दोस्तों, भूकंप एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है की जब भी आता है उस समय बहुत ही जान माल का नुकसान होता है । इसका आने का कोई भी निश्चित समय नहीं होता है । ये कभी भी आ सकता है और यह जब भी आता है भयंकर विनाशकारी का कारण बनता है।
भूकंप के आने से धरती हिलने लगती है । जिसके कारण उस पर रहने वाले सभी जीवित प्राणियों का के जान को खतरा बन जाता है । भूकंप के आने के बाद उसके गति व तीव्रता के अनुसार ही धरती का अनुमान लगाया जाता है की कितना जान माल का नुकसान हुआ है । अधिकतर मानव के साथ – साथ जीव जन्तुओ की भी मृत्यु हो जाती है।
क्योंकि कम तीव्रता से लोगों के कम जान माल का नुकसान होता है अगर वही तीव्रता 7 से ऊपर होता है तो बहुत ही नुकसान व लोगों की जान भी जाती है।
जब भूकंप से किसी भी देश को भारी क्षति पहुँचाता है अधिकतर लोग बेघर हो जाते है उनके लिए विकट परिस्थिति पैदा हो जाती है।
भूकंप आने बाद सावधानियां बरतने की बात की जाती है परन्तु भूकंप का आने की कोई समय सीमा नहीं है । इसलिए जब भी भूकंप आता है लोग घबरा जाते है एकाएक उनका दिमाग काम करना बंद कर देता है । उनको कुछ भी सूझता नहीं है।
भूकंप क्या है और कैसे आता है ?
जब भी कभी धरती के अंदर हलचल होता है तो वो भूचाल के रूप बहार आता है । जिसे हम भूकंप कहते है । भूकंप को हम ठीक उसी तरह समझ सकते है जैसे हम कोई पत्थर पानी में फेंकते है और उसी जो तरंग बनकर किनारे तक जाती है । जो शुरु वात में तो तेज होती है लेकिन आगे जैसे – जैसे बढती जाती है वो धीरे हो जाती है।
ऐसे ही भूकंप भी जहां उसका केंद्र (epicenter) होता है वहाँ अधिक तबाही मचाता है । बाकी जगह केवल भूकंप के झटके महसूस किया जाता है । भूकंप के कम गति वाले तरंग ज्यादा हानि नहीं पहुँचाते है, परन्तु तीव्र गति वाले तरंग लोगों के लिए प्रलयकारी साबित होती है।
दोस्तों जैसा की हम जानते है की हम जिस पृथ्वी पर रहते है । उनके नीचे तीन भाग होते है,
1- पपड़ी (Crust) जिस पर हम लोग रहते है । जिसकी लम्बाई लगभग 0 – 60 किलोमीटर है।
2– मेंटल (Mantle) जो ठीक पृथ्वी के मध्य वाला भाग होता है । जो मोटा भाग होता है इसकी लम्बाई लगभग 2,900 किलोमीटर है । इस भाग को हम मैग्मा (Magma) के नाम से जानते है।
3– कोर (Core) जो पृथ्वी का केंद्र वाला भाग होता है । इसमे 2 कोर होते है । पहला आंतरिक कोर होता है । जो सबसे गर्म होता है इसका तापमान लगभग 5,500 डिग्री सेलेसियत होता है।
दूसरा बाहय कोर होता है । जो पृथ्वी के समकक्ष बहुत ही अधिक गर्म होता है इसका तापमान लगभग 4000 फॉरेन्हाइट (चिह्न °F) – 9000 फॉरेन्हाइट (चिह्न °F) तक होता है।
भूकंप कैसे आता है ?
हम पृथ्वी के जिस भाग पर रहते है उसे crust कहते है । और ठीक उसके नीचे जो भाग होता है मेंटल यानि मैग्मा कहते है । तो जब इस मैग्मा के अंदर तापमान की मात्रा बढती है तो ये ऊपर निकलने के कोशिश करता है । यानि धरती को फाड़कर निकालने की कोशिश करता है।
तभी पृथ्वी के अंदर हलचल पैदा होती है । जिसके वजह से पृथ्वी के अंदर लगी प्लेटो की बीच टकराव पैदा होता है जो की प्लेट ऊपर नीचे होती है जिसके कारण पृथ्वी का ऊपरी वाला भाग में खिंचाव व जमीन धसने की स्थिति देखने को मिलती है । इसी प्रक्रिया को हम भूकंप कहते है।
लेकिन जो मैग्मा धरती फाड़कर लावा के रूप में बाहर निकलता है उसे हम ज्वालामुखी कहते है । जो बिलकुल लाल अंगार होता है । वहाँ के आस – पास के वातावरण का तापमान अचानक बढ़ जाता है । जो किसी भी जीव जंतु के सहन के लायक नहीं होता है।
भूकंप के मापने वाला पैमाना
वैज्ञानिक भूकंप की तीव्रता का रिएक्टर पैमाने (Reactor Scale) के द्वारा मापते है । भूकंप की तीव्रता को मापने को लेकर उसे कई श्रेणियों में बांटा गया है । इसका आविष्कार फ़्रांसिसी वैज्ञानिक चार्ल्स फ्रांसिस ने 1945 में किया था।
वैज्ञानिकों द्वारा कहा जाता है की भूकंप के तरंगों के स्केल को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है । बल्कि 9 कोई अंतिम बिन्दु नहीं है, इससे ऊपर भी ये जा सकता है । इस मापने वाले रिएक्टर को मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है।
कहा जाता है की यदि पैमाना 2.0 या उससे कम रहा तो ये सूक्ष्म भूकंप कहा जाता है, जिसे हमें महसूस नहीं कर पाते है । अगर वही इसकी तीव्रता 4.5 रहा तो हम इसको महसूस कर सकते है और ये ज्यादा नुकसान दायक नहीं होता है । लेकिन ये अधिक देर तक भूकंप रहता है तो घरों को क्षति पहुंचा सकता है।
अगर भूकंप की तीव्रता 7 या 7.5 से ऊपर रहा तो बहुत ही नुकसानदायक होता है । इस तीव्रता वाले भूकंप से लोगों का भारी क्षति पहुँचती है उनके बड़ी मात्रा में जान माल का नुकसान होता है।
दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भूकंप से त्रासदी
दुनिया के कई हिस्सों में भूकंप आया हो बड़ी तबाही लायी है । जो इस प्रकार है –
सन 1908 में इटली में भूकंप आने से लाखों लोगों की मृत्यु हुई थी और बड़े संख्या में लोग ख्याल हुए थे । अधिकतर जान माल का नुकसान हुआ था।
सन 1960 में जब भूकंप पेरू नामक शहर में आया था तो उसमें लगभग 60,000 लोग की दर्दनाक मृत्यु हुई थी और अधिकतर लोग घायल हुए थे।
ऐसे ही सन 1958 में जब भूकंप चीन में आया था तो लगभग 1 लाख लोगों की मृत्यु हुई थी और लोग घायल भी हुए थे।
फिर सन 2001 में भारत देश के गुजरात राज्य में भूकंप आने कारण करीब 2 लाख लोगों की मृत्यु हो गयी थी।
ऐसे ही इस वर्तमान समय में 2023 के फ़रवरी महीने अंदर तुर्की के अंदर भूकंप आने की वजह लगभग अभी तक 26000 लोगों की मृत्यु हो चुकी है जो अभी जारी है । और ज्यादा लोगों घायल अवस्था में है।
भूकंप आने के कारण
इसके मुख्य कारण है धरती के अंदर का मैग्मा जब गर्म होकर ज्वालामुखी के रूप में बाहर निकलता है । जिसके वजह से धरती में कम्पन पैदा होता है और अंदर की प्लेटों में टकराव व ऊपर नीचे होना ही भूकंप कहलाता है।
जब धरती फटकर लावा बाहर निकलता है तो उससे निकालने वाली तरंगें दूर तक भू कंपी तरंग कहलाती है जिसे हम भूकंप कहते है।
भूकंप आने के नुकसान
जब – जब धरती पर भूकंप बड़े स्केल पर आया है तब – तब बड़ी तबाही मचाया है दुनिया में । भूकंप के आने से पृथ्वी पर के सभी जीव जंतु, मनुष्य, हरे – भरे पेड़ पौधे, और इन्फ्रास्ट्रक्चर की बहुत बड़ी हानि पहुँचता है । अधिकतर लोग बेघर हो जाते है।
भूकंप से बचने के उपाय
इसके भूकंप से बचने का एक ही उपाय है, की जब भी आपको भूकंप के छटके महसूस हो तो आपको तुरंत घर से बाहर निकल कर खाली मैदान में चले जाना चाहिए और धरती पर लेट जाना चाहिए । इस उपाय से आप बच सकते है लेकिन इससे होने वाले नुकसान को हम नहीं रोक सकते है । क्योंकि वो हमारे हाथ में नहीं होता है।
केवल घर ही नहीं आप जहां कही भी या गाडी चला रहे हो, या कही कुर्सी पर बैठे हो, तो समय भी हमें खिड़की व अलमारियों से दूर रहकर सतर्क रहना चाहिए । और बाहर खाली जगह में पहुँचने की भरपूर कोशिश करना चाहिए।
निष्कर्ष
आज के समय की बात करे तो प्राकृतिक के आगे कोई कितना भी महान बन ले उसके सामने वो कुछ भी नहीं है । इसलिए हमें प्रकृति को ध्यान में रखकर कोई कार्य करना चाहिए।
इस भूकंप से बचने के लिए भरपूर प्रयास करना चाहिए । वैज्ञानिक कितना भी खोज कर ले लेकिन प्राकृतिक आपदा का निजात अभी तक नहीं ढूँढ़ पाया है।
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