेत्रों में बाढ़ आते रहते हैं वहां हर रोज़ कोई न कोई कार्य बाधित होती है। बाढ़ ऐसे इलाकों में वास करने वाले लोगों के लिए कई तरह से मुश्किलें पैदा करती है। बहुत अधिक बाढ़ से प्रभावित इलाकों में मनुष्य जीवन को दुबारा से बनाने में कई दिन या महीने लगते हैं और कई दफा तो वर्ष भी हो जाते हैं ।
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