अनके धर्मों व रीति रिवाजों से संपूर्ण भारत की मिट्टी पर एक महान व्यक्ति ने जन्म लिया जिनका नाम मोहन दास करमचंद गाँधी था सदी के महान पुरूष महात्मा गांधी दिनांक 2 अक्टूबर के वर्ष 1869 को गुजरात के पोरबंदर स्थित जगह पैदा हुए।
गांधीजी के पिता श्री करमचंद गांधी थे और माँ पुतलीबाई जो अपने पति की चौथे नंबर की पत्नी रही थीं। महात्मा गांधी जी पुतलीबाई की आखिरी संतान थे।
महात्मा गांधी एक महान देशभक्त थे, जो ब्रिटिश शासन के विद्रोह में भारत के मुख्य आन्दोलनकर्ता के रूप में सामने आये जिससे वे पूरे जगत के लिए राष्ट्रपिता बन गए।
गांधी की शिक्षा
वर्ष 1887 में गांधी की मैट्रिक की शिक्षा मुंबई यूनिवर्सिटी से हुई और फ़िर भावनगर में बने सामलदास कॉलेज में भर्ती हुए । वहां उन्हें कई दिकत्तों का सामना करना पड़ा, क्योंकि उनकी अब तक हासिल की हुई शिक्षा गुजराती में थी औऱ कॉलेज में एकाएक अंग्रेजी भाषा का उपयोग उनके शिक्षा में बाधा उतपन्न करने लगा।
गांधी के खिलाफ जुलूस
इसके बाद वर्ष 1906 में टांसवाल के अधिकारी ने दक्षिण अफीका में वास करने वाले भारतीय के पंजीकरण के लिए बहुत निंदनीय टिप्पणी जारी किया।
वहां पर भारतीयों ने वर्ष 1906 के सितंबर माह में जोहेन्सबर्ग में गांधी के खिलाफ अपमानजनक मोर्चा का आयोजन किया और इस टिप्पणी की आलोचना की वजह से दंड पाने की कसम ली।
सत्या ग्रह का जन्म
इन सब आलोचनाओं की वजह से सत्याग्रह आंदोलन की शुरआत हुई जिसमें लोगों को के भावनाओं को ठोस पहुंचाने के बजाए इनसे सम्भलने, बिना किसी गलत उद्देश्य के साथ खड़े रहने और अहिंसा नीति को अपनाने की आधुनिक तकनीक थी।
वर्ष 1914 का समय था जब महात्मा गांधी जी भारत के लिए चल पड़े जहाँ पूरे राष्ट्र के लोगों ने उनका बढ़ चढ़ कर सम्मान किया और उन्हें महात्मा के नाम से सम्मानित भी किया।
वे चार साल सबसे प्यारे राष्ट्र के बुरे हालातों को समझे और उन लोगों को एकत्रित किये जो सत्याग्रह आंदोलन के माध्यम भारत में मौजूद सामाज के कुटनीतिओं व बुराइयों को मिटाने में उनका साथ दे पायें।
कई आंदोलनों से प्रेरणा
फिर फरवरी 1919 में गांधी ने अंग्रेजों के द्वारा लाये रॉलेट एक्ट कानून का विद्रोह किया, क्योंकि इस कानून के मुताबिक किसी पर भी बग़ैर मुकदमा के जेल भेजने की निति थोपी गयी थी।
इन सबसे तंग आकर महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आंदोलन को पूर्ण रूप से चलाने का निश्चय किया । जिसकी वजह से राजनीतिक दुनिया में उथल पुथल मच गया और वर्ष 1919 के आते-आते बसंत में पूरे उपमहाद्वीप को तबाह कर दिया।
अंग्रेजों का सफाया
इस सफलता से सिख लेकर महात्मा गांधी ने भारत के आज़ादी का जो स्वर्णिम स्वपन देखा था उस उद्देश्य के लिए किए जाने वाले बाकी आंदोलनों के द्वारा सत्याग्रह व अहिंसा के खिलाफ खड़े रहे।
इन सबके परिणामस्वरूप कई आंदोलनों की नींव रखी गई जैसे असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च व ‘भारत छोड़ो आंदोलन ने क्रांति मचा दी।
फिर वह दौर आया जब गांधी के सभी सफल कोशिशों से देश को वर्ष 1947 के तारीख 15 अगस्त को अंग्रेजों से स्वतंत्रता मिल गई।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी के अहिंसा से सम्बंधित कार्यों को लोग भली भांति अब जान गए थे, लेकिन वे जिस तरह सत्याग्रह, शांति व अहिंसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेज सरकार को भारत छोड़ने पर विवश कर दिया, उससे उनका नाम भारत इतिहास में सदैव के लिए लिखा जा चुका है।
उनके इस मानवता के कार्य को देख कर संयुक्त राष्ट्र संघ ने सन 2007 से गांधी जयंती के दिन को ‘विश्व अहिंसा दिवस’ की तरह मनाने का निश्चय किया।