एक देश का मूल आधार उसकी युवा पीढ़ी होती है जो इसे विकास और सुनहरे भविष्य की ओर ले जाते हैं। एक राष्ट्र के लिए सबसे ज़रूरी है इसका निर्माण का दायित्व सही हाथ मे होना जो भारत जैसे गौरवशाली देश में हमारे ये आज कर युवक कर रहे हैं ।
आज के जमाने में राष्ट्र के नए युवा पीढ़ी में सांस्कृतिक तौर पर शिक्षित होने की आवश्यकता है क्योंकि इन युवाओं में किसी प्रकार का नैतिक भाव नही है जिनके वजह जिनकी वे दूसरों को अपने से काफी भिन्न मानते हैं और उनके लिए नकारात्मक प्रवृत्ति रखते हैं ।
युवा की भूमिका
इसी असंतोष के कारण, विश्वविद्यालयों में भी अच्छे व बुरे समझने की शिक्षा का योगदान दौर चाहिए । आज के नए युग में भारत की शिक्षा प्रणाली विश्व में सबसे ज़्यादा प्रसिद्ध है । इसी वजह से हमारे देश के निर्माताओं को यह ठोस वचन लेना चाहिए कि वे विश्वविद्यालयों के हालातों को सुधारें जिससे युवा पीढ़ी में असंतोष न दिखे।
अगर भारत के नव युवकों की मानसिकता सच्ची ईमानदारी वाली नही है या उनमें सच्चाई के भाव की नामौजूदगी है तो यह देश के लिए सबसे बडी हार है कारण ऐसे हालातों में देश के प्रगति की कल्पना सिर्फ कल्पना तक ही सीमित हो जाती है, उसे सच्चाई का रूप देना गलत होता है।
बढ़ते असन्तोष की वजह
इस असंतोष का अहम कारक देश में बढ़ रहे इस समस्याओं का सही हल न निकलना है। आज इस मुद्दे से देश का हर विश्वविद्यालय जूझ रहा है । आज इस असंतोष की वजह से देश के नौजवान का उपयोग पूर्ण रूप से नहीं होता दिख रहा है ।
युवा के युग में देश के लिए क्या कर्तव्य हैं ये देखते है- पढाई वाले छात्र का कार्य अध्ययन के साथ देश के सुंदर भविष्य का निर्माण करना भी है परन्तु वह असंतोष के जाल में फंसकर ही रह जाता है । देश के प्रति मोहब्बत करना एक युवा का प्रथम कर्तव्य होना चाहिए ।
आज के समय के खुदगर्ज शिक्षकों के कारण युवा इन पर निर्भर हो गए हैं। वे कोई भी कार्य करने के लिए खुद को कौशल नहीं कहते। आज देश की सरकार के कुछ फैसले विद्यार्थियों के दिल में और आग लगा रही है । शिक्षा का और मुद्दा देश के भले और हित के बारे में सोचना है।
देश के नए युवक , शिक्षा तो पा लेते हैं पर वे खुद यह नहीं जानते कि उसे शिक्षा हासिल करने के बाद कौन सा उद्देश्य पूर्ण करना है। एक स्वयं के व्यवसाय के लिए कोई शिक्षा हासिल नहीं की जाती । आज सरकार को खोज के दौरान कोई शिक्षा देकर विद्यार्थी को अपने महत्वपूर्ण कार्य मे शामिल करना रहा है।
राष्ट्र के प्रति कर्तव्य
देश में मौजूद इस अनौपचारिक असंतोष को रोकने के लिए आवश्यक है कि हमारे राजनीति व सत्ता से जुड़े स्वार्थ से पड़े देश की सफलता की कामना करें और ठोस नीतियाँ जारी करें । इस बात का अहम ध्यान रखें कि इन सबका हल सही प्रकार से निकले।
भ्रष्टाचार के आगोश में पूर्ण रूप से आ गए अफसरों व कर्मचारियों से बहुत ही गंभीरता से निपटने की कोशिश की जानी चाहिए । पूरे भारत में अच्छे और प्रगर्ति करते वातावरण की उदेश्य पूर्ति के लिए आवश्यक है कि सभी भर्तियाँ लोगों की कौशलता को देख कर हों और उनमें भाभेदभाव की भी कोई जगह न रहे।
असंतोष के कारण
- हमारे देश में कानून व्यवस्था का भंग होना l
- देश का युवाओ का अपने मंजिल का ढांचा सुनिश्चित नही कर पाना l
- लोगो के बीच समायोजन में असफल होना l
- हमारे समाज के पीढ़ी दर पीढ़ी पैसो का हस्तानान्तरण न हो पाना l
- हमारे देश के सामाजिक विघटन संस्थाओ द्वारा समाज पर असर पड़ना l
- देश में किसी सम्पति का नुकसान के साथ उसका आर्थिक, सामाजिक विकास बंद होना l
- शिक्षा का अवरुद्ध हो जाना l
- देश की महंगाई का असर युवा वर्ग पर पड़ना l ‘
- विश्वविद्यालय में युवा वर्ग का समुचित पढाई न हो पाना l
- हमारे समाज में देखा जाये तो शिक्षित युवाओ को बेरोजगार होकर घूमना ही एक बहुत ही बड़ा कारण का विषय है l
निष्कर्ष
हमारे देश की शिक्षा प्रणाली में कई मुख्य परिवर्तन की आवश्यकता है । हमारी शिक्षा का अहम मुद्दा व्यवसायिक सकारत्मक होना ज़रूर है जिसके द्वारा पूरे शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों को संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सके ।