बेटी बचाओ, बेटी पढाओ पर निबंध। Beti Padhao Essay in Hindi

बेटी बचाओ, बेटी पढाओ का नारा श्री नरेंद्र मोदी जी ने सन २०१५ में दिया था। बेटी एक माँ, बहन, और पत्नी यह सभी के रूप में होती है । हर रूप में वह सम्माननीय है, वो प्रेम और सभी प्रकार के आदर के योग्य है।

जैसे की हम सभी जानते है की हमारा देश एक कृषि का प्रधान है। हमारे देश में सदियों से स्त्रियों के साथ भेद –भाव और ज्यादतियां होती आई है, कहा जाता है की जब ईश्वर हो कर माता सीता इस कुप्रथा से बच नहीं सकी तो फिर तो हम तो इंसान है।

हमारे देश के पुरुष प्रधान इस समाज के लडकियों को उन्हें उनकी हिसाब से जीने की इजाजत नहीं देते है। पुरुष हमेशा से ही लडकियों पर अपना धोप चलाते आ रहे है। वो समझते है की लडकियों को अपने पैरे तले दबा के रखे। पुरुषो को लगता है की लडकियों को बस घर के काम –काज ही करने चाहिए।

पुरुष यह अच्छे तरह से जानते है की जो उनका अस्तित्व भी है वो इन ही महिलाओ के कारण है। फिर भी यह पुरुष समाज केवल पुत्र को ही कामना करते है। और इन्ही पागलपन में आ कर न जाने कितनी सारी लडकियों की हत्या की है।

बेटियों का अधिकार

संसार में यह जीवन इनकी वजह से ही संभव है, और स्त्री –पुरुष के सामान अधिकार है। लेकिन शायद कुछ लोग यह समझ नहीं पाए है इसीलिए वो बेटे और बेटियों में भेदभाव करते है। बेटियों को ही न समझने की बड़ी भूल करते है, और उन्हें उनके अधिकारों से उनको वंचित रखते है । किसी कवि ने ठीक ही कहा है।

नाम करे न करे बेटे
पर नाम कमाती है बेटिया ,
बोये जाते है बेटे
पर उगती है बिटियाँ ।

बेटियों की यह दशा को सुधरने और उन्हें महत्व देने के लिए हरियाणा सरकार ने 14 जनवरी को बेटी की लोहड़ी नाम से एक कार्यक्रम मनायी जाती है। इस योजना का उद्देश्य बेटियों को सामाजिक और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना है। जिससे वो अपने उचित अधिकार और उच्च शिक्षा का प्रयोग कर सके।

आम जनता में जागरुकता फैलाने में ये मदद करता है, और साथ ही में बेटियों को दिए जाने वाले लोक कल्याणकारी सेवाएँ की कार्यकुशलता को बढावा दी जाये।

बेटियों के लिए सम्मान

जन्म से ही बेटियों को कई प्रकार के भेदभाव से गुजरना पड़ता है । जैसे की शिक्षा ,स्वस्थ्य ,सुरक्षा इत्यादि जैसे दूसरी जरूरते है जो बेटियों को भी प्राप्त होनी चाहिए । बेटियों को सामान और जन्म से ही अधिकार देने के लिए हरियाणा के सरकार ने इस योजना की सुरुवात की । बेटियों के सशक्तिकरण से सभी जगह प्रगति होगी खासतौर से परिवार और समाज में ।

बेटियों के लिए समाज की नकारात्मक पूर्वाग्रह को सकारात्मक बदलाव में परिवर्तन करने के लिए ये योजना एक रास्ता है। ये संभव है की बेटों और बेटियों के प्रति भेदभाव ख़त्म हो जाये और कन्या भूर्ण हत्या का अंत करने में ये मुख्य कड़ी साबित हो।

इस योजना की शुरुवात करते हुए पीएम श्री नरेंद मोदी ने चिकित्सक बिरादरी को ये याद दिया है की चिकित्सा पेश लोगो को जीवन देने के लिए बना है न की उन्हें ख़त्म करने के लिये।

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