गुरु नानक देव पर निबंध । Essay on Guru Nanak Dev in Hindi

गुरु नानक देव जी बहुत ही समृद्ध परिवार में पैदा हुए थे। जब  गुरु नानक देव जी 16 बरस के हुए तब उनका विवाह सम्पन्न हो पाया था। उस विवाह से उनके दो पुत्र हुए जिनका नाम श्रीचंद एवं लक्ष्मी दास था। सन्तान के पैदा होते ही वे पारिवारिक ज़िन्दगी को छोड़ लक्ष्य व सिद्धांतों की प्राप्ति हेतु निकल पड़े।

बिक्रम कैलेंडर के मुताबिक, गुरु नानक सिख धर्म के नींव रखने वाले गुरु थे जिनके नाम से ही, गुरु नानक जयंती पर्व का यह महत्वपूर्ण उत्सव लोगों द्वारा रखा जाता है।

इस जयंती की खासियत

गुरु नानक जयंती के 2 दिन पहले गुरु ग्रंथ 48 का पूरी श्रद्धा  और निष्ठा के साथ 48 घंटे का पाठ गुरुद्वारों में रखा जाने का रिवाज़ है।

इस  गौरवशाली पर्व के मौके पर नगरकीर्तन का आयोजन होता है जिसने लोगों का समूह एकत्रित होकर गुरु नानक के समान में कीर्तन करते है।

इस आयोजन की  नेतृत्व पंज प्यारों के माध्यम सिख के करते हैं  लोग निशांत साहिब व गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी कहा जाता  है। गुरपुरब के एक दिन पूर्व, नगर कीर्तन भी रखा जाता है। इसमें भक्त सुबह सवेरे निकल जाते हैं। लोग अच्छे प्रकार का भजन करते हैं और उसके बाद प्रार्थना करके सड़कों पर जुलूस निकालते हैं।

स्तुति कीर्तन का आयोजन

गुरुपर्व एक दिन, अमृत वेला के समय या भोर से ही लोग इस दिन को हर्षोउल्लास के साथ मनाना आरम्भ कर देते हैं। इस बड़े उत्सव की शुरुआत सुबह 3 बजे से हो जाती है।

गुरु नानक को याद सम्मान देते हुए पौराणिक कहानियां सुनाने व कीर्तन करने करने के पश्चात भोर की प्रार्थनाएं की जानी की रिवाज है। ऐसे कई गुरुद्वारें हैं जहां रात तक गुरु नानक की स्तुति की जाती है। गुरु नानक जी के जन्म का काल से 1:20 बजे तक स्तुति पढ़ी जाती है।

गुरु नानक के सम्मान में सेवा

गुरुद्वारों में मुफ्त का भोजन बांटने का प्रबंध किया जाता है जो एक विशेष तरह से आयोजित किया जाता है जिसमे दोपहर का भोजन, सभी लोगों के सामने एक प्रसाद की भांति पेश किया जाता है। इस तरह का निःस्वार्थ आयोजन लोगों सेवा का प्रतीक  कहा गया है।

मोह माया से दूर गुरु नानक

गुरु नानक को यह दुनिया के मोह माया में कोई रुचि न थी। उनके पिताजी ने बहुत कोशिश की कि उनको इन सबमें कोई रुची नही थी। गुरु नानक अपने पिता के कारोबार में भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।

एक बार की बात हुई, कुछ ऐसा घटित हुआ कि उनके पिताश्री अपने पुत्र को समझ गए और यह मान लिया की वह एक महान  गुरु हैं, जिनका किसी भी धन या बाहरी दुनिया से कोई मतलब नही है।

गुरु नानक एक सच्चे गुरु

एक दिन गुरु नानक देव को उनके पिता ने कुछ पैसे सौंपे और उन पैसों से कोई काम शुरू करने को कहा जिसके उनको गांव से बाहर जाना पड़ा परन्तु रास्ते में उनकी मुलाकात कुछ साधु से हुई।

उन साधुओं को भोजन करना था तो गुरु नानक जी ने उन साधुओं को अपनी तरफ से भोजन करने का न्योता दिया और फिर वापस अपने गांव आ गए। उनके पिता ने प्रश्न किया गुरु से कि वे इतना देर से क्यों घर आये तो उन्होंने उत्तर दिया कि वे एक बहुत मूल्यवान और सच्चा सौदा करके बाहर से आये हैं।

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