दोस्तों, आतंकवाद हमेशा से व्यक्ति व समाज को तोड़ने का काम करता है बल्कि समाज में खोखला कर उसे आतंकवाद की ओर खींचने लगता है । आतंक जो होता है वो एक भयानक जंगल के जैसा होता है जहाँ केवल हिंसक पशु रहा करते है।
और वही सब शहरों की ओर निकलकर लोगों के अंदर आतंक फैलाते है । इस आतंकवाद की जड़े इतनी गहराई तक पहुँच गयी है की आम लोगों के नाक में दम कर देती है । समाज के लोगों के अंदर हमेशा डर बना रहता है।
आतंक एक अँधेरा शाया है जो हमेशा नाग की फुफकार निकालता रहता है । जब भी मौका मिलता है वो दूसरों को डस लेता है । ये हमेशा समाज के ऊपर मौत का तांडव करता रहता है।
ये हमेशा समाज के सभ्यता व संस्कृति पर सीधा प्रभाव डालता है । आतंक मनुष्य की आत्मा को चोट पहुँचाता है जिसके वजह से मानव निर्जीव व निष्क्रिय हो जाता है । वो आत्मा रहित हो जाता है ये सब उसको आतंक की डर की शाया का प्रभाव रहता है।
आतंकवाद – एक हिंसात्मक कृतकृत्य
इस आतंक की जड़ को हमें पूरी तरह से मिटाना ही होगा । इसके खिलाफ हमें समाज में पूरी से तरह से नेस्तनाबूद करने के लिए अच्छी रणनीति बनानी चाहिए । आतंकवाद हमेशा से अपने सकारात्मक कदम बढ़ाने के लिए या परिणाम पाने के लिए हिंसात्मक तरीका अपनाता है।
ये आतंकी संगठन जो होते है वो अपना किसी एक धर्म को लेकर हमेशा से समाज आतंक फैलाते है । ये समाज के साधारण व एक सीधे – साधे लोग को अपने जाल में फसाते है और उनको अपने धर्म का कसम दिलवा कर हिंसात्मक कुकृत्य करते है।
जो भी लोग इन आतंकवाद के जाल में फंस जाते है वो अपने दिमाग से सारे नियंत्रण खो देते है । जीवन में क्या गलत क्या सही सब कुछ भूल जाते है जहाँ तक अपने माता -पिता, भाई – बहन, पत्नी – बच्चे सब को भी अपना दुश्मन मानने लागतें है।
आतंकवाद हमेशा समाज को पीछे धकेलता है और राष्ट्र विरोधी कार्य करता है । देश की युवा का भविष्य बर्बाद करता है । जहाँ तक की उनकी सोच, विकास व वृद्धि पर प्रभाव डालता है।
समाजवाद की चुनौती
आतंक की समस्या शुरु वात से ही समाज के लिए एक चुनौती बना हुआ है । जो दिन प्रतिदिन समाज को खोखला ही बनाते जा रहा है । आतंक में शामिल वो ही लोग होते है जो जीवन में बिलकुल असहाय, गरीब, निरक्षरता इत्यादि सब की वजह से आतंकवाद को बढ़ावा मिल रहा है।
समाज की सबसे बड़ी चुनौती ये है की आतंकवाद का कोई भी नियम कानून नहीं होता है । वे अपने मांग को पूरा करने के लिए या धर्म का बढ़ावा या लोगों की बर्बादी करना ही मुख्य भूमिका होती है । हर जगह समाज में रह रहे निर्दोष लोग ही उनका निशाना बनते है।
देश के हर समाज में आतंक का समूह सक्रिय रहता है । किसी न किसी रूप में अपने असली रूप बाहर आकर अपना हिंसात्मक रंग दिखा ही देते है । आतंकवादियों का प्रशिक्षण किसी न किसी उद्देश्य से दिया करते है जिसका केवल ही मकसद हिंसा करना होता है।
निष्कर्ष
आतंकवाद जहाँ भी है वहाँ वो अपने अनुसार राज करना चाहता है । लोगों के ऊपर अपना हुक्म चलना चाहता है । इसलिए हम सब को मिलकर इस आतंकवाद को जड़ से मिटाना होगा।
हालाँकि इसके विपरीत भी कई समाज के लोग होते है जो आतंकवाद को बढ़ावा व धन भी देते है जिसके कारण हमारे समाज से आतंकवाद मिट नहीं रहा है । तो हमें इन लोग से सतर्क रहना पड़ेगा।