कविवर सूरदास हिंदी काव्य जगत के सबसे ज़्यादा रचनाएं लिखने वाले कवि में से एक है। वे अपने अमूल्य काव्य के द्वारा पूरे संसार में एकता व मिठास घोल दिये थे।
उनकी श्री कृष्ण के लिए अपार भक्ति व प्रेम पूरी दुनिया को एक नई प्रेरणा दी और जिससे लोगों के हॄदय में भगवान के लिए भक्ति की भावना जगा दी।
प्रेरणादायक कवि
कविवर सूरदास अपने पिताजी की ही भांति एक गुनी और ज्ञानी इंसान थे, जिनके अंदर एक गायक बनने का स्वप्न पल रहा था। उनके आंखों की रोशनी बचपन मे ही चली गयी थी। परन्तु सूरदास जी एक वास्तविक सच यह भी था कि वे कई खूबसूरत रचनाओं के निर्माता भी थे।
जिसके वजह से उन्ह पूरी दुनिया मे प्रसद्धि मिली। यह लोगों का भरोसा ही था जो उन्हें लोगों के दिल मे जगह मिली। कविवर सूरदास सबसे बड़े व तुलसी और केशव के मित्र थे।
परिवार का त्याग
सूरदास का बचपन अपने परिवार से दूर जाकर बीती। वह यह सोचकर परिवार का त्याग कर दिये ताकि वह कभी भी किसी का बोझ न बन सके। उनकी आवाज़ बहुत सुरीली थी कोयल से भी अधिक सुरीली।
जब कभी कविवर दिल से कृष्ण लीला का वर्णन करते हुए गाना गाते थे तब सभी लोग उनके गायन से आकर्षित होकर उनके धुन में खो जाते थे।
महान कविवर सूरदास जी फरीदाबाद स्थित साही नामक जगह पर वर्ष 1478 में पैदा हुए थे। उनका जन्म पूरी काव्य जगत के लिए सम्मान जनक सिद्ध हुआ। ऐसे कुछ महान महान विद्यमाणों के शोध के अनुसार कवि सूरदास आगरा और मथुरा के बीच के गांव रुनकता में पैदा हुए थे।
कृष्ण के भक्त
सूरदास जी कृष्ण भक्ति के ऊपर लिखी सबसे ज़्यादा संख्यां की रचनायों को निर्मित करने वाले कवि माने जाते हैं। उनकी गिनती पूरी दुनिया के सबसे सर्वश्रेष्ठ कवियों में से होती है।
सूरदास ने बचपन से ही मथुरा के गाऊघाट पर वास करने का फैसला किया था यह वही समय था जब उनकी मुलाकात आचार्य वल्लभ से हुयी।
आचार्य जी ने कई रचनाएं लिखी पर सूरदास के कुछ रचित भक्ति के पदों पर उनकी नज़र पड़ी जिसे पढ़कर वे मंत्रमुग्ध हो गये और उन्होंने कविवर सूरदास को अपने शिष्य को अपना शिष्य बनाने के लिए फैसले को मंजूरी दे दी।
फिर काव्य जगत के सूरदास पूरी तरह से कृष्ण की आराधना में खुद को खो दिये । उन्होंने कृष्ण के प्रेम में खोकर कई पदों की रचना की । लोगों द्वारा किये शोधों के मुताबिक कविवर सुरदास जी 105 वर्ष के जीवन अन्तराल में वे एक लाख से भी ऊपर पदों की रचनाएं लिखी।
अनोखे रचनाओं के मालिक
असलियत में उनकी रचनाओं में से कुछ पद ही आज उनके प्रिय पढ़ने वालों के लिए मौजूद हैं । इनके द्वारा लिखित सूरसागर नामक काव्यग्रंथ व ‘सूर सारावली’ हिंदी काव्य जगत की बहुत ही महत्वपूर्ण कृतियाँ मानी गयी है ।
देव कृष्ण की छोटे उम्र की लीला का दिल को छू जाने वाली अनोखा चित्रण उन्होंने ने किया है, जो हर रूप बराबरी नही कर सकता है। कवि सूरदास के द्वारा रचित दस काव्य रचनाओं में श्री कृष्ण के बसबालपन और गोपिकाओं के संग की गई मजाक एवं का वर्णन मिलता है ।
उनके द्वारा लिखी रचनाओं में कृष्ण के बालपन व उनके नटखट रूप का चित्रण इतने खूबसूरती से देखने को मिला है कि पूरा दृश्य जैसे मानो अभी जी उठेंगे।
वाकई में कविवर सूरदास कवि की दुनिया के महान शिरोमणि कवि थे । जिनका हर काव्य उनकी प्रतिभा और कोशिशों से पूर्ण है।
निष्कर्ष
उनका काव्य पूरी दुनिया में प्रकाशमान है । आज के नए सदी के लोग उनकी प्रसिद्ध रचानाएँ जनमानस से काफी प्रेरित हुई है। और हजारों लाखों के अन्दर भगवान के लिए पूरी तरह से भक्ति का भाव जगाती है।
इस तरह से सूरदास हिंदी काव्य स वह अमूल्य हीरा बन गए रत्न जिनको हिंदी साहित्य के किसी भी हिस्से से अलग नही किया जा सकता है ।
Pingback: मेरे प्रिय कवि पर निबंध । Essay on My Favorite Poet in Hindi -