करवा चौथ व्रत कथा l कहानी l दिनांक (24 अक्टूबर) l Karva Chauth Katha

करवा चौथ का एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है l अक्सर करके यह त्यौहार हिन्दू धर्म के लोग मानते है l इस त्यौहार में सुहागन महिलाये अपने सुहाग (पति) के लंबी आयु के लिए व्रत रखती है l यह व्रत निर्जला होता है l चाँद निकलने के बाद ही कुछ खा सकते है l इस दिन व्रत करने वाली महिलाये पूरा सोलह श्रृंगार करती है l

करवा चौथ कब और किस दिन मनाया जाता है

हिन्दू कलैंडर के हिसाब से करवा चौथ कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है l इस बार करवा चौथ भारतीय समय के अनुसार 24 अक्टूबर 2021 (रविवार) 3:01 am से लेकर 25 अक्टूबर 2021 5:43 pm, को मनाई जाएगी l

करवा चौथ का इतिहास

पौराणिक कथा के अनुसार सभी देवता और देत्यो के बीच बहुत भयंकर युद्ध शुरू हुआ l देवताओ की सुरक्षा के लिए ब्रम्हा जी ने उन देवताओ की पत्नियों को करवा चौथ का व्रत रखने के लिए कहे l ऐसा कहा जाता है कि तभी से करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा शुरू हुई l

एक और कथा के अनुसार माता पार्वती जी ने भगवान शिव जी को पाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखी थी l

करवा चौथ मनाने की विधि

करवा चौथ का उपवास शादी शुदा महिलाये अपने सुहाग (पति ) के लिए रहती है l ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत करने से उनके सुहाग की तरक्की होती है और आयु बढता है l सभी व्रती महिलाये दिन भर निर्जला व्रत रखती है और शाम को अच्छे अच्छे पकवान बनाती है l उसके बाद सोलह श्रृंगार करके तैयार होती है l कहा जाता है कि इस व्रत में पूजा करना जितना जरुरी थी, उसी प्रकार पूरा श्रृंगार करना भी जरुरी है l

इस दिन करवा चौथ माता की पूजा करते है l उन्हें पूरा सोलह श्रृंगार चढ़ाया जाता है l पूजा करने के बाद हम चाँद देखने जाते है l पहले चाँद को चालन से देखते है उसके बाद अपने पति को चालन से देखते है l फिर चाँद की पूजा करते है l उसके बाद अपने पति के हाथ से पानी पी के अपने व्रत तोड़ते है l इस प्रकार हमारी करवाचौथ की पूजा संपन्न होती है l

पूजा के समय पढ़ी जाने वाली कहानी

वीरवती नाम की एक राजकुमारी थी l बड़े होने के बाद उसकी शादी एक राजा से हुई l शादी के बाद करवाचौथ का व्रत करने के लिए वीरवती अपने माँ के घर आई l वीरवती अपने घर की लाडली बेटी और बहन थी l सात भाइयो की वह एक बहन थी l इसलिए उसे बहुत कोमल से पाला गया था l और वह बहुत नाजुक और कोमल थी l

करवाचौथ के दिन शाम होते ही वीरवती को चक्कर आने लगा l तभी उसके सातो भाइयो ने सोचा की उसका व्रत तुडवा देना चाहिए l उन्होंने पहाड़ी पर आग लगाई और उसे चाँद निकल गया बता कर व्रत तुडवा कर भोजन करवा दिये l जैसे ही उसने भोजन करना शुरू किया कि उसे खबर आई कि उसके पति की मृत्यु हो गई l

और वह तुरंत वह से रवाना हो गई l वीरवती रोते रोते जा रही थी तभी रस्ते में उसे प्रभु शिवाजी और माता पार्वती जी मिले l माता ते उसे बताया की तूने झूठा चाँद देखकर करवाचौथ का व्रत तोडा है l इसीलिए तेरे पति की मृत्यु हो गई l

वीरवती ने अपनी गलतियों के लिए क्षमा मागी l तब माता पार्वती जी ने वरदान दिया कि उसका पति ठीक हो जायेगा लेकिन पूरी तरह स्वस्थ नही रहेगा l वीरवती अपने महल पहुची तो देखि उसके पति बेहोश थे और उमके शरीर में बहुत सारी सुइया चुभी थी l रानी वीरवती रोज एक सुई निकलती गई l

धीरे धीरे एक साल आ गया और करवाचौथ आ गया तभी राजा के शरीर में एक ही सुई बाकि थी l रानी वीरवती ने करवा चौथ का उपवास पुरे मन से रखी और पूजा पाठ की l और आखरी सुई जो बाकि थी उनके शरीर से निकलने के बाद वीरवती के पति होश में आ गये l इस प्रकार वीरवती को उसके पति वापस मिल गये l

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