गोस्वामी तुलसीदास जी जिनका जन्म समाज में चल रही बुराइयों व कुरीतियों से सुरक्षा देने के लिए हुआ । उनका जन्म रावण शुक्ल के सप्तमी के दिन वर्ष 1554 को उत्तरप्रदेश स्थित राजापुर के सौरो नामक जगह में हुआ था । वैसे देखा जाये तो इनके जन्म का स्थान व समय कोई निर्धारित नही है विद्वानों की अपनी अलग – अलग राय है ।
तुलसीदास एक नए युग की मांग को पूर्ण करने में पुरी तरह सफल रहे थे कारन उनके द्वारा लिखे रचनाओं से धर्म से सम्बंधित पाखंडों और समाज की बुराइयों को दूर करने पे प्रकाश डाले।
तुलसीदास की व्यक्तिगत ज़िन्दगी
महान कवि तुलसीदास को उनके बचपन के रामबोला नाम से बुलाते थे । उनकी माँ का नाम हुलसी औऱ पिता आत्माराम दुबे थे । जब वे छोटे थे तब मूंह में दांत था । तुलसीदास जी अभुक्त मूल नक्षत्र में इस दुनिया में आये थे और यही वजह थी कि उनके माता-पिता उन्हें छोड़ दिये ।
उसके पश्चात एक साधु जिनका नाम नरहरिदास नाम था उन्होंने तुलसीदास को बड़ा किया। उस महान साधु के संस्कार और परवरिश के कारण ही उन्हें भगवान राम की तरफ रुझान हुआ। फ़िर 1583 को तुलसीदास की शादी रत्नावली नाम की एक खूबसूरत लड़की से तय हुआ था।
हिंदुओं का सम्मान
तुलसीदास हिन्दू धर्म के लिए बहुत कार्य किये थे। वे हिन्दू धर्म के नाम पर ढोंग करने वालों के खिलाफ खड़े हुए। और तो और हिन्दू जात की अच्छाई प्रकाश डाला। वो हर व्यक्ति जो हिन्दू धर्म के परोपकार में खिलाफ थे उनकी निंदा की।
इसके अलावा तुलसीदास हिन्दू कट्टरता के खिलाफ भी खड़े थे। उनके द्वारा लिखी गयी रचनाओं में कहीं भी मुसलमन धर्म कर तरफ घृणा या निंदा नहीं दिखाई।
तुलसीदास के वचनों व बोलियों से भी साम्प्रदायिकता की झलक नहीं दिखती। वे प्रत्येक जाति और उनसे संबंधित रिवाजों को सम्मान देते थे। इसके बाद तुलसीदास ने हिन्दुओं और मुसलमानों में मध्य एकता बनाने की कोशिश की जिसमे वे सफल भी हुए।
देश के बुराईयों के ख़िलाफ़
तुलसीदास ने रामचरितमानस में कई रूपों में भिन्नता के पात्रों और उनके चरित्रों को हमारे देश की संस्कृति के मुताबिक दिखाया। उनके हर लेखन में समाज के बुराईयों को बारीकी से दिखाने की कोशिश की गई है।
तुलसीदास ने हर उस पहलू पर ज़ोर दिया जो समाज को नकारात्मकता और बुराइयों के जाल में फांस रखा है। इसके अलावा इसके कुप्रभावों से बचाने के लिए ज़ोर दिया।
भारतीय संस्कृति पर ज़ोर
उनका उद्देश्य भारत को उसकी पौराणिक सभ्यता व संस्कृति से जोरे रखना था। इसी कारण तुलसीदासजी ने अपने काव्य से एक सभ्य पारिवारिक समाज की चित्रण की।
यदि सरल शब्दों में वर्णन करें तो देखेंगे कि तुलसीदास जी रास्ट्र के संस्कृति को बचाना चाहते थे और इससे जुड़े गौरव व आदर्शों का समर्थन भी करते थे।
तुलसीदास ने अपनी कविताओं के द्वारा जीवन के मूल सार को दिखाया । हिंदुओं के मध्य फैले रहे कूटनीति और षड्यंत्रों का वर्णन किया और हिंसा का समर्थन किया। समाज के नैतिक गुण क्या हैं और इंसानों को किस प्रकार इसे समझना चाहिए यह भी वर्णन किया।
निष्कर्ष
इसमें कोई संदेह नही कि तुलसी दास जी को हिन्दी काव्य के महान कवि घोसित किया गया है । वे एक सर्वोत्तम व उत्कृष्ट कवि तो थे ही इसके अलाव एक परोपकारी इंसान भी थे। । उनकी श्रीराम के तरफ भक्ति ने उनको समाज मे बहुत स्वर्णिम व अमूल्य बना दिया।