एक आदर्श छात्र वह है जो अपने ज्ञान और शिक्षा को पूरी तरह समर्पित होता है। जो आर्दश व सच्चे होते हैं उनके लिए शिक्षा उनका भगवान होते हैं और विद्यालय उनकी मंदिर। एक आदर्शपूर्ण छात्र का प्रेम ही उनका पुस्तक है। जो नेक ज्ञान उन्हें पुस्तक द्वारा मिलती है उन्ही को वे अपने जीवन का सिद्धान्त मानते हैं।
वे सदाचारी होते हैं जो बुराइयों से दूर रहते हैं। ऐसे ही अर्दश भाव वाले विद्यार्थी आगे चलकर देश के के भविष्य बड़ी भूमिका निभाते हैं।
माता–पिता ही सब कुछ
ऐसे बहुत माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे हर क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करे पर कुछ ही के सपने पूरे होते हैं और कुछ ही वविद्यार्थी उनकी उम्मीदें पूरी कर पाने के काबिल भी होते हैं।
जो माता-पिता होते हैं उनकी अपने बच्चों की ज़िन्दगी में बहुत बड़ी भूमिका होती है जिससे वे अपने बच्चों को व्याख्यान देने और उनसे बड़ी-बड़ी उम्मीदें रखते हैं।
वे बच्चों की हर अपेक्षाओ पर खड़ा उतड़ने की कोशिश करते हैं और उनकी मदद भी करते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी का मार्गदर्शक उनके माता-पिता होते हैं।
आदर्श विद्यार्थी का लक्ष्य
एक आदर्श छात्र एक सही लक्ष्य बनाने के सिद्धान्त पर चलता है और उन्हें हासिल भी करता है। एक आदर्श छात्र हर क्षेत्र में बेहतर करने का लक्ष्य बनाता है जैसे पढाई, खेल व बाकी कई क्षेत्र हैं। वे इन सबमें कई प्रयास भी करता है और अपनी मेहनत पर कोई भी संकोच नहीं करता।
आदर्श छात्र बहुत सकारात्मक पृवत्ति के होते हैं। अगर कोई पाठ्यक्रम बड़ा हो जाता है, या कोई शिक्षक अधूरी पढाई करवाकर ही परीक्षा लेता है, तो इन सब में बेहतर करता हैं बिना किसी मुश्किल से घबराए। वे सब चुनौतियों का मुस्कुराहट के साथ सामना करता है।
सभी का सम्मान
एक विद्यार्थी अपने चरित्र और सम्मान की हिफाज़त करते हैं तथा नेकी की राह कायम करने का प्रयास करते हैं। जो उनको शिक्षा देते हैं वे उनका सम्मान करते हैं। ऐसे विद्यार्थी अपने शिक्षकों और गुरुओं की हर सलाह व आदर की इज़्ज़त करते हैं।
यही बच्चे देश के लिए बड़े से बड़ा काम कर जाते हैं और और अच्छी शिक्षा पाकर ही डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, आदि के पोस्ट पर नियुक्त होते हैं। जो आदर्श होते हैं वहीं देश का नाम ऊंचा करते हैं और सच्चे मन से देश सेवा करते हैं।
एक सच्चे विद्यार्थी देश और परिवार का गौरव बढाते रहते हैं। अगर किसी व्यक्ति का विद्यार्थी जीवन एक सही राह पर न हो तो उसे आगे भी एक सही व आदर्श व्यक्ति बनने नही देती है। जो विद्यार्थी आदर्श होते हैं वे सरल और स्वाभिमानी व्यक्तित्व के होते हैं। वे कभी भी आलस का रास्ता नहीं चुनते।
सही व्यवहार करने के लिए एक प्रेरणा
ऐसे माता-पिता होते हैं जो अपने बच्चों को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करते हैं और उन्हें बताते हैं कि वके किस प्रकार से स्कूल में अच्छे अंक प्राप्त करें और कैसे उसके लिए कड़ी मेहनत करें।
इन सब मे वे उन बच्चों को यह नही बताते की अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किस तरह से हम मेहनत कर सकते हैं जिनसे हम प्रेरित हों। इन माता व पिता को बच्चों को अच्छी समझ देना चाहिए और एक साथ काम करने के लिए प्रेरित भी करना चाहिए जिससे वे स्कूल में अच्छा व्यवहार कायम कर सकें।
निष्कर्ष
वह विद्यार्थी ही आदर्श कहलाता है जो ज्ञान या विद्या के महत्व को समझे और जो एक बार कोई लक्ष्य बनाए तो उसकी प्राप्ति ही उसके जीवन का सबसे प्रथम लक्ष्य हो। परन्तु ऐसा छात्र जिसके अंदर शिक्षा की कोई इज्ज़त न हो, कोई चाह न हो वह तो कोई भी विद्यार्थी बनने के काबिल नही।
एक व्यक्ति शिक्षा के द्वारा एक अच्छा इंसान बनता है, विनम्र बनता है, और गुणवान भी। अंततः हम विद्या को हासिल कर के ही आगे चलकर काबिल व्यक्ति कहलाते हैं।
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