मनुष्य दुनिया को विकसित बनाने के लिए नए तकनीकी की खोज करने के चलते पेड़- पोधे को काटते जा रहे है, इससे प्रकृति को नुकसान पहुँच रहा है। जिससे पृथ्वी की संतुलन बिगड़ते जा रहा है ऐसे में स्वभाविक है।
प्राकृतिक आपदाये का घटनाओ का घटित होना । अगर देखा जाये तो पेड़ पोधो की कटाई होते जा रही है और जल प्रदूषित होता जा रहा है इस सभी का कारण प्राकृतिक आपदाये अनियमित समय पर आती रही है।
प्राकृतिक प्रकोप का मतलब है की जब भी आपदा आता है जान माल के साथ मानव और पर्यावरण, प्रकृति की भी हानि पहुंचता है । मनुष्य का जीवन तबाह हो जाता है घर द्वार सब नष्ट हो जाता है । प्राकृतिक आपदाये जैसे ज्वालामुखी, भूकंप, बाढ़, तूफान, चक्रवात, जंगलो में आग, बादल फटना इत्यादि जैसे घटना होती रहती है।
प्रकृति का अभिशाप पर निबंध
पृथ्वी पर हर साल कई तरह की आपदाये होती रहती है और हर साल जानमाल का भरी नुकसान भी होता है इस तरह की आपदाये थोड़े ही देर में सब तहस नहस कर देती है किसको कुछ समझ में नही आता है।
इन सब आपदाओ से कोई कुछ भी नही कर सकता, इसे रोकने लिए कोई यंत्र, कोई उपाय भी नही है लोगो के पास ये अनियमित समय से आता है किसको कुछ सोचने का मौका ही नही देता है।
प्राकृतिक एक अनियंत्रित प्रक्रिया है इसे नियंत्रित नही किया जा सकता, इससे बचने ले लिए कोई भी उपाय कर ले परन्तु काम नही आता है । लेकिन ऐसे में हम अपने जीवन और चल संपति को बचाने के लिए कुछ तो कर ही सकते है ताकि पुन:र्निमार्ण कर सके और आगे की अहम् भूमिका निबाह सके।
प्रकृति का विकराल रूप
ऐसे याद करे तो सन 26 दिसम्बर 2004 को हिन्द महासागर में उठी तबाही भारत समेत कई देशो में ऐसी सुनामी आई थी। जिसक जख्म आज भी गहरा है जिससे बहुत भारी नुकसान हुआ था हर जगह पानी भर गया था । लोगो को रहने के लिए घर में शरण नही थे ऐसी तबाही मचाई थी । जिससे उबरने के लिए कई साल लग गये कई देशो को । ऐसी तबाही थी जिसकी कल्पना नही कर सकते है, आज भी उसका नाम लेकर लोगो के रूह काँप जाती है।
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हालाकि इस सुनामी आने चेतावनी पहले ही दे दी गयी थी । परन्तु इसका प्रकोप इतना ज्यादा था की जानमाल का बहुत भरी नुकसान हुआ, सुनामी के लहरों से बचने के लिए लोगो इधर उधर बाह्ग तो रहे थे । परन्तु कई को बचा नही पाया गया क्योकि लहरे की रफ़्तार बहुत तेज थी और ये इतिहास के पन्नो में दर्ज हो गया काले दिन की तरह । इन लहरों तांडव थाईलैंड, मालदीव, म्यांमार, सोमालिया, तंजानिया, केन्या, बांग्लादेश पर भी असर डाला था।
परन्तु सबसे ज्यादा मार इंडोनेशिया, दक्षिण भारत और श्री लंका पर सबसे जयादा नुकसान हुआ था । इस सुनामी से बचने के लिए लगभग 7 लाख 30 हजार लोग प्रभावित हुए थे । जिसमे से 2 लाख 26 हजार लोगो की मौते केवल भारत देश में हुई थी इसकी भरपाई करने के लिए लगभग 1 खरब 63 अरब 80 करोड़ रुपे खर्च हुए थे।
निष्कर्ष
हमें सुनामी से बचें के लिए कोई न कोई उपाय करनी चाहिए । सबसे जरुरी बात ज्यादे से ज्यादे पेड़-पोधो को लगाने चाहिए जिससे पृथ्वी का संतुलन बना रहे और पर्यावरण को साफ़-सुथरी रखे।
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