भारत देश में गणेश चतुर्थी बड़े ही धूम-धाम और उत्साह पूर्वक से मनाया जाता है। यह जो त्यौहार है बड़े उत्साह से कार्यालय हो या स्कूल – कॉलेज और हर जगह मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दो या तीन दिन पहले से ही कार्यालयों और शिक्षा संस्थानों को बंद करके भगवान गणेश जी की पूजा की तैयारी की जाती है । गणेश चतुर्थी वैसे तो पुरे देश में मनाया जाता है, परन्तु मुंबई (महाराष्ट्र) में ज्यादा इसका मान्य है और बड़ी धूमधाम से गणपति बप्पा के मूर्ति का स्थापना किया जाता है।
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जिसकी संस्कृति, परंपरा और विविधता उसे दुनिया भर में अलग बनाती है। इसके सभी त्योहार रंगीनता, उत्साह और धार्मिक अर्थ के साथ मनाए जाते हैं। गणेश चतुर्थी, भारत में भगवान गणेश की प्रतिष्ठा का महत्वपूर्ण उत्सव है, जिसे विशेष धूमधाम से मनाया जाता है।
सभी लोग इस पर्व का बड़े ही उत्साहपूर्वक इंतजार करते है। यह देश के अलग –अलग सभी राज्यों में मनाया जाता है । हालाकि सबसे ज्यादा यह त्यौहार महाराष्ट्र में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी हिन्दुओ का सबसे महत्वपूर्व त्यौहार होता है। जिससे भक्तो द्वारा हर वर्ष बड़े ही उतसाह और आनंदपूर्वक से मनाया जाता है । हिन्दू मान्यता के अनुसार गणेशचतुर्थी हर साल भगवान गणेश जी के जन्मदिवस पर ही मनाया जाता है।
मूर्ति की स्थापना
यह उत्सव श्रद्धा और उमंग से भरा होता है, और भगवान गणेश के प्रतिष्ठान के अवसर पर उनके भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का इतिहास प्राचीन समय में वापस जाता है, जब बुद्धिमान देवता भगवान गणेश की प्रतिष्ठा की गई थी। विभिन्न कथाएं इस त्योहार के पीछे सम्बन्धित हैं, जो इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोन से महत्वपूर्ण बनाती हैं।
हमारे यहाँ गणेश चतुर्थी की स्थापना से पह्ले ही गणेश भगवान को दो दिन पहले ही लेकर आया जाता है। गणेश चतुर्थी ११ दिनों का लंबा त्यौहार है । जो चतुर्थी के दिन मंदिरों या घरो में मूर्ति की स्थापना से शुरू की जाती है तथा विसर्सन के साथ –साथ अनन्त चतुर्थी पर खत्म हो जाती है । सभी भक्त भगवान् से हाथ जोड़कर प्राथना करते है, सभी भक्त का मानना है की गणेश भगवन को खासतौर पर मोदक बहुत प्रिय है । इसलिए उन्हें सभी भक्त गणेश जी को मोदक चढाते है।
सभी भक्त गीत गाते है, और मंत्रोच्चारण करते है, आरती करने के साथ –साथ ही उनसे बुद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते है। इस त्यौहार को मंदिर या पंडालो में लोगो के समूह द्वारा, परिवार या अकेले भी मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी के प्रमुख उत्सव
भारत भर में गणेश चतुर्थी का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। मुख्य रूप से, इस उत्सव को दो भागों में बांटा जा सकता है। पहले भाग में, गणपति स्थापना का विधान होता है, जिसमें भगवान गणेश की मूर्ति को घरों और संस्थानों में स्थापित किया जाता है। दूसरे भाग में, गणेश चतुर्थी का उत्सव सार्वजनिक स्थानों पर मनाया जाता है, जिसमें विभिन्न प्रकार के धार्मिक और कला समारोह, गणेश पूजा, आरती, भजन और भक्तिगान शामिल होते हैं।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह उत्सव भगवान गणेश के उत्साही भक्तों के द्वारा उन्हें प्रसन्न करने और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का मौका प्रदान करता है। यह भारतीय संस्कृति का एकता और समरसता के लिए एक मंच भी है, क्योंकि इसमें सभी समुदायों और वर्गों के लोग साझा भावना के साथ इसे मनाते हैं। इस उत्सव को धार्मिक और सामाजिक मायने में देखा जाता है, जो लोगों को एक-दूसरे के साथ सम्बंध बनाए रखने और समरसता के सिद्धांतों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
गणेश चतुर्थी पूजाविधि
गणेश चतुर्थी के दिन ही सभी भक्त सुबह –सुबह ही सबसे पहले नहा-धोकर गणेश भगवान की पूजा करते है, और सभी भक्त इकठ्ठे होकर उनकी आरती की तैयारी करते है। सभी भक्त सुबह के 8 बजे ही गणेश भगवान जी कि आरती करते है, आरती में सभी भक्त मिलकर आरती के गीत गाते है और कुछ मंत्रो का उताच्चरण करते है। आरती ख़त्म होने पर सभी भक्त गणेश जी को हाथ जोड़कर प्रार्थना करते है, और गणेश जी का जो प्रसाद चढ़ाया जाता है, वो प्रसाद आरती ख़त्म होने के बाद सभी भक्तो में बाट दिया जाता है। यह पूजा लगातार 11 दिनों तक होती है।
विसर्जन
गणेश जी के अंतिम दिन को सभी भक्त मिलकर गणेश जी का विसर्जन करते है । विसर्जन के दिन उनका बहुत ही धूम-धाम से पूजा पाठ किया जाता है । विसर्जन के दिन ही हवन किया जाता है और सारे भक्त उस हवन में शामिल होते है। हवन कम-से –कम 3 घंटे का होता है जो मन्त्रोच्चार के साथ हवन ख़त्म होने के बाद । वहा मंडल के द्वारा भंडारा का आयोजन किया जाता है। भंडारा में सभी भक्त मिलकर वहा भंडारे की तैयारीयों में जुट जाते है।
सभी भक्त मिलकर भंडारा की तैयारी जोरो – शोरो से की जाती है। भंडारा में कई भक्त आते है। और भंडारा में अनेक प्रकार के पकवान बनते है । जिसमे से खास करके की पूरी, दो या दिन प्रकार की सब्जी बनती है। और दूर- दूर से लोग आते है भंडारे में और वहा के भंडारे में सभी भक्त भगवन गणेश जी का प्रसाद समझ कर सभी भक्तो खिलाया जाता है। फिर उसके अगले दिन ही सुबह – सुबह भगवान गणेश जी को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है।
सभी भक्त मिलकर गणेश भगवन जी को विसर्जन के लिए बैंड –बजा और डी. जे. के साथ ले जाते है। सभी भक्त के चहरे पर उदासी सी छा जाती है की अब भगवान गणेश जी की विसर्जन हो रही है, इसलिए कहा जाता है की अगले बरश तू जल्दी आ गणेश भगवान जी को कहा जाता है।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी भारतीय संस्कृति के एक विशेष पर्व है, जो भगवान गणेश की पूजा और प्रतिष्ठा के माध्यम से भक्तों को संबल, उत्साह और सामर्थ्य के साथ नवीन संकल्प बनाता है। इस उत्सव के दौरान, धार्मिक विधियों का पालन करने के साथ-साथ, समृद्धि, शुभकामनाएं, और प्रेम के संदेशों को संसार के हर कोने तक पहुंचाया जाता है। इस त्योहार के अवसर पर भारतीय संस्कृति और समृद्धि के आदर्शों का अभिवादन किया जाता है, जो एक सबसे विशेष तरीके से देश की विविधता और अनन्यता को प्रकट करता है।