बाल गंगाधर तिलक भारत देश के महान व बहादुर स्वतंत्रता सेनानी माने जाते हैं। उनका जन्म 23 जुलाई, वर्ष 1856 को रत्नागिरी नामक जगह पर हुआ था।
गंगाधर तिलक चितपावन बह्मिनों पर मराठा साम्राज्य के हुकूमत समाज से सम्बन्ध रखते थे। यह संप्रदाय कट्टर रूढ़िवादी विचारों वाले ब्राह्मणों का समूह हुआ करता था।
तिलक की शिक्षा
तिलक के पिता एक आम स्कूल में पढ़ाते थे, जो आगे चलकर स्कूलों के निरीक्षक बन गए। बाल गंगाधर ने सोलह वर्ष की उम्र में अपनी मैट्रिक की परीक्षा सफलता पूर्वक उत्तीर्ण की और उसके तुरंत बाद विवाह के बंधन में बंध गए परन्तु इस मध्य वे अपने पिता को खो दिये।
उसके बाद उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने की कोशिशें जारी की और फिर कुछ समय पश्चात डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की निर्माण उनके कोशिशों की वजह से हुई।
तिलक महान राष्ट्र के इतिहास के एक महान प्रेमी व शिवाजी के तरफ बहुत ही सम्मान रखते थे।
बाल गंगाधर तिलक के विचार
बाल गंगाधर तिलक यह मानते थे कि ब्रिटिश शासन काल को जड़ से उखाड़ने के लिए उग्रवादी तरीके बहुत ही ज़रूरी थे। तिलक हमेशा से सिद्धांत पर चलने वाले सैन्यवाद रहे थे, न कि मैन्डिसेंसी। बाल गंगाधर तिलक नारा देने वाले सबसे प्रथम भारतीय नेता कर रूप में सामने आए जिसका चर्चित लाइन है, “स्वतंत्रता मेरा जन्म का अधिकार है और में इसे प्राप्त करके रहूँगा”।
परन्तु समाज मे रहकर इस तरह की गतिविधियों के द्वारा आवाज़ उठाना, लोगों को सही नही लगा और फिर दिया भेजा गया।
जेल की सजा
वर्ष 1908 में, तिलक को ब्रिटिश शासन के लिए उनकी गतिविधियों के लिए 6 वर्ष का निर्मम कारावास से दण्डित कर दिया गया और उन्हें मंडले की जेल में भेज दिया गया। अपने कारावास के समय तिलक श्रीमद्भगवत गीता – गीता रहस्याय के बारे में अपनी चर्चित बातें लिखी।
अगर देखें तो असलियत में, हमारे देश के इतिहास और रीती-रिवस्ज़ के बहूत ही गहरायी वाले महान व्यक्ति थे और उन्होंने वेदों के आर्कटिक होम पर एक पुस्तक लिख डाली।
वर्ष 1879 में तिलकजी ने बी.ए. तथा कानून की परीक्षा ग्रहण की। उनके परिवार और मित्र संबंधी यह उम्मीद लगकये बैठे थे कि तिलक वकालत की शिक्षा पाकर बहुत सारे पैसे कमाएंगे। इसके अलावा वे परिवार को आगे ले जाएंगे की किंतु तिलक ने शुरुआत से ही लोगो की देखभाल करने की ठोस तपस्या कर ली थी।
परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के बाद वे अपनी सेवाएं अच्छी तरह से एक शिक्षा के द्वारा चल रहे संस्था के निर्माण में सौंप दीं। फिर साल 1880 में न्यू इंग्लिश स्कूल व कुछ वर्षों के बाद फर्ग्युसन कॉलेज का निर्माण किया। लोकमान्य तिलक ने जनजागृति का कार्यक्रम सफल बनाने के लिए महाराष्ट्र में गणेश उत्सव शिवाजी उत्सव सप्ताह को महत्व देने की इच्छा की और फोर शुरुआत भी कर दी। ये सब त्योहारों के द्वारा समाज में देशप्रेम और अंगरेजों के क्रूरता के खिलाफ संघर्ष का विचार आया
गंगाधर तिलक के क्रांतिकारी व बहादुरी खूबी की वजह से अंगरेज भौचक्के रह गए और उन पर देश से गद्दारी का मुकदमा चल गया जो छ: साल तक रहा और ‘देश निकाला’ सुनाया गया और बर्मा के मांडले जेल भेज दिया गया।
उस समय में तिलक ने गीता का बहुत दिन तक ज्ञान प्राप्त किया और गीता रहस्य के न से एक भाष्य की भी रचना की।
जब तिलक सलाखों के पीछे से बाहर आये त ब उनका गीता रहस्य बाज़ार में आया। उनकी इस गीता का प्रचार- चारों ओर होने लगा और जनमानस उससे भी ज़्यादा चर्चित हुआ।
निष्कर्ष
वे भारत रास्ट्र के एक सच्चे, महान, समाज सुधारक व स्वतंत्रता दिलाने वाले पुरुष थे। देश के स्वतंत्रता की लड़ाई के सबसे प्रथम लोकप्रिय नेता थे। वेप सबसे प्रथम ब्रिटिश राज के समय मे पूर्ण स्वराज की इच्छा प्रकट की।