बाल श्रम, बच्चो को काम करने के लिए एक उम्र निर्धारित किया गया है, उस निर्धारित आयु के पहले बच्चो से अगर काम कराया जाये, तो उसे बाल मजदूरी कहा जाता है। कुछ माता –पिता अपने आर्थिक स्थति के कारण बच्चो से कम आयु से ही काम करवाने लगते है।
अक्सर करके जिसके माता-पिता की कम आमदनी होती है वे अपने बच्चो को स्कुल और अच्छी परवरिश नही दे पाते वही अपने बच्चो से बाल मजदूरी करवाते है । एसे माता-पिता खुद अधिक परिश्रम न करके अपने बच्चो से काम करवाते है।
बाल मजदूरी एक क़ानूनी अपराध है, काम करने वाला, काम देने वाला और काम कराने वाला हर एक व्यक्ति कानून की नजरो में अपराधी है । बचपन हर बच्चो के जीवन का प्यारा समय है, जिसे उन्हें जीने का जन्म सिद्ध अधिकार है । इसे छिनने का हक़ किसे के पास नही है।
बच्चों को शिक्षा और सुरक्षा का अधिकार है, और उन्हें उनके उद्यमिता और खुशीपूर्ण बचपन का आनंद लेने का अधिकार है। बाल श्रम को रोकने के लिए सरकार, समाज और व्यक्तियों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
उन बच्चों को संरक्षित करने के लिए सामाजिक और कानूनी संरचनाओं को मजबूत करने के साथ-साथ, शिक्षा और पोषण के सुविधाएँ प्रदान करने का भी ध्यान रखना जरुरी है।
इस समस्या का समाधान करने के लिए जनसंख्या के शिक्षा और जागरूकता का लाभ उठाना आवश्यक है। लोगों को बाल मज़दूरी के नकली और गलत उपयोग के बारे में जागरूक करने के लिए शिक्षा और सूचना पहुँचाने की आवश्यकता है।
इस योजना को सफल बनाने के लिए समाज, सरकार, गैर-सरकारी संगठन और व्यक्तियों को साथ मिलकर काम करना होगा। बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए हम सभी को योगदान देने की जिम्मेदारी है।
बाल श्रम या बाल मज़दूरी का अर्थ
यह बाल श्रम एक अत्यंत गंभीर समस्या है जिसमें बच्चे अपने बचपन के दिनों से वंचित रहते हैं और मजबूरी में काम करने को कहा जाता है। ये बच्चे अक्सर पैसों या आवश्यकताओं के लालच में आकर किसी भी तरह के काम करते हैं। इसका मतलब है कि उनको उनके खेलने-खिलने और पढ़ाई-लिखाई का अधिकार नहीं मिलता, बल्कि उन्हें भारी शारीरिक और मानसिक तनाव में डालकर काम करवाया जाता है।
बाल श्रम के तहत ऐसा करना पूर्णत: गैरकानूनी है और समाज में इसे नकारात्मकता से देखा जाता है। भारतीय संविधान के तहत, 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को ऐसे काम में नहीं लगाने का कड़ा निषेध है और उनके लिए सख्त दंड का प्रावधान है। बाल श्रम की यह समस्या भारत में बहुत सारे बच्चों को प्रभावित कर रही है, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, और राजस्थान जैसे राज्यों में।
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बाल श्रम या बाल मज़दूरी के कारण
- गरीबी और असमर्थता: गरीबी और असमर्थता के कारण बच्चों को काम पर जाना पड़ता है। उनके परिवार अक्सर उन्हें शिक्षा और उचित देखभाल नहीं दे सकते।
- शिक्षा की कमी: अन्धविश्वासों या धार्मिक विश्वासों के कारण कुछ लोग बच्चों की शिक्षा को महत्व नहीं देते, जिसके कारण बच्चों को काम पर लगाना पड़ता है।
- बेरोजगारी: अवसरों की कमी और बेरोजगारी के कारण कुछ लोग अपने बच्चों को काम पर लगाते हैं ताकि घर का खर्चा निकल सके।
- सामाजिक दबाव: कुछ समाजों में बच्चों को काम पर लगाने का दबाव होता है, जिससे उन्हें शिक्षा या खेलने-खिलने का समय नहीं मिलता।
- अपराधिक श्रेणियों का शिकार: किसी बच्चे को उसके परिवार या आस-पास के लोग किसी अपराध में शामिल करने की धमकी देते हैं, जिससे उन्हें वांछित काम करने का अधिकार नहीं रहता।
- किसी अपातकाल में आर्थिक संकट: किसी अपातकाल में जैसे आपात स्थितियों में परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़े, तो बच्चों को काम पर लगाना पड़ सकता है।
- कानूनी लापरवाही: किसी क्षेत्र में कानूनी लापरवाही और निगरानी की कमी के कारण, बच्चों को अपराधिक रूप से शोषित किया जा सकता है।
- संविदानिक समस्याएं: कुछ लोगों के पास बच्चों को शिक्षा और अच्छे जीवन के लिए उचित विचार नहीं होता, जिससे बच्चों को काम पर लगाना पड़ता है।
- विपरीत परंपराएं और विश्वास: कुछ समुदायों में विपरीत परंपराएं और धार्मिक विश्वास ऐसे होते हैं जो बच्चों को काम पर लगाने को प्रेरित करते हैं।
लोगो की गलत सोच
लेकिन कुछ माता –पिता की गलत सोच की वजह से उन्हें अपना जीवन नही जीने मिल रहा है, कुछ माता –पिता का सोचना ये है की पढाई करके क्या होगा, ज्यादा कर के ये सोच लडकियों को ले कर होता है, कि लड़की जात है पढ़ के क्या करेगी आगे जाके घर ही संभालना है, इसलिए उनसे बचपन से ही अपने घर के काम और दुसरो के घर में काम करने भेजने लगते है। उनसे उनका सुनहरा जीवन छीन लिया जाता है।
कई छोटी कंपनियों में कम तनख्वाह देने की वजह से, वे लोग कम आयु के बच्चो को काम पर रखते है, और उनसे उनकी उम्र से अधिक परिश्रम का कार्य करवाते है। कई चाय के दुकान पर, फास्ट फ़ूड के दुकानों पर, होटलों में भी बाल मजदूरी करवाई जाती है।
बाल मजदूरी के कारण
बाल मजदूरी भारत में बड़ा सामाजिक मुददा बनता जा रहा है। हमें भारत में बनाये गये नियमो का पालन करना चाहिए और उस नियम के रास्ते पर चलना चाहिए।
बच्चो को खुद नही पता रहता है, कि उनके साथ अन्याय हो रहा है क्योकि वो ये नियम से अनजान है, वह बहुत प्यारे और मासूम बच्चे है।
बाल मजदूरी कम न होने का सबसे बडा जड़ बढती महगाई, भयंकर गरीबी, अत्यधिक स्कुलो की फ़ीस, महँगी पुस्तके इत्यादि कारणों के वजह से बाल मजदूरी कम नही हो रही है, पर इसे हमें रोकना होगा गरीब माता-पिता और मालिक जो कामो पर रखते है उन्हें अपने अप को बदलना होगा तब जाके बाल मजदूरी में सुधार आ सकता है।
हमारे देश को विकाशील से विकसित बनाए के लिए इन प्यारे बच्चो के हातो में किताबे देनी होगी ना, कि जिंदगी का बोझ ये बच्चे पढ़े के तभी हमारा भारत देश विकसित होगा और हम सब सुकून का जीवन जियेगे।
बाल श्रम या बाल मज़दूरी के दुष्परिणाम
- शिक्षा की कमी: बच्चों को काम पर लगाने के कारण उन्हें अपनी शिक्षा का समय नहीं मिलता, जिससे उनकी शिक्षा का स्तर कम होता है।
- फिजिकल और मानसिक समस्याएं: बाल श्रम से उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, जो उन्हें जीवनभर के लिए प्रभावित कर सकता है।
- कौशल विकास की रोकथाम: बच्चों को उनके उम्र के अनुसार सही शिक्षा और कौशल विकसित करने का मौका नहीं मिलता, जो उनके भविष्य को प्रभावित कर सकता है।
- सामाजिक असमानता: बाल श्रम विभिन्न समुदायों और वर्गों के बीच सामाजिक असमानता को बढ़ाता है और उन्हें समाज से वंचित करता है।
- राष्ट्रीय विकास में बाधाएं: बाल श्रम राष्ट्रीय विकास में रुकावट डालता है, क्योंकि बच्चे हमारे भविष्य के नेतृत्व और विकास के लिए तैयार होने के लिए नहीं होते।
- मानवाधिकार का उल्लंघन: बाल श्रम विविधता के मानवाधिकार का उल्लंघन करता है, क्योंकि बच्चों को उनके निजी और सामाजिक जीवन का अधिकार नहीं मिलता।
- उद्योगों का विकास हो रहा है: बाल श्रम के कारण उद्योगों का विकास रुका रहता है क्योंकि बच्चों को सस्ते में काम कराने का अवसर मिलता है जिससे व्यक्तिगत उत्थान और विकास रुक जाता है।
- सामाजिक विकास में विघ्न: बाल श्रम से समाज में शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक विकास के लिए आवश्यक विधायकों की कमी होती है।
- सामूहिक सांघटन और उत्साह की कमी: बच्चों को काम करने के कारण उन्हें समाजिक सांघटन और उत्साह से वंचित कर दिया जाता है, जिससे उनका सामाजिक और मानसिक विकास अधूरा रह जाता है।
- समाज की बदहाली: बाल श्रम समाज की बदहाली बढ़ाता है और समाजिक सद्भावना और सामूहिक उत्थान को प्रभावित करता है।
बाल मजदूरी के रोकथाम के उपाय
हमें बाल मजदूरी को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- शिक्षा का प्रचार-प्रसार: शिक्षा को सभी बच्चों तक पहुंचाने के लिए सरकार और समाज को समर्थन करना चाहिए।
- योजनाएँ और कानून: बाल मजदूरी को रोकने के लिए कठिनाईपूर्ण कानून और निगरानी योजनाएँ बनाने चाहिए।
- उद्योगों में निगरानी: उद्योगों में सख्त निगरानी और उनके अनुसार कार्रवाई करने के लिए विशेषज्ञ निगरानी टीमें बनानी चाहिए।
- मुफ्त शिक्षा और उपयोगी कौशलों की प्रशिक्षण: गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा और उनके लिए उपयोगी कौशलों की प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि उन्हें अच्छे रोजगार के लिए तैयारी की जा सके।
- सामुदायिक जागरूकता: सामुदायिक सभाएँ और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के लिए समुदाय के सदस्यों को समर्थन करना चाहिए।
- सरकारी योजनाएँ और लाभ: सरकार को गरीब परिवारों को आर्थिक समर्थन और बच्चों की शिक्षा के लिए विशेष योजनाएँ और लाभ प्रदान करने की आवश्यकता है।
- उदार आर्थिक समर्थन: उदार आर्थिक समर्थन के रूप में अनुशासनिक वित्तीय सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि परिवार बच्चों को काम पर नहीं भेजे।
- साक्षरता कार्यक्रम: बच्चों की शिक्षा के लिए साक्षरता कार्यक्रमों की योजना करनी चाहिए ताकि उन्हें सही दिशा में अग्रसर किया जा सके।
- समाजिक नेटवर्क: बच्चों को उनके अधिकारों और सुरक्षा के बारे में जागरूक करने के लिए समाजिक नेटवर्क बनाना चाहिए।
- उचित निगरानी और शिकायत सेवा: उचित निगरानी और शिकायत सेवाएँ ताकि बाल मजदूरी के मामलों को तुरंत संज्ञान मिल सके और उचित कार्रवाई की जा सके।
निष्कर्ष
बाल मजदूरी रोकने के लिए सबसे पहले माता-पिता और मालिको का सोच बदलना होगा। जगह – जगह स्कुलो की सुविधा देनी होगी और फ़ीस कम करना होगा। जिससे हर बच्चा स्कुल जा सके और शिक्षा ग्रहण कर सके।
FAQs
बाल मजदूरी वह प्रक्रिया है जिसमें बच्चे अपने योग्य आयु से कम उम्र में नियोक्ता के द्वारा किसी कारखाने, खान में या अन्य स्थानों पर काम करते हैं।
बाल मजदूरी का प्रभाव मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से खतरनाक होता है। इससे बच्चों की शिक्षा और विकास पर बुरा असर पड़ता है, जिससे उनके जीवन का सामान्य प्रक्रिया पर बुरा असर पड़ता है।
बाल श्रम को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाए जा रहे हैं। हेल्पलाइन जैसे संसाधनों का इस्तेमाल करके बालों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा की जा सकती है।
अगर कोई व्यक्ति 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को काम पर लगाता है, तो उसे कड़ी सजा हो सकती है जो 2 साल तक की हो सकती है और उसे 50,000 रुपये तक का जुर्माना भी दिया जा सकता है।
राष्ट्रीय बाल श्रम नीति का मुख्य उद्देश्य बाल श्रम को उन्मूलन करके बच्चों के लिए कल्याण कार्यक्रम प्रदान करना और उन्हें शिक्षा और पुनर्वास की सुनिश्चित करना है।
बाल श्रम से प्राथमिकता उनकी स्वास्थ्य और मानसिक विकास में होती है, जो उन्हें अन्य बच्चों की तुलना में कठिनाइयों का सामना करने पर मजबूर करता है।
बाल मजदूरी को रोकने के लिए समाज, सरकार और संगठनों को मिलकर काम करना होगा ताकि बच्चों के अधिकारों का पालन किया जा सके और उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जा सके।
यदि कोई व्यक्ति किसी 14 साल या उससे कम उम्र के बच्चे को काम पर लगाता है तो उसे 2 साल तक की सजा हो सकती है साथ ही 50 हजार रूपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।