Chandrayaan 3 Information in Hindi

चंद्रयान-3 नामक अंतरिक्ष मिशन में भारत ने चांद पर एक वाहन भेजा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी (ISRO) के वैज्ञानिक इसे 23 अगस्त 2023 को सफलतापूर्वक चांद की सतह पर लैंड कराने में कामयाब रहे हैं। यह मिशन चंद्रयान-2 के विफल होने के बाद भारत ने चांद पर दूसरी कोशिश की है।

इस बार वैज्ञानिकों ने पिछली गलतियों से सीख कर चंद्रयान-3 को डिजाइन किया है। इस मिशन से भारत चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन सकता है। अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन ही चांद पर सफल रूप से लैंडिंग कर पाए हैं। ISRO ने चंद्रयान-3 को कई तरह के टेस्ट से गुजारा है जिससे यह मिशन सफल हो सका।

चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था। इसके विक्रम रोवर ने 24 अगस्त, 2023 को शाम 6:30 बजे चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की। इसके बाद, रोवर को 2 सितंबर, 2023 को निष्क्रिय कर दिया गया।

इसरो ने इस परियोजना की शुरुआत करके विक्रम लैंडर के साथ चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग हासिल करने का मुख्य उद्देश्य रखा था। इसमें प्रयोग करने और मूल्यवान डेटा इकट्ठा करने के लिए प्रज्ञान रोवर को तैनात किया गया था। यह मिशन चंद्रमा के भूविज्ञान, खनिज विज्ञान और बाह्यमंडल का अध्ययन करने पर केंद्रित था, जो चंद्रमा की उत्पत्ति और विकास के बारे में हमारी समझ में योगदान करेगा।

चंद्रयान-3 प्रोजेक्ट क्‍या है? चंद्रयान-2 मिशन से कितना अलग?

‘चंद्रयान’ भारत का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंतरिक्ष परियोजना है जिसका मुख्य उद्देश्य है चांद की विशेषताओं को समझना और अध्ययन करना। इस प्रोजेक्ट के जरिए, भारतीय वैज्ञानिक चांद के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं।

2003 के स्वतंत्रता दिवस संबोधन में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चांद से जुड़े मिशन की घोषणा की थी। इसरो (ISRO) ने 2008 में ‘चंद्रयान-1’ नामक मिशन को लॉन्च किया। यह मिशन भारत का पहला अंतरिक्ष मिशन था जिसने चांद की ओर अध्ययन किया।

फिर, 2019 में ‘चंद्रयान-2’ को लॉन्च किया गया। यह मिशन भी चांद पर भारतीय वैज्ञानिकों की ओर से किया गया था। और 14 जुलाई 2023 को श्रीहरिकोटा से ‘चंद्रयान-3’ को उड़ान भरने की योजना है। यह भारत का चांद पर तीसरा महत्वपूर्ण प्रयास होगा।

चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 में कुछ अंतर होने की जानकारी दी गई है।

चंद्रयान-2 में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर थे। वहीं, चंद्रयान-3 में एक प्रपल्शन मॉड्यूल, एक लैंडर, और एक रोवर होंगे। चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर का वजन चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर से लगभग 250 किलोग्राम ज्यादा है। चंद्रयान-2 की मिशन लाइफ का अनुमान लगभग 7 साल था, वहीं चंद्रयान-3 के प्रपल्शन मॉड्यूल को 3 से 6 महीने तक काम करने के लिए डिजाइन किया गया है।

इसके अलावा, चंद्रयान-3 चंद्र की दिशा में ज्यादा तेजी से बढ़ेगा जबकि चंद्रयान-2 थोड़ी धीमी गति से चांद की ओर बढ़ रहा था। चंद्रयान-3 के लैंडर में 4 थ्रस्टर्स लगाए गए हैं जो कि इसे चांद पर सतह तक पहुंचाने में मदद करेंगे। चंद्रयान-3 का यात्रा करीब 40 दिनों में पूरी हो जाने के बाद चांद की सतह तक पहुंच जाएगा।

चंद्रयान-3 की लॉन्च डेट, लैंडर और रोवर के नाम

चंद्रयान-3, जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी (ISRO) द्वारा प्रस्तुत किया गया है, एक महत्त्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन है जिसका उद्देश्य चांद पर लैंडिंग करना है।

अंतरिक्ष उपकरणों की समीक्षा

  • लैंडर – विक्रम: चंद्रयान-3 के लैंडर का नाम ‘विक्रम’ है। यह उपकरण चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • रोवर – प्रज्ञान: रोवर का नाम ‘प्रज्ञान’ है। यह चंद्रयान-3 के लैंडर से उतरेगा और चांद की सतह पर अनुसंधान करेगा।

तुलना: चंद्रयान-3 और चंद्रयान-2 की विशेषताएं

  • वजन: चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर का वजन, चंद्रयान-2 के उपकरणों के मुकाबले लगभग 250 किलोग्राम ज्यादा है।
  • मिशन लाइफ: चंद्रयान-2 की मिशन लाइफ लगभग 7 साल थी, वहीं चंद्रयान-3 के प्रपल्शन मॉड्यूल को 3 से 6 महीने काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

नया सफर: चंद्रयान-3 की यात्रा

चंद्रयान-3 की यात्रा चंद्र की ओर लगभग 40 दिनों में पूरी हो जाने के बाद चांद की सतह पर लैंडिंग करेगा। इसमें चंद्रयान-3 के लैंडर में 4 थ्रस्टर्स लगाए गए हैं जो कि इसे सफलतापूर्वक पहुंचाने में सहायता करेंगे।

ISRO के चंद्रयान-3 मिशन का लक्ष्‍य क्‍या है?

चंद्रयान-3 मिशन की लागत 615 करोड़ रुपये है और इसका मुख्य लक्ष्य पिछले प्रोजेक्ट्स की तरह चांद की सतह के बारे में अधिक जानकारी जुटाना है। इस मिशन के लैंडर पर चार तरह के वैज्ञानिक उपकरण होंगे। इन उपकरणों के माध्यम से चंद्रयान-3 भूकंपों, सतह की तापमान, सतह के प्लाज्मा में परिवर्तन, और चांद और धरती के बीच की सटीक दूरी का मापन करने की कोशिश करेगा। इसके अलावा, चांद की सतह की रासायनिक और खनिज संरचना की भी अध्ययन किया जाएगा।

भारत के लिए कितना अहम है चंद्रयान-3 मिशन?

  • वैज्ञानिक प्रयास: चंद्रयान-3 का उद्देश्य चांद की सतह के कई महत्त्वपूर्ण पहलुओं का अध्ययन करना है, जो महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सवालों के उत्तर प्रदान कर सकता है।
  • चांदी के प्राकृतिक घटनाओं की समझ: इस मिशन का उद्देश्य है कि चांद पर भूकंपों का अध्ययन करना, उसकी सतह की थर्मल गुणवत्ता, चांद के करीब प्लाज्मा में विभिन्नताएँ, और चांद और पृथ्वी के बीच की सटीक दूरी के मापन पर।
  • रासायनिक संरचना: चंद्रयान-3 का मिशन है कि चांद की सतह के रासायनिक और खनिज संरचना की जांच करना, जिससे हमें उसकी संरचना और भूगोलिक गठन को समझने में मदद मिले।
  • चांद पर प्लाज्मा की अध्ययन: चंद्रयान-3 द्वारा चांद के आस-पास के प्लाज्मा परिवेश की जांच से, हमें चांद की सतह पर प्लाज्मा संवाद की प्रक्रिया को समझने में सहायता मिल सकती है।
  • भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण: चंद्रयान-3 मिशन की सफलता भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि होगी, जिससे भारत चांद पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला चौथा देश बनेगा।
  • ISRO की मान्यता में वृद्धि: ISRO ने हाल के सालों में अपनी पहचान बनाई है, और चंद पर सफल मिशन से उसकी मान्यता और मजबूत होगी।
  • चंद्रयान-3 के अंतर्निहित फायदे: चंद्रयान-3 के माध्यम से हम चंद्रमा की बेहद महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे, जो हमें आकाशीय शरीरों और अंतरिक्ष अन्वेषण के ज्ञान को बढ़ावा देगी।

चंद्रयान-3 मॉड्यूल

चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (एलएम), प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) और एक रोवर शामिल है, जिसका उद्देश्य अंतर ग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और प्रदर्शित करना है। लैंडर में एक निर्दिष्ट चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता होगी जो अपनी गतिशीलता के दौरान चंद्र सतह का इन-सीटू रासायनिक विश्लेषण करेगा। लैंडर और रोवर के पास चंद्र सतह पर प्रयोग करने के लिए वैज्ञानिक पेलोड हैं।

पीएम का मुख्य कार्य एलएम को लॉन्च वाहन इंजेक्शन से अंतिम चंद्र 100 किमी गोलाकार ध्रुवीय कक्षा तक ले जाना और एलएम को पीएम से अलग करना है। इसके अलावा, प्रोपल्शन मॉड्यूल में मूल्यवर्धन के रूप में एक वैज्ञानिक पेलोड भी है जो लैंडर मॉड्यूल के अलग होने के बाद संचालित किया जाएगा। चंद्रयान-3 के लिए पहचाना गया लॉन्चर LVM3 M4 है जो एकीकृत मॉड्यूल को ~170 x 36500 किमी आकार की एलिप्टिक पार्किंग ऑर्बिट (ईपीओ) में स्थापित करेगा।

चंद्रयान-3 के मिशन का क्या उद्देश्य रहा है?

चंद्रयान-3 के मिशन उद्देश्यों में शामिल हैं:

  • सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन: मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सही ढंग से लैंडिंग करना है।
  • रोवर का उपयोग: मिशन में एक रोवर को चंद्रमा पर भेजा जाएगा जो वहाँ घूमकर वैज्ञानिक प्रयोगों को संचालित करेगा।
  • वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन: चंद्रयान-3 में यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोगों को संचालित करने का मुख्य उद्देश्य होगा। इन प्रयोगों से चंद्रमा की सतह के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद मिलेगी।

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चंद्रयान-3 के मिशन का तकनीक

इस मिशन के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए, लैंडर में कई उन्नत तकनीकें शामिल हैं, जैसे कि,

  • एल्टीमीटर्स (Altimeters): लेजर और आरएफ आधारित एल्टीमीटर्स
  • वेलोसीमीटर्स (Velocimeters): लेजर डोप्लर वेलोसीमीटर और लैंडर हॉरिज़ोन्टल वेलोसिटी कैमरा
  • अनलबिक मापन (Inertial Measurement): लेजर जायरो आधारित अनलबिक संदर्भ और एक्सेलरोमीटर पैकेज
  • प्रोपल्शन सिस्टम (Propulsion System): 800N थ्रोटलेबल तरल इंजन, 58N रुझान थ्रस्टर्स और थ्रोटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स
  • नेविगेशन, गाइडेंस और कंट्रोल (NGC): पावर्ड डेसेंट ट्रेजेक्टरी डिज़ाइन और संबंधित सॉफ्टवेयर तत्व
  • खतरा पहचान और टालना (Hazard Detection and Avoidance): लैंडर खतरा पहचान और टालने की कैमरा और प्रोसेसिंग एल्गोरिदम
  • लैंडिंग लेग मेकेनिज़्म (Landing Leg Mechanism)

इन उच्च स्तरीय प्रौद्योगिकियों को पृथ्वी की स्थितियों में प्रदर्शित करने के लिए, कई विशेष टेस्ट्स की योजना बनाई गई है और सफलतापूर्वक की गई हैं, जैसे:

  • समेकित ठंडा परीक्षण (Integrated Cold Test) – हेलीकॉप्टर को परीक्षण प्लेटफ़ॉर्म के रूप में उपयोग करके इंटीग्रेटेड सेंसर्स और नेविगेशन प्रदर्शन परीक्षण
  • समेकित गरम परीक्षण (Integrated Hot test) – टॉवर क्रेन को परीक्षण प्लेटफ़ॉर्म के रूप में उपयोग करके सेंसर, एक्ट्यूएटर्स और NGC के साथ बंद लूप प्रदर्शन परीक्षण

चांद्र सिमुलेंट टेस्ट बेड पर लैंडर लेग मेकेनिज़्म प्रदर्शन परीक्षण जो विभिन्न स्पर्श निकटता की स्थिति को सिमुलेट करता है।

चंद्रयान-3 की समग्र विशिष्टता नीचे दी गई हैं:

पैरामीटरविनिर्देश
मिशन जीवन (लैंडर और रोवर)एक चंद्र दिन (~14 पृथ्वी दिन)
लैंडिंग स्थल (प्राइम)4 किमी x 2.4 किमी, 69.367621 दक्षिण, 32.348126 पूर्व
विज्ञान स्पेसलोडलैंडर: राडियो एनाटॉमी ऑफ़ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयोनोस्फियर और वायुमंडल (RAMBHA), चंद्रा सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE), इंस्ट्रुमेंट फॉर लूनर साइस्मिक एक्टिविटी (ILSA), लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर अ‍ॅरे (LRA) रोवर: अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS), लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) प्रोपल्शन मॉड्यूल: स्पेक्ट्रो-पोलारीमेट्री ऑफ़ हैबिटेबल प्लेनेट अर्थ (SHAPE)
दो मॉड्यूल कॉन्फ़िगरेशनप्रोपल्शन मॉड्यूल (लॉन्च इंजेक्शन से चंद्रमा की कक्षा तक लैंडर को ले जाता है), लैंडर मॉड्यूल (रोवर को लैंडर में निर्धारित किया गया है)
वजनप्रोपल्शन मॉड्यूल: 2148 किलोग्राम, लैंडर मॉड्यूल: 1752 किलोग्राम जिसमें 26 किलोग्राम का रोवर शामिल है, कुल: 3900 किलोग्राम
ऊर्जा उत्पादनप्रोपल्शन मॉड्यूल: 758 वॉट, लैंडर मॉड्यूल: 738 वॉट, WS के साथ सहारा, रोवर: 50 वॉट
संचारप्रोपल्शन मॉड्यूल: आईडीएसएन के साथ संचार करता है, लैंडर मॉड्यूल: आईडीएसएन और रोवर के साथ संचार करता है। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर भी आपातकालीन लिंक के लिए योजनाबद्ध है। रोवर: केवल लैंडर के साथ संचार करता है
लैंडर सेंसर्सलेजर इनर्शियल रेफरेंसिंग और एक्सेलरोमीटर पैकेज (LIRAP), का-बैंड एल्टीमीटर (KaRA), लैंडर पोजीशन डिटेक्शन कैमरा (LPDC), LHDAC (Lander Hazard Detection & Avoidance Camera), लेजर एल्टीमीटर (LASA), लेजर डोप्लर वेलोसिमीटर (LDV), लैंडर हॉरिज़ोन्टल वेलोसिटी कैमरा (LHVC), माइक्रो स्टार सेंसर, इंक्लाइनोमीटर और टचडाउन सेंसर्स
लैंडर एक्चुएटर्सप्रतिक्रिया व्हील – 4 नंबर (10 एनएमएस और 0.1 एनएम)
लैंडर प्रोपल्शन सिस्टमद्वितंत्रिय प्रोपल्शन सिस्टम (एमएमएच + मोन 3), 4 नंबर के 800 एनवी थ्रोटलेबल इंजन और 8 नंबर के 58 एनवी; थ्रोटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स
लैंडर मेकेनिज़्मलैंडर लेग, रोवर रैंप (प्राथमिक और द्वितीयक), रोवर, ILSA, RAMBHA और CHASTE पेलोड्स, अम्बिलिकल कनेक्टर संरक्षण मेकेनिज़्म, एक्स-बैंड एंटीना
लैंडर टचडाउन निर्देशिकाऊर्ध्वीय गति: ≤ 2 मीटर / सेकंड, क्षैतिज गति: ≤ 0.5 मीटर / सेकंड, ढाल: ≤ 12 डिग्री

चंद्रयान-3 लैंडर मॉड्यूल और रोवर पर नियोजित वैज्ञानिक पेलोड के उद्देश्य नीचे दिए गए हैं:

लैंडर पेलोड्सउद्देश्य
रेडियो ऐनैटॉमी ऑफ़ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयोनोस्फियर और वायुमंडल (RAMBHA)लैंग्म्यूर प्रोब (LP) – समीप सतह प्लाज्मा (आयोंस और इलेक्ट्रॉन्स) की घनत्व और समय के साथ उसके परिवर्तन को मापने के लिए
चंद्रा सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE)चंद्रमा की सतह के अंश के थर्मल गुणों का मापन करना, खासकर उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र के पास।
इंस्ट्रुमेंट फॉर लूनर साइस्मिक एक्टिविटी (ILSA)लैंडिंग स्थल के आसपास भूकंपों का मापन करना और चंद्रमा की धरा और मेंटल की संरचना का विवरण करना।
लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर अ‍ॅरे (LRA)यह चंद्रमा प्रणाली की गतिकी को समझने के लिए एक निष्क्रिय प्रयोग है।
क्रमांकरोवर पेलोड्सउद्देश्य
1.लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS)गुणात्मक और मात्रात्मक तत्वों का विश्लेषण और चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना को निकालना और खनिजी संरचना को समझाने के लिए।
2.अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS)चंद्रमा की मिट्टी और चंद्रमा प्रक्षेपण स्थल के चारों ओर के तत्वों की तत्वीय संरचना (Mg, Al, Si, K, Ca, Ti, Fe) निर्धारित करना।
क्रमांकप्रोपल्शन मॉड्यूल पेलोडउद्देश्य
1.स्पेक्ट्रो-पोलारिमेट्री ऑफ़ हेबिटेबल प्लैनेट अर्थ (SHAPE)प्रतिबिंबित प्रकाश में छोटे ग्रहों की भविष्य की खोज, जो निवास के लिए योग्य हों (या जीवन की मौजूदगी के लिए)।

चंद्रयान-3 मॉड्यूल के त्रि-आयामी दृश्य नीचे दिए गए हैं:

चंद्रयान-3
चंद्रयान-3
चंद्रयान-3
चंद्रयान-3

FAQs

चंद्रयान-3 मिशन क्या है?

चंद्रयान-3 मिशन भारत का चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष मिशन है जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करके उसके वैज्ञानिक अध्ययन और वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना है।

चंद्रयान-3 मिशन की लॉन्चिंग कब हुई थी?

चंद्रयान-3 का लॉन्च 14 जुलाई 2023 को भारत के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुआ था।

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और नरम लैंडिंग करना और चंद्रमा पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन करना है।

चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर और रोवर के नाम क्या हैं?

चंद्रयान-3 में लैंडर का नाम ‘विक्रम’ है और रोवर का नाम ‘प्रज्ञान’ है।

चंद्रयान-3 मिशन के क्या उद्देश्य थे?

चंद्रयान-3 मिशन के उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग का प्रदर्शन करना, रोवर को चंद्रमा पर घूमते हुए प्रदर्शित करना और यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना थे।

चंद्रयान-3 के लैंडर पर क्या साइंटिफिक पेलोड्स हैं?

चंद्रयान-3 के लैंडर पर रामभा, चस्ते, इल्सा, और एलआरए पेलोड्स हैं, जो चंद्रमा की सतह की विभिन्न गुणवत्ताओं का अध्ययन करते हैं।

रोवर के पेलोड्स क्या हैं?

रोवर के पेलोड्स में एलआईबीएस और एपीएक्सएस शामिल हैं, जो चंद्रमा की धरा और चट्टानों के तत्विक संरचना का अध्ययन करते हैं।

चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण मॉड्यूल का उपयोग क्या है?

प्रक्षेपण मॉड्यूल ने लैंडर को भूमि से चंद्रमा की ओर ले जाने के लिए कार्य किया।

इस मिशन में उपयोग होने वाली तकनीकियों में कौन-कौन सी हैं?

इस मिशन में उन्नत तकनीकियाँ जैसे लेजर, वेलोसीमीटर, प्रोपल्शन सिस्टम, आदि हैं।

चंद्रयान-3 मिशन का उद्देश्य क्या है?

चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और नरम लैंडिंग करना, चंद्रमा पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन करना और इन-सीटू वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना है।

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