हिंदी जो एक राष्ट्रीय भाषा होने के साथ-साथ आधिकारिक भाषा भी है इसका साहित्यिक इतिहास लगभग 300 वर्ष पुराण रहा है।
हम भारतवासी हिंदी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को मनाते हैं क्योंकि इस दिन हमारे राष्ट्र की संविधान सभा ने देवनागरी द्वारा रचित हिंदू भाषा को भारत गणराज्य की ऐसी भाषा घोषित किया जिस पर सबका अधिकार हो।
याह भाषा आज कई संस्थानों ला हिस्सा है जैसे विद्यालयों, उच्च शिक्षा विभाग और सरकारी दफ्तर। इन सब जगहों पर हिंदी दिवस को लोग बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं।
हिंदी भाषा वह भाषा है जो एक देश की संस्कृति और उसके सभ्यता को दर्शाती है। यह दिन सांस्कृतिक जड़ों पर महत्व देने और इसकी समृद्धता को प्रकाश में लाने का दिन है।
एक राष्ट्रभाषा
निसंदेह हिंदी भारत की राष्ट्र अथवा मातृभाषा है और हम सब को इसका आदर और महत्व पर ध्यान देना चाहिए। भारत वासी आज पश्चमी मोह माया में फंसकर अपने हिंदी सभ्यता को ठुकराकर उन जैसे दिखना चाहते हैं, उनके रहन सहन की नकल करते हैं, उनकी भाषा को अपना समझ कर भारत को उन जैसा बनाना चाहते हैं।
अतः हर क्षेत्र में उनके जैसा बन जाना चाहते हैं। हम भारतीय को यह नही पता कि भारतीय की विरासत ही हिंदी है, यहां की रहन सहन, यहां के तौर तरीके, बोल चाल, उठने बैठने का ढंग सब हिंदी विरासत है जिनपे हमें गर्व करना चाहिए।
हिंदी भाषा का इतिहास
हिंदी भाषा और इसकी संस्कृति पश्चिम की संस्कृति के मुकाबले में कई तरीके से सम्पन्न हैं। प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को भारत द्वारा मनाया जाने वाला यह दिवस यह दर्शाता है कि इस भाषा को पूरे भारतीय द्वारा कितना सम्मान मिला है।
इस महत्वपूर्ण दिवस को ऐसे दिन को स्मर्ण करने के लिए मनाया जाता है जिस दिन इस देश ने हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा बनाई।
इस दिन को को हर साल हिंदी के मूल्य पर ज़ोर देने और भावी पीढ़ी में इसको जगह देने के लिए मनाते हैं जो अंग्रेजी से काफी प्रेरित हुई है। यह दिवस भारत के नए पीढ़ी को इसकी जड़ों के बारे में स्मर्ण कराने का एक ज़रिया है।
हिंदी को मंजूरी
हिंदी भाषा लोगों को सम्मान करने के लिए प्रभावित करती है, और व्यापक रूप से बोलने के लिए प्रेरित करती है।
हिंदी की लोकप्रियता में और वृद्धि लाने के लिए हिंदी सिनेमा जगत का काफी अहम महत्व रहा है। उसके अलावा वर्ष 2011 में हुए जनगणना में लगभग 436 लाख लोगों ने हिंदी भाषा मातृभाषा के तौर पर अपनाया और रास्ट्र भाषा के रूप में बाकी जाने के लिए मंजूरी दी।
हिंदी की लोकप्रियता
भारत के 78 प्रतिशत व्यक्ति हिंदी बोली बोलते है जिसका जड़ फारसी है और प्रथम हिंदी कविता सबसे चर्चित कवि अमीर खुसरो ने ही रची थी।
यह बात काफी चौंका देने वाली है कि, कि हिंदी बोली का साहित्यिक इतिहास एक फ्रांस के लेखक ग्रेस्मत तासी ने लिखा था।
वर्ष 1977 में प्रथम बार विदेश मंत्री अटल बिहारी बाजपयी ने संयुक्त राष्ट्र की सभा में हिंदी का ज़िक्र किया।
निष्कर्ष
हम जानते हैं कि अंग्रेजी विश्व स्तर पर बोली जाने वाली भाषा है और इसके महत्व को हम इनकार भी नहीं कर सकते परन्तु हमे यह सोचना चाहिए कि हम सबसे पहले एक भारतीय हैं और हमें इस भाषा को सम्मान भरी नज़र से देखने की ज़रूरत है।
हिंदी एक आधिकारिक भाषा होने की वजह से यह सिद्ध होता है कि जो सत्ता में रहते हैं वे अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं और चाहते हैं कि लोग इस भाषा के महत्व को समझते हुए पश्चमी संस्कृति से दूर रहें।