Essay On Chandrayaan In Hindi। चंद्रयान पर निबंध

Essay On Chandrayaan In HindiChandrayaan का मिशन भारत का सबसे महत्वपूर्ण अभियानों में से एक है। Chandrayaan का संचालन भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के द्वारा किया जाता है। भारत अंतरिक्ष विज्ञानं में भी दिन प्रतिदिन खूब तरक्की कर रहा है। भारत विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर तरह – तरह के खोज कर रही है। वर्तमान में भारत बड़े – बड़े शक्तिशाली देशो को टक्कर देते नजर आ रहा है, रूस, अमेरिका, चीन इत्यादि। भारत देश सभी वैज्ञानिक अंतरीक्ष यान के खोज के लिए नये- नये तकनिकी का अविष्कार कर रहे है।

भारत के इसरो यानि भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा कई कार्यो का मिशन सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। इसमे से एक आता है चंद्रयान -1 को बुधवार 22 अक्टूबर 2008 को छह बजकर 21 मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरीक्ष केंद्र से लांच किया गया था, और ये 30 अक्टूबर 2009 तक सक्रीय था। मौसम को लेकर सभी वैज्ञानिको को थोड़ी बहुत चिंता थी, लेकिन मिशन सफल रहा।

हालांकि आसमान में कुछ बादल जरुर दिखे थे, परन्तु बारिश नही हुई और बिजली भी नही चमक रही थी। इसके वजह से प्रक्षेपण में कोई दिक्कत नही हुआ। चंद्रयान -1 के सफल लैंडिंग के बाद भारत दुनिया का छठवा देश बन गया इस प्रक्षेपण के साथ। इस महान अवसर पर इसरो (ISRO) मुखिया श्री माधवन नायर के साथ पूर्व प्रमुख कस्तूरीरंगन मौजूद थे।

(Chandrayaan-1 Mission) चंद्रयान –1 मिशन

भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान संगठन के चन्द्र अन्वेषण कार्यक्रम के अंतर्गत द्वारा चन्द्रमा के तरफ कुछ करने वाला भारत का पहला अंतरीक्ष यान था। इस अभियान के दौरान एक मानवरहित यान को 22 अक्टूबर 2008 को चन्द्रमा पर भेजा गया, और ये अभियान 30 अगस्त 2009 तक सक्रिय रहा। यह यान धुर्वीय उपग्रह प्रमोचन यान (पोलर सेटलाइट लांच वेहिकल, पी एस एल वी) के एक संशोधित संस्करण द्वारा रॉकेट की सहायता से सतीश धवन अंतरीक्ष केंद्र से लांच किया गया था।

चंद्रयान-1 के इस अभियान के दौरान सेटलाइट को चंद्रमा तक पहुँचने में 5 दिन लगे थे, और चंद्रमा को कक्षा में स्थापित होने में 15 दिन का समय लगा था। चन्द्रयान का ऑर्बिटर मून इम्पैक्ट प्रोब (MIP) चन्द्र के सतह पर 14 नवंबर 2008 को उतरा था। जिसने चन्द्रमा पर अपना झंडा लगाने वाला चौथा देश बन गया।

इस चंद्रयान का मुख्य उद्देश्य चन्द्रमा की सतह पर विस्तृत नक़्शे और पानी का अंश और हीलियम का  खोज करना था। चंद्रयान-1 चन्द्रमा से 100 किलोमीटर ऊपर 525 किग्रा का उपग्रह ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया गया है। यह उपग्रह भारतीय अंतरीक्ष यान प्रक्षेपण के अनुक्रम का 27वा उपक्रम था।

इसका कार्यकाल लगभग २ साल का होना था, तभी किसी कारणवश नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूटने से बंद कर दिया गया। इस तरह भारत चाँद पर यान भेजने वाला 6वा देश बन गया था। इस उपक्रम से चन्द्रमा और मंगल ग्रह पर मानव सहित विमान भेजने के लिए रास्ता मिल गया।

भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान संगठन के द्वारा इस चंद्रयान-1 मिशन को तैयार करने में कुल 2 वर्ष 10 माह, 6 दिन लगे थे। इसके लांच के समय वजन 1,380 किलोग्राम (3,040 पौंड) था।

Also Check – चंद्रयान -3 मिशन

(Chandrayaan-2 Mission) चंद्रयान -2 मिशन

इस अभियान की शुरुआत भी भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के द्वारा ही की गयी थी। परन्तु चंद्रयान -2 के मिशन के दौरान इसको बनाने में पूरा स्वदेशी तकनिकी का इस्तेमाल किया गया था। इसको भी चंद्रयान -1 की तरह की मानवरहित रोवर को चन्द्रमा की सतह पर उतारने के लिए किया गया था। इस मिशन का सब देख रेख Mr. के सिवन के मौजूदगी में पूरा किया गया था।

चंद्रयान – 2 मिशन की शरुआत 2019 में किया गया था, इस अभियान में निर्मित एक चन्द्र कक्षयान, एक रोवर एवं एक लैडर शामिल था। चंद्रयान – 2 को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा से भारतीय समयानुसार 02:43 PM को सफलतापूर्वक लांच किया गया। वही भारत इस मिशन को 15 जुलाई को ही चंद्रयान -2 को लांच करने वाला था।

परन्तु क्रायोजेनिक इंजन के तकनिकी ख़राब होने की वजह से इसे स्थगित कर दिया गया, फिर इसे 22 जुलाई 2019 के दिन सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया। इस मिशन के तहत चंद्रयान – 2 का मुख्य उद्देश्य यह था, की चन्द्रमा की सतह पर पहुँच कर रोबोट रोवर द्वारा चाँद के सतह का नक़्शे और खनिज ये पानी का अंश का पता लगाना। चंद्रयान – 2  मिशन में राकेट जीएसएलवी एमके -3 का प्रयोग किया गया था।

इस मिशन के कार्यकाल में पुरे 1 वर्ष कक्षयान, विक्रम लैंडर 15 दिन, प्रज्ञान रोवर 15 दिन का लगभग समय लगा था। चंद्रयान -2 के लांच के समय कुल वजन कक्षयान का 3,877 किलोग्राम (8,547 पौंड), विक्रम लैडर 1,471 किलोग्राम (3,243 पौंड), प्रज्ञान रोवर 27 किलोग्राम (60 पौंड) था। इसमे उर्जा का संचालन कक्षयान 1 किलोवाट, विक्रम लैडर 650 वाट और प्रज्ञान रोवर 50 वाट का था।

Also Check – चंद्रयान -3 मिशन

चंद्रयान (Chandrayaan) की बिशेषताए

  • चन्द्रमा पर दक्षिण धुर्वीय क्षेत्र पर एक सॉफ्ट लैंडिंग का संचालन करने वाला पहला अंतरीक्ष मिशन है।
  • चंद्रयान – 2 भारत का पहला मिशन है, जो स्वदेशी तकनिकी के सहायता से चंद्रमा की सतह पर एक सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करना।
  • यह पहला भारतीय मिशन, जो घेरलू तकनीक के साथ चन्द्र सतह पर उसके क्षेत्र का पता लगाना।
  • ऐसा करने वाला 4th देश बनना जी चाँद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।

चंद्रयान – 2 से भारत देश को होने वाला लाभ –

  • धरती बाद चाँद पर भुगौलिक खोज में भारत अग्रणी बनकर उभरेगा।
  • फ्रांस, अमेरिका के बाद भारत देश भी अपनी सैन्य दृष्टी से एक महत्वपूर्ण कमांड वाला देश बन जायेगा/ सकता है।
  • चंद्रयान मिशन से ISRO (भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान संगठन) की शक्तिशाली रॉकेट और भारी भरकम पेलोड छोड़ने की क्षमता दुनिया को पता चला।
  • संचार, सेंसर प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में इसरो (भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान संगठन) की क्षमता का प्रदर्शन होगा।
  • इससे 2022 में प्रस्तावित भारत के अंतरीक्ष में मानव मिशन “गगणयान मिशन” का रास्ता साफ होगा।
  • चाँद पर भेजने वाले मिशन में तीन ताकतवर देशो के क्लब में चौथा देश/सदस्य बन जायेगा।
  • चंद्रयान – 2 के मिशन के साथ ही रखे गये पेलोड से मिलने वाला डाटा से वहा पर पानी और खनिज की मौजूदगी का पता चलेगा।

चंद्रयान-3 से सम्बन्धित कुछ जानकारी 

सवाल उत्तर
Chandrayaan-3 कब लॉन्च हुआ? 14 जुलाई 2023 को 2:35 PM IST पर
Chandrayaan-3 कहाँ से लॉन्च हुआ? श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश, भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से
Chandrayaan-3 के लॉन्च करने के लिए कौनसी रॉकेट उपयोग की गई? LVM3-M4 रॉकेट
Chandrayaan-3 के मुख्य रॉकेट इंजन का नाम क्या है? ICE-20 क्रायोजेनिक इंजन (क्रायोजेनिक इंजन)
Chandrayaan-3 को किसने लॉन्च किया? भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)
Chandrayaan-3 के लैंडर का नाम क्या है? विक्रम
Chandrayaan-3 के टावर का नाम क्या है? प्रज्ञान
ISRO के वर्तमान चेयरमैन कौन हैं? एस. सोमनाथ
Chandrayaan-3 के लैंडर में कितने सक्षम इंजन हैं? 4

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