वैसे तो आज हमारा समाज शिक्षा के मामले में कई गुना पीछे है जिसकी वजह यह है कि कट्टर सोच, गरीबी व लोगों की पिछड़ी हुई विचारधारा के कारण आज हमारा देश प्रगति नहीं कर पा रहा।
जो देश बहुत ही प्राचीन ख्यालातों वाला देश है युगों से एक पुरुष प्रधान देश की गिनती में शामिल है जो नारी को बहुत ही मर्दों से नीचे देखता हैं।
इस पुरानी सोच की वजह से एक औरत के शिक्षित होने के बाढ़ बाद भी लोगों के बीच उदासीनता की भावना रहती है। यह संभव है अन्य क्षेत्र में आज देश बहुत तरक्की कर रहा है परंतु औरतों को उसका अधिकार जो कि शिक्षित होना है उस में पिछड़ी हुई है।
पुराने समय से ही नारी के शिक्षा के कोई विशेष माहौल और सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी, परन्तु देश के स्वतंत्र होने के बाद से केंद्र सरकार, राज्य विकास और नारी शिक्षा में विकास हुआ है तब भी आम नारी आज भी साक्षरता से काफी दूर हैं।
अगर गौर से देखें तो आज भी पुरुषों के मुकाबले नारी साक्षरता बहुत ही कम हैं।
शिक्षित नारी की महत्व
एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति खुद के भौतिक और बौद्धिक क्षेत्र में काबिल होता हैं, इस कारण से अगर हम सोचें तो नारी पढ़ी हो तो वह एक घर को चलाने वाली, माँ की भूमिका और पत्नी के जैसे अच्छे परिवार का संचालन, बच्चों की रखवाली कर सकती हैं। वह अपने पुत्र व पुत्री में ऊंचे संस्कार भर सकती है।
हमें नारी शिक्षा पर बहुत प्रकाश डालना होगा क्योंकि यदि औरतें शिक्षित होंगी तो वह अपने बच्चों को भी आगे चलकर शिक्षित बनाएगी और समाज में मौजूद महिलाओं के प्रति कुप्रथा में भी कमी आएगी। फिर उसके बाद यदि वे पढ़ेंगी तब उन्हें अपने हक के बारे में भली-भांति पता होगा।
नारी शिक्षा की पहल
पिछले कुछ वर्षों से देश की सरकार ने भी नारी को शिक्षा दिलाने पर ध्यान दिया है और इसको लेकर कई कोशिशें भी की है जिनसे कई महिलाओं को शिक्षा मिली है। नारी शिक्षा को और आगे ले जाने देने के कारण ही आज वे पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हर कार्य मे बराबरी कर रही है।
आज के समय में नारी के शिक्षित होने को बहुत खराब समझा जाता है। जिस प्रकार किसी प्राणी के जीवन के लिए ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है वैसे ही किसी देश को यदि विकास के राह पर ले जाना है तो सबसे पहले वहां की नारी का शिक्षित होना होगा।
अगर हम औरतों की शिक्षा के महत्व को बखूबी समझें तो ये समाज हमें मर्दों के जैसा सम्मान और ऊंचा दर्जा देगा।
यदि नारी शिक्षित रहेगी तब वे अपने अधिकारों के तरफ जागरूक रहेंगे जिसकी वजह से वे समाज में बहुत ही आगे जाएंगी। औरतों के पढ़ने के कारण कोई उनके साथ असभ्य तरीके से पेश नही आएगा।
निष्कर्ष
एक औरत अच्छाई और बुद्धिमानी की पूर्ण शिक्षा ग्रहण कर न सिर्फ अपने व्यक्त्वि का निर्माण करती है अपितु वह परिवार और अपने आसपास में भी अपने शुद्ध विचारों की रोशनी हर तरफ फैलाती है।