कहते हैं कि एक छात्र किसी भी राष्ट्र के लिए उसकी धरोहर से कम नहीं होता है जो बग़ैर पलकें झपकाए और बिना रुके सभी असंभव कार्य को बड़ी ही चुनौती व चतुराई से कर सकते हैं।
छात्र जीवन में प्राप्त कौशल व बुद्धि के द्वारा व्यक्ति के साथ-साथ समाज और राष्ट्र की दिशा निर्धारित करते हुए उसे विकास की ओर ले जाता है । एक सच्चे व बुद्धिमान विद्यार्थी की सहायता से ही के समाज और राष्ट्र का भविष्य संवरेगा।
भारत एक लोकतांत्रिक देश
भारत जैसे महान देश के सबसे विशाल लोकतंत्र और प्रगति वाले देश के लिए आने वाली पीढ़ी का बुद्धि जीवी तथा कार्य क्षमता होना बहुत महत्वपूर्ण होता है। कारण हमारा देश एक शक्तिशाली राष्ट्र बने उसके लिए नागरिकों को उनके कर्तव्यों की स्मरण करना पहली सीढ़ी है।
जिस देश नागरिक बहुत ही तेज तथा कार्य में निपुण होता है, फ़िर राष्ट्र निर्माण में ज़्यादा से ज़्यादा योगदान दे सकते हैं।
शिक्षा पाना ही शिक्षा का धर्म और कर्त्तव्य नहीं है, बल्कि इस शिक्षा को सम्पूर्ण समाज व राष्ट्र के बेहतरी के लिए उपयोग करना भी विद्यार्थी का धर्म व कर्त्तव्य समझा गया।
विधार्थी का धर्म
एक विद्यार्थी के संस्कार ही धर्म, समाज और राष्ट्र की तरफ अपना पूरा ध्यान लगाने की प्ररेणा देते हैं। इनसे सिख लेकर होकर ही विद्यार्थी अपने प्राणों की आहुति देने में भी पीछे नहीं हटते है। इस तरह से दिव्य संस्कार का विकास हासिल करके विद्यार्थी पूरे राष्ट्र की तरफ अपना कोई न कोई सहयोग दिखाता है।
शिक्षाग्रहण के समय अपनी ख़ास उपलब्धियों को हासिल करके ही विद्यार्थी राष्ट्र और समाज को नई रोशनी की तरफ ले जाता है और यही कार्य करना एक विद्यार्थी का कर्तव्य माना गया है।
आदर्श विद्यार्थी की देश की तरफ भूमिका
विद्यार्थी को एक आदर्श और विवेक की सीख भली-भांति स्मरण करके ही समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को पूर्ण करने की कोशिश करनी चाहिए, नहीं तो फ़िर देश की स्थिति बिगड़ने में बिल्कुल भी समय नही लगेगा।
एक प्ररेणा से भरे विद्यार्थी ही राष्ट्र और समाज को अच्छे प्रकार से चलाना अपना सबसे बड़ा कर्तव्य समझता है जबकि कर्तव्यहीन छात्र अपने राष्ट्र के प्रति राष्ट्रदोही का भाव रखता है।
निष्कर्ष
शिक्षा व राजनीति दोनों को साथ लेकर एक विद्यार्थी का विकास करना मुमकिन नहीं है। कारण विद्या और राजनीति बिल्कुल संबंधित नहीं रखते बल्कि विपरीत है। जो कार्य सबसे महत्वपूर्ण रखता है वह है विद्यार्थी का अपने आसपास और देश की तरफ ध्यान केंद्रित करना।
फिर एक सम्पूर्ण देश चिन्तक व राष्ट्रभक्त विद्यार्थी अपने शिक्षा ग्रहण के समय में भी अपना कोई न कोई हाथ बांट सकते हैं। यदी ऐसा कोई छात्र या छात्रा पढाई के छेत्र में अपनी योग्यता व क्षमता दिखाते है, तो आगे जाकर ही वह महान राष्ट्र-सेवक, राष्ट्र प्रेमी और राष्ट्र का हीरो कहलायेगा।
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