21वी सदी के राष्ट्र की स्वतंत्रता के इतने बरसों बाद भी कुछ बच्चे ऐसे हैं जो आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और जिनसे शिकार होकर जो कल का सुनहरा भविष्य हैं विद्या जैसे गुण से वंचित हैं।
करोड़ों की आबादी वाले देश के कुछ बच्चे यदि स्कूल नहीं जा पाए तो ये एक राष्ट्र के गौरव को पूरी तरह झुका कर रख देगा।
इस देश ने ज्ञान को मां सरस्वती कहा है तथा लेख के रूप में पूरी व्यास बतलाया है, आमतौर पर यह शब्द ज्ञान को बढाने की एक नींव है इसके साथ-साथ बौद्धिक विकास की भी।
मनुष्यों की इस दुनिया में में जो ज्ञान की प्रकाश व बौद्धिक विकास से दूरी बनाए रखता है उसे निरक्षर की परिभाषा दी जाती है।
शिक्षा विभाग के कर्तव्य
निरक्षर व्यक्ति को देश के लिए अभिशाप नही समझना चाहिए बल्कि उन्हें भी पढ़ने का हक दिया जाना चाहिए और जिसकी शुरुआत खुद सरकार को करनी चाहिए। हालांकि सरकार गरीबों को निरक्षरता से मुक्त करने हेतु सामाजिक संस्थाओं के साथ साम सामने आई है।
ये इस विकासशील राष्ट्र और समय की मांग है कि निरक्षरता से आज़ाद होने के लिए इन निचले तबके के बच्चों पर ख़ास ध्यान दिया जाएँ। इन संस्थाओं ने गांव के कई इलाकों में बेहतर विद्यालयों की स्थापना की है।
शिक्षा संस्थानों को चाहिए कि अच्छे काबिल बच्चे को पढ़ाई से दूर नहीं करना चाहिए। इसके अलावा ये कोशिश भी रहनी चाहिए कि आर्थिक तंगी से जूझ रहे बच्चों को बहतरीन शिक्षा और वह भी नि:शुल्क दिया जाए।
सरकारी अफसरों को हर गांव का मुहैया करके देखना चाहिए की वहाँ पुस्तकालय और वाचनालय के इंतजाम हैं कि नहीं।। शिक्षा के क्षेत्र में जो वस्तएं लगती है कम दामों पर प्रस्तुत किये जायें।
बच्चों से ही सुनहरा कल
ये बच्चें देश का भविष्य होते हैं और इन्ही का भविष्य यदि कुछ पैसे के लिए अंधकार हो जाये तो ये पूरे देश के लिए शर्मनाक स्थिति है। ये बच्चे सभी बच्चों की ही भांति जीवन में कुछ विशाल करने का सपना दिल में संजोते हैं परन्तु जो बच्चों की आथिक हालात सही नही वे इन पढाई शब्द के पहुंच से बहुत दूर हो जाते हैं।
गांव जैसे इलाकों में कई बच्चों के पढ़ने की संख्या बहुत ही अधिक है। इन जगहों पर लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगाना बहुत ही दयनीय है।
इतने छोटे से आयु में ही इन्हें घर और खेत के काम में ही सीमित कर दिया जाता है। लडकों के मुकाबले में लड़कियों के लिए शिक्षा के मौके बहुत कम या शून्य के बराबर रखे हैं।
निरक्षरता के कारण अक्षरों से परिचित न होना
एक निरक्षर को कोई लिखावट या अक्षर पढ़ने में नही आता। उनके लिये सब एक समान नही होता हैं.। ऐसे व्यक्ति के लिए किसी संख्या से परिचित होना बहुत ही मुश्किल है। निरक्षरता के कारण वे अपना नाम भी लिखना नही सिख पाते हैं। वे खुद को इस किताब की दुनिया से बहुत ही दूर पाते हैं।
पुरे विश्व में ज्ञान का बहुत महत्व है। आज कई प्रकार की पुस्तकें बाजार में उपलब्ध हैं जो इंसान के ज्ञान को और बढ़ाता है जैसे बड़े-बड़े इतिहासकार की किताबें संगीत, कला, लिटरेचर।
निष्कर्ष
ये सब किताबें लोगों के लिए ज्ञान वर्धक है। परन्तु जो पढ़ या लिख नही पाते उनके लिए इन शब्दों व क़िताबों की कोई महत्व नही। ऐसे व्यक्ति पुस्तकों के द्वारा किसी प्रकार से ज्ञान लाभ नहीं प्राप्त कर सकते।
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