ऐसा कोई भी समाज नहीं बना जहां लोग त्योहारों के द्वारा अपनी खुशी और प्रसन्ता नहीं ज़ाहिर करते। भारत में धर्म की भिन्नता है और इसी भिन्नता की वजह से हिन्दुओं के कई त्योहार देखने को मिलते हैं जैसे होली, कृष्णाष्टमी, नवरात्रि व दीपावली।
जिनमे से दीपावली अथवा ज्योति का यह पर्व बहुत ही महत्पूर्ण होता है। इस त्यौहार के बारे में सोचते ही मन-खुशी से झूम उठता है। आज के दिन कोई भी घर बग़ैर रोशनी के नही होता क्योंकि यह त्योहार हर घर मे रोशनी ले आता है।
दीपावली का इतिहास
दीपों का यह पावन पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन पूरे भारतवर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। अमावस्या की काली रात पूर्ण रूप से करोड़ों दीपों से जगमग करने लगती है।
ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री राम 14 वर्ष तक अयोध्या से बाहर रहने के बाद अयोध्या वापस आये थे, इस खुशी में अयोध्यावासियों ने हज़ारों दिप जलाकर उनका स्वागत किया था।
दीपों की जगमगाहट
पर्व की तैयारी में घर और आस-पास के जगहों की बहुत ही अच्छे से साफ-सफ़ाई करते हैं। इसके अलावा दिवाली का त्योहार हमें हमारे रीति व रिवाजों से जोड़े रखता है, हमारी पूजा और आस्था के पराक्रम का ज्ञान देता है। इस बात से भी परिचित कराता है कि, चाहे कुछ भी हो, आखिर में विजय हमेशा सच्चाई और नेकी की होती है।
दिवाली हर साल खुशी, उमंग और बहूत सारा समृद्धि लेकर आता है। इसके मौके पर अमावस्या की अंधेरी रात में दिए की चकाचौंध से पूरा देश रौशन हो जाता है। दिपावली पर सालों से रीत के मुताबिक सभी अपने घरों को दीये से रोशन करते हैं।
दिवाली की अहमियत
दीपावली मनाए जाने की वजह एक बहुत ही प्रचलित कहानी है त्रेता युग में भगवान राम के रावण को मारकर चौदह वर्ष के बाद माता सीता व भाई लक्ष्मण के संग अयोध्या की वापसी की खुशी में पूरी अयोध्या नगरी को पुष्पों और दीपों से सजाया गया।
इसके बाद से ही इसे प्रति वर्ष कार्तिक अमावस्या को मनाने की मान्यता दी गयी। दीवाली दीपक का त्योहार होने के साथ-साथ खुशियां का भी प्रतीक है। सभी लोग चाहे बच्चे हो या बूढ़े इस पावन अवसर का खुशी से इंतजार करते हैं।
यह कामना की जाती है कि दीवाली के दिन सभी सही से रहें और दूसरों को भी सही से रहने का निर्देश दें। आज के दिन अच्छा भोजन खाने का रिवाज है और बाज़ार जाकर मिठाई व नए कपड़े खरीदने का भी। सब परिवार मिलकर इसका आनंद लें।
निष्कर्ष
हर त्योहार का अपना एक महत्व होता है, वैसे ही इसी तरह रोशनी के इस पर्व को सुख समृद्धि लाने वाला पर्व कहा जाता है।
सभी घरों में इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा रखी जाती है और शांति की कामना की जाती है। इस साल पर्यावरण व स्वास्थ्य को दिमाग में रखते हुए एक समृद्धि से भरे त्योहार अपनों के साथ मनाएं।