एक व्यक्ति के आचरण में सही नही दिखना ही उसे भ्रष्ट बनाता है। इस पर प्रकाश डालें तो जो व्यक्ति सही रूप से व्यवहार नहीं करता है वह अनैतिक व गलत आचरण वाला होता है।
जब हम समाज मे रहकर न्याय के तरीक़े से न सोचकर और गलत नियमों का पालन न करते हुए अपने असभ्य फैसले लेता है और जब आचरण खराब हो जाता है तो वह पूरी तरह से भ्रष्ट कहलाता है । वह इस प्रकार के आचरण का इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए करता है।
फिर इसी भ्रष्ट व्यवहार के अनौपचारिक रूप से ख़ुद का लाभ देखता है। भ्रष्टाचार एक ऐसा मुद्दा है जो समाज और परिवार के दिमाग में बैठ गया है। ऐसे दिमाग की वजह से व्यक्ति छोटी से छोटी लाभ भी प्राप्त करने के लिए पूरे के लिए पूरे जन के संसाधनों की बर्बादी सोचता है।
ऐसे भ्रष्टचारी का उद्देशय किसी के माध्यम से अपनी ताकत और सत्ता का गलत उपयोग करना है, फिर चाहे वो औपचारिक हो या अनौपचारिक। देश के कानूनों के नाम पर लोगों के अच्छे व नेक कार्यों की फाइलें जब सरकारी दफ्तर में लटकते रहेंगे, तब अपनी सत्ता का उपयोग कर कमीशन देंगे।
भ्रष्टाचार की समस्या
भ्रष्टाचारी एक सामाजिक कीड़ा हैं जो समाज को धीरे-धीरे खोखला कर रहे हैं और राष्ट्र को बहुत ज़्यादा नुकसान दे रहे हैं । हमारे देश में इसे मिटाने की दिशा में राजनीतिक व्यक्ति और समाज के ऊपरी और ताकतवर लोगों को सामने आना होगा और ख़ुद को सबसे ज़्यादा न्याय वादी और शक्ति कहलवाने को कोई ठोस कदम उठाना होगा।
महात्मा गांधी का एक प्रसिद्ध कथन है” युवाओं को भ्रष्ट बनाने का पक्का तरीका है कि उन्हें उनसे अलग सोच रखने वालों से ज़्यादा उनकी तरह सोचने वाले लोगों को अधिक सम्मान देने की हिदायत दी जाये।
भ्रष्टाचार का यह जाल बहुत ही बड़ा है जो हर गलत जीवन द्वारा प्रभावित हुआ है । कोई भी इलाके का विधायक या सांसद वह अपने खुद की जिंदगी में किसी भी प्रकार से प्राकृतिक या अप्राकृतिक तरीके से भ्रष्ट कहलाता है।
भ्रष्टाचार का प्रभाव
इस सबका असर व्यक्ति के तरक्की के साथ ही देश पर भी दिख रहा है l यही समाज और रिवाजों के कारण हमें काफी भेदभाव दिखने को मिल रहा। इसके अलावा ये राजनैतिक, दैनिक व सामाजिक तौर पर देश के प्रगति बहुत बड़ा रुकावट बनता जा रहा है।
इन भ्रष्टाचार के गलत परिणाम की वजह से ईमानदारी और सत्य पूरी दुनिया से लुप्त ही हो गया है। अवैध तरीके से कार्य करना व करवाना अब रह गया है । देश में हो रहे इस गलत को मिटाना बहुत बड़ा मुद्दा बन गया है l
मिलावटी सामान बेचना, लेना, वस्तुओं में खराब माल देना, ग़लत धार्मिक व्यवहार करना, जैसे दुष्परिणाम अब हो रहे है । भ्रष्टाचार एक फैलने वाले बीमारी से कम नहीं रह गया है। इन सब भ्रष्ट व गलत तरीके से हो रहे कार्य पर विराम लगाने के लिए सरकार को निर्मम दंड की योजना तैयार करनी चाहिए ।
निष्कर्ष
भ्रष्टाचार की वजह से देश के ऐसे हालात हो गए हैं कि भ्रष्ट व्यक्ति गलत तरीक़े से पैसे ले रहा है और ऐसे व्यक्ति को किसी प्रकार के दंड का कोई भय नहीं है । ऐसे भ्र्ष्टाचार से भरे लोगों के आचरण की कोई सीमा नहीं है ।
भ्रष्टाचार से पीड़ित व्यक्ति को दंडित किए बग़ैर किसी भी हालत में ठीक नही कर सकते ।
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