राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पर निबंध। Hindi Essay on Maithili Sharan Gupt

Essay on Maithili Sharan Gupt in hindi, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पर निबंधमैथिलीशरण गुप्त एक प्रमुख भारतीय कवि थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना, सामाजिक जागरूकता और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा दिया। उन्होंने साधारण बोलचाल की भाषा में रचनाएँ की थी, जो लोगों को आसानी से समझ में आ सकती थीं। उन्हें राष्ट्रकवि की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था।

उनका योगदान भारतीय साहित्य और काव्य की धारा में महत्वपूर्ण रहा है और उनकी रचनाएँ आज भी प्रेरणा स्रोत हैं।

मैथिलीशरण गुप्त जी एक बहुत अच्छे कवि थे। उन्होंने अपनी कविताओं से लोगों को सोचने के लिए प्रेरित किया और भारतीय समाज को बेहतर बनाने के लिए बढ़ावा दिया। उनकी कविताएँ आज भी हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। उनके पिताजी ने उनके काम को पढ़कर उन्हें समर्थन दिया और कहा कि वे आगे भी अच्छे काम करेंगे।

बचपन में उन्हें स्कूल जाना अच्छा नहीं लगता था, इसलिए उनके पिताजी ने घर पर ही उनकी पढ़ाई कराई। उन्होंने अंग्रेजी, संस्कृत और बांग्ला भाषा का अध्ययन किया। उनके सलाहकार महावीर प्रसाद द्विवेदी थे, जिन्होंने उन्हें अच्छे समय दिया और सहायता की।

इस तरह से, मैथिलीशरण गुप्त जी ने अपने कविताओं से लोगों को जागरूक किया और अपने परिवार का समर्थन पाया। उनके शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण लोग रहे, जिन्होंने उन्हें सहायता और मार्गदर्शन किया। इसके फलस्वरूप, उन्होंने भारतीय साहित्य को विश्व में प्रस्तुत किया और अपने योगदान के लिए बहुत प्रशंसा पाई।

मैथिलीशरण गुप्त की भूमिका

मैथिलीशरण गुप्त भारतीय साहित्य के एक महान कवि थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा दिया। उनकी कविताओं में नैतिक मूल्यों और राष्ट्रीय भावनाओं को सुनिश्चित रूप से प्रकट किया गया।

गुप्त जी ने साधारण बोलचाल की भाषा में अपनी रचनाएँ लिखीं। उन्होंने विभिन्न विषयों पर कविताएँ लिखीं जैसे कि प्रकृति, प्रेम, राष्ट्रीय उत्थान, और सामाजिक न्याय।

उनकी कविताओं के माध्यम से उन्होंने लोगों को जागरूक किया और उन्हें समाज में उत्थान के लिए प्रेरित किया। उन्हें राष्ट्र कवि की उपाधि से भी सम्मानित किया गया।

मैथिलीशरण गुप्त के योगदान से भारतीय साहित्य को एक नया दिशा मिली और उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना को उत्तेजित किया।

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जीवन परिचय

मैथिलीशरण गुप्त का जन्म ३ अगस्त १८८६ को हुआ था। उनके पिता का नाम सेठ रामचरण कनकने और माता का नाम काशी बाई था। वे उत्तर प्रदेश के झांसी के पास चिरगांव में जन्मे थे। उनके पिता और माता दोनों वैष्णव थे।

उनका शिक्षा में आना काफी अच्छा नहीं था, क्योंकि उन्होंने खेल-कूद में अधिक ध्यान दिया था। विभिन्न विद्यालयों में उनकी पढ़ाई हुई और उन्होंने विभिन्न भाषाओं में अध्ययन किया। उनके शिक्षा में महावीर प्रसाद द्विवेदी जैसे विद्वानों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

उन्होंने अपने बचपन से ही कविताएँ लिखना आरम्भ किया था और अपनी पहली कविता को “कनकलता” नाम से लिखा था। वे सरस्वती पत्रिका में अपनी कविताएँ छपवाते थे।

उन्होंने भारतीय समाज और राष्ट्रीय चेतना को अपनी कविताओं के माध्यम से जगाया और उन्हें राष्ट्रकवि की उपाधि से नवाजा गया। उनके योगदान ने भारतीय साहित्य को नया दिशा दिखाया और उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना को उत्तेजित किया।

गुप्त जी द्वारा कई महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखे और उन्हें राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी ने “राष्ट्रकवि” कहकर सम्मानित किया। उनकी कविताएँ और रचनाएँ आज भी हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। उनका योगदान साहित्य जगत के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वे एक अद्भुत कवि और विचारक थे, जिन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से भारतीय समाज को जागरूक किया और उन्होंने अपने विचारों को साझा किया।

गुप्त जी के प्रेरणा स्रोत

मैथिलीशरण गुप्त एक अद्वितीय कवि थे जो द्विवेदी युग के सर्वश्रेष्ठ कवि माने जाते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय काव्यधारा के कवियों में विशिष्ट स्थान प्राप्त किया था। उन्होंने आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रेरणा से ‘साकेत’ जैसे महाकाव्य की रचना की थी। पहले वे ‘वैश्योपकारक’ में अपनी रचनाएँ छपवाते थे, लेकिन ‘सरस्वती’ में अपनी रचना को प्रकाशित कराने की तीव्र आकांक्षा थी।

गुप्त जी को ‘रसिकेन्द्र’ उपनाम से ब्रजभाषा में लिखी कविता लिखने की आवश्यकता महसूस हुई, लेकिन उनकी वह कविता ‘सरस्वती’ में नहीं छपी। इसके बाद उन्होंने ‘हेमन्त’ नामक कविता सरस्वती के लिए खड़ी बोली में लिखकर भेजी, जो अनगढ़ और अस्त-व्यस्त थी। द्विवेदी जी ने उसका संशोधन करके सरस्वती में छप दिया।

आचार्य द्विवेदी मैथिलीशरण गुप्त के गुरु और प्रेरक थे। उन्होंने गुप्त जी की रचनाओं को प्रेरित किया और उन्हें अपने कविताओं को विशेष तरीके से प्रकट करने के लिए प्रेरित किया।

प्रमुख रचनाएँ

मैथिलीशरण गुप्त को हिंदी साहित्य के उन अमूर्त रत्नों में से एक माना जाता है, जिन्होंने अपने काव्य रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय और सामाजिक चेतना को जगाने का कार्य किया। उनकी प्रमुख रचनाएँ एक विशाल साहित्यिक धरोहर हैं, जिनमें ‘रंग में भंग’, ‘जयद्रथ वध’, ‘भारत-भारती’, ‘साकेत’, और ‘यशोधरा’ जैसी उनकी अनेक उत्कृष्ट कृतियाँ शामिल हैं। उन्होंने अपने काव्य कौशल और गहरे भावनाओं के माध्यम से साहित्य के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी अद्वितीय छाप छोड़ी।

रचनाएं वर्ष
रंग में भंग 1909 ई.
जयद्रथ वध 1910 ई.
भारत – भारती 1912 ई.
पंचवटी 1925 ई.
झंकार 1929 ई.
साकेत 1931 ई.
यशोधरा 1932 ई.
द्वापर 1936 ई.
जयभारत 1952 ई.
विष्णुप्रिया 1957 ई.
प्लासी का युद्ध
मेघनाथ वध
वृत्र संहार

मैथिलीशरण गुप्त की प्रसिद्ध कविताएँ

मैथिलीशरण गुप्त को भारतीय साहित्य के उत्कृष्ट कवि माना जाता है और उनकी प्रसिद्ध कविताएँ राष्ट्रीय और सामाजिक विषयों पर आधारित हैं। उनके ग्रंथ ‘साकेत’ और ‘भारत-भारती’ ने उन्हें भारतीय साहित्य के महान कवि के रूप में स्थापित किया है। उनकी कविताएँ राष्ट्रीय चेतना और राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करती हैं। यहां कुछ विस्तार से इन रचनाओं के बारे में जानकारी दी गई है:

  • गुरु नानक (Guru Nanak): गुरु नानक, सिख धर्म के पहले गुरु थे और उनके द्वारा लिखे गए ग्रंथ ‘गुरुग्रंथ साहिब’ सिखों के प्रमुख धार्मिक पाठ के रूप में मान्यता प्राप्त हैं। उनके गीत, शब्द, और रचनाएँ धार्मिक तथा सामाजिक संदेशों को सुन्दरता से व्यक्त करती हैं और संत साहिब के रूप में उन्हें याद किया जाता है।
  • गुरु तेगबहादुर (Guru Teg Bahadur): गुरु तेगबहादुर सिख धर्म के नौवें गुरु थे और उनकी महत्वपूर्ण रचना ‘शबद हेज़ारे’ है, जो धार्मिक तथा मानविकता के मुद्दों पर आधारित है। उनकी शाही यात्रा और बलिदान भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक हैं।
  • प्रस्तावना (भारत-भारती): ‘भारत-भारती’ का प्रस्तावना एक अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें मैथिली
  • शरण गुप्त ने अपने काव्य का मकसद और आदर्शों को सामाजिक और राष्ट्रीय संकेतों के साथ जोड़ा। यह रचना उनके राष्ट्रीय चेतना और काव्य कौशल की उत्कृष्टता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
  • उपक्रमणिका (Upkram Nika):

  • उपक्रमणिका’ गुप्त जी की एक और महत्वपूर्ण रचना है, जो उनके काव्य की विशेषता और संदर्भ को स्पष्ट करती है। इसमें वे अपने लेखन का उद्देश्य और विचारों को प्रस्तुत करते हैं।
  • भारतवर्ष की श्रेष्ठता (Bharatvarsh Ki Shreshta): यह रचना भारत की महानता और उसके सांस्कृतिक धरोहर को महत्वपूर्ण रूप से व्यक्त करती है। गुप्त जी यहाँ भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को बड़े उत्कृष्टता से चित्रित करते हैं।
  • हमारा उद्भव (Hamara Udav) और हमारे पूर्वज (Hamare Purvaj): ये रचनाएँ गुप्त जी के राष्ट्रीय और सांस्कृतिक उत्साह को व्यक्त करती हैं और भारतीय समाज के मौलिक मूल्यों की महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • आदर्श (Aadarsh): यह रचना व्यक्तिगत और सामाजिक आदर्शों को उजागर करती है और व्यक्तिगत उत्थान के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को प्रस्तुत करती है।

निष्कर्ष

मैथिलीशरण गुप्त द्विवेदी युग के उत्कृष्ट कवि माने जाते हैं। उनकी कविताएँ इस युग की विशेषताओं को दर्शाती हैं, जिनमें राष्ट्रीयता, समाजिक सुधार, स्वतंत्रता, मानवाधिकार, और सामाजिक समृद्धि के मूल्य शामिल हैं। गुप्त जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से इस युग के विचारों और समसामयिकता के महत्व को समझाया।

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