मनुष्य की ज़िन्दगी को बेहतर बनाने के लिए और विकास के क्षेत्र में अकल्पनीय कार्य करने के लिए शिक्षा का बेहद महत्व है।
राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन देखने के लिए 34 वर्षों के पश्चातवर्ष 2020 के जुलाई में भारत के केन्द्रीय सरकार ने एक नई शिक्षा नीति को सबके सामने लाने की घोषणा कर दी। इस शिक्षा नीति का लक्ष्य हर विद्यार्थियों के सकारात्मक क्षमता में वृद्धि लाना और इस राह पर और भी तरक्की करना है।
शिक्षा नीति की शुरुआत
शिक्षा शब्द से तातपर्य है कुछ सीखने और दूसरों को सिखाने की प्रक्रिया। परन्तु केंद्र सरकार के वर्ष 1986 में बनाये गए शिक्षा नीति के तहत किसी को भी कुछ सीखने नही मिला और न ही कुछ सिखाने को।
पूर्व के समय की शिक्षा नीति वर्ष 1986 के परिणाम पर निर्भर थी, अर्थात विद्यार्थियों की कौशलता उनके द्वारा पाए अंकों के मुताबिक नापी जाती थी।
यह केवल एक ही तरफ का विचार है और तो और नई शिक्षा नीति के द्वारा एक विद्यार्थी पाठ्यकर्म के ज्ञान के अलावा कुछ बाहरी ज्ञान को भी अपने अंदर डाल पायेगा। इन किताबों के माध्यम वे सही व गलत के बीच का फर्क समझ पाएंगे ओर दसूरों को भी समझा पाने के काबिल रहेंगे।
बच्चों के विकास का लक्ष्य
एक बच्चे को पूर्ण रूप से तेज बनाने के अलावा जिस चीज़ में लक्ष्य रहता है, उसी में उन्हें शिक्षा प्राप्त कर बहुत कुछ सीखना है। इस प्रकार, जिनका उद्देश्य कुछ सीखना रहेगा वे अपनी क्षमताओं के बारे में बोध करेंगे।
केवल इसी लक्ष्य को निर्धारित करने के लिए सरकार को शिक्षा की नीति में बेहतर परिवर्तन लाने की ज़रूरत पड़ी।
एक राष्ट्र की शिक्षा नीति एक नए पाठ्यक्रम व शिक्षा की निर्माण का विचार करती है जो पढ़ने वाले छात्रों को सीखने के कई अवसर मुहैया कराएगी।
देश का भविष्य बेहतर
शिक्षा को देश के कोने-कोने तक लाने के लिए शिक्षा कानून में बदलाव किए जाने चाहिए। शिक्षा मे परिवतर्न का उद्देष्य इसमें गुणवत्ता लाने के लिए है। यह नीति बच्चों का भविष्य उज्ज्वल व गौरवशाली बनाने के लिए है।
इसके अलावा जिस भी क्षेत्र में उसकी रुची रहेगी उसी में उसे शिक्षित करना है। इस प्रकार जो शिक्षा पा रहे हैं वे अपना लक्ष्य व अपनी क्षमताओं का बोध कर पाने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम होते हैं।
जिम्मेदारी का बोध
इस शिक्षा नीति के तहत विद्यार्थियों को एकसमान शिक्षण मिलना चाहिए और विकास के नये रास्ते खुलने चाहिए। उन्हें ऐसी शिक्षा मिलनी चाहिए जिससे उन्हें अनुशासन व ज़िम्मेदारी का बोध हो।
यह नीति उनके किये ज्ञानवर्धक साबित हो। अच्छी शिक्षा में भी यही बात शामिल होनी चाहिए। नई शिक्षा नीति के द्वारा एक शिक्षक की शिक्षा और शोध की प्रक्रियाओं के विकास पर भी प्रकाश डालने की ज़रूरत है।
आज की बनाई गई मौजूदा शिक्षा प्रणाली वर्ष 1986 की शिक्षा नीति में किए गए बदलावों का परिणाम है। इसे शिक्षा पाने वाले और राष्ट्रीय विकास में वृद्धि देखने के लिए सामने लाया गया है।
निष्कर्ष
इस नई शिक्षा नीति में द्वारा बच्चों का पूर्ण विकास निर्भर है। इस नीति में वर्ष 2030 तक अपने लक्ष्य को हासिल करने का लक्ष्य वर्णन है। केंद्र सरकार द्वारा निर्मित इस प्रणाली में नई दृष्टिकोण शामिल है जो विद्यार्थियों को एक नई उत्साह व ऊर्जा देती है।
इस नई परिवर्तित शिक्षा नीति के अंतर्गत सभी को ज़िम्मेदार व कुशल बनाने की कोशिश होनी चाहिए।
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