प्रकृति का सबसे खूबसूरत बनाने का आधा कार्य हमारा ये वन करता है। एक मानव सभ्यता के अस्तित्व की मूल वजह ये वन ही हैं इसलिए ये एक प्रकार से बहुत ही कीमती उपहार और अंग है।
कई सालों से हो रही निरंतर रूप से हो रही वनों की कटाई ने जहां मनुष्य के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है, वहीं असंतुलित मौसम को अपने चपेट में ले लिया दिया है।
वनों के लाभ
एक देश कि लगभग हर कार्य और गतिविधयां वन के कारण ही चलता है इसलिए वन इन देशों का बहुत ही गहरा भाग होता है। तातपर्य, एक राष्ट्र के सही प्रकार से कार्य करने के लिए वहां की जलवायु , वातावरण और मानव व पशु जीवन पर ही आधारित होते है।
मनुष्य अपने निजी स्वार्थ के लिए इन जंगलों को निरन्तर तबाह किये जा रहे हैं।
इन सबका नतीजा पूरे संसार के वन क्षेत्र लगातार कम होते दिख रहे हैं। इसका आने वाला कल बहुत ही निराशाजनक दिखने लगा है।
इन सबको ध्यान में रखते हुए हमें इन वनों को पूर्ण रूप से सुरक्षा प्रदान करना होगा जिससे पूरी मानव जाति या हर प्राणी का अस्तित्व बचा रहे और कोई खतरे में ना आये।
विश्व के कई हिस्सों में मौजूद वहां की मिट्टी व जलवायु के मुताबिक भिन्न प्रकार के जंगलों , वृक्ष, पौधे औऱ पशु-पक्षियों जैसे जीव मिलते हैं। ये सब मिलकर वनों का संतुलन बनाये रखने में काफी सहायक होते हैं और अप्रत्यक्ष तरिके से पूरी सभी जाति कई प्रकार से लाभ प्रदान करते हैं। अंततः ये सब की वजह से ही हमारी धरती खूबसूरत दिखती है।
वनों के कटाई का प्रभाव
एक पुराने समय में पूरी मानव सभ्यता ने ने जंगसभी को वनों की कटाई कर बनाई थीं और खेती व फसलें देखना आरंभ किया था, तो वह सभ्यता के विकास की भी आरम्भ मानी गई थी।
इन के बावजूद विकास के लिए हो रहे मनुष्य की मतलबी चरित्र के कारन जंगलों की कटाई का कार्य निरन्तर होने से इसके धीरे-धीरे विलुप्त होने का डर पैदा हो गया है। फिर ये वन यदि नहीं रहे तो हमारी पूरी मनुष्य व पशु के वजूद पे पूर्ण रूप सर से सवाल खड़ा हो जाएगा। पूरे संसार में इस छेत्र में कमी देखने को मिल रही है जो मनुष्य के मौजूद दखल से पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो।
एक पत्रिका है जो ‘करंट बॉयोलॉजी’ नाम से है और इसके बताये शोध के मुताबिक यदि ऐसे ही वनों की कटाई तो रही होती तो इस शताब्दी के आखिर में मतलब वर्ष 2100 तक पूरे विश्व से जंगलों का पूर्ण रूप से कटाई हो जाएगी।
वनों की कटाई का कारक
आधुनिकरण व विकास के लिए हो रहे इन जंगलों को बर्बाद करने का कार्य जिस तेजी से देखने को मिल रहा है वैसे तो लगता है वन का अस्तित्व पूरी दुनिया में कहीं भी मिलना मुश्किल है। विकास कार्यों के उदेश्य के लिए जो इन जंगलों को उखाड़कर देश-विदेश की विशाल और नामी कंपनियों को बसाने का लक्ष्य जो साधे हैं इनमे खुद सरकारें भी शामिल हैं।
इन प्रकृति की देन जंगलों के अंधाधुंध छटाई होने की वजह विश्व के वनक्षेत्र का सिकुड़ना वातावरण के लिए काफा दुखदायी साबित हुआ है।
निष्कर्ष
कई कारणों की वजह से इन वनों की कटाई देखने को मिली है विकासों, उद्योगों व खनिज जैसे कार्यों में वनों की भारी उपयोगिता है और इसलिए ये वन धीरे-धीरे साफ हो रहे हैं।
वनों की बेरहमी से हो रही कटाई का सिलसिला सभी कानून व नियमों को एक जगह अलग कर सालों से जारी है। इस लापरवाही में लिए जनसंख्या में वृद्घि, अवैज्ञानिक व निरन्तर विकास तथा भोगवादी रीति भी शामिल है।