हमारे भारत देश में जहाँ हिमालय बर्फ़बारी व ठंड के लिए जाना जाता है, वैसे ही रेगिस्तान भी भीषण गर्मी व रेतीला क्षेत्र है । जहाँ पानी के लिए तरसा जाता है । कहा जाता है की रेगिस्तान की धरती दिन में जितनी तेजी से गर्म होती है वो रात के समय उतनी ही जल्दी ठंडी व सुहावनी भी हो जाती है।
रेगिस्तान की यात्रा को पैदल करना मुश्किल होता है क्योंकि वहाँ की जमीन का तपन ज्यादा होता है । जिसके वजह से वहाँ के लोग ऊँट का पालन करते है और उसी से यात्रा भी करते है । जो पर्यटक आते है वो ऊँट की सवारी करके रेगिस्तान की यात्रा का लुफ्त उठाते है।
यह देश का ऐसा भाग होता है जहाँ न कोई पर्वत, न कोई जंगल, और न कोई पेड़ पौधे होते है । वहाँ पर कोई भी मिट्टी उपजाऊ नहीं होती है सब रेतीला क्षेत्र होता है । रेगिस्तान को हम “थार का मरुस्थल” भी कहते है।
यहाँ पर लोग ऊँट की सहायता से मिलो दूरी की यात्रा करते है और जरूरत की चीजो के सामान के लिए भी मिलो दूर तक जाना पड़ता है।
ये रेगिस्तान वाला भाग अफ्रीका, अरब व सीरिया जैसे देशों में भी फैला है । यहाँ पर अधिकतर गर्म मरुस्थल पाया जाता है । रेगिस्तान जैसे क्षेत्रों में बारिश बहुत कम ही मात्रा होती है जिसके वजह से वहाँ के रहने वाले सभी जीव जन्तुओ के लिए बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
रेगिस्तान में जीवन
हम उस विश्व के बारे में पढ़े है की जहाँ पर लोग अत्यधिक कष्टदायक वाला तापमान वाले जगह पर भी जीवन जीना सीख चुके है । इसके अलावा भी कुछ जगह है आग की तरह गर्म है तो कुछ बर्फ की तरह ठंड है । विश्व के जो भी रेगिस्तानी वाले क्षेत्र है । उन क्षेत्रों में कम वर्षा, विरल वनस्पति और चरम को पार करने वाले तापमान होते है।
तापमान के आधार पर रेगिस्तान गर्म व ठंड हो सकता है । इन जगहों पर कही – कही बारिश होती है जहाँ लोग बसे होते है और अपना कृषि का कार्य करने लग जाते है।
गर्म रेगिस्तान सहारा
विश्व के उत्तरी अफ्रीका के बड़े भू-भाग पर फैले सहारा के रेगिस्तान है । जो विश्व का सबसे बड़ा रेगिस्तान है यह लगभग 8.54 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है । जहाँ भारत के क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है शायद से।
ये जो सहारा रेगिस्तान है वो लगभग 11 देशों से घिरा हुआ है । जो देश है – मिस्र, अल्जीरिया, चाड, लीबिया, मोरक्को, माली, सूडान, मौरितानिया, नाइजर, टुयूनिशिया, व पश्चिमी सहारा।
जब कोई रेगिस्तान के बारे में सोचता है तो उसके दिमाग में सबसे पहले रेतीला क्षेत्र वाला दृश्य ही नजर आता है । परन्तु सहारा रेगिस्तान (मरुस्थल) बालू के विशाल परतों से ढका हुआ रहता है नहीं तो वहाँ पर बजरी वाला मैदान व नग्न चट्टानों की सतह ऊँचे पठार दिखाई पड़ते है।
जलवायु
दोस्तों, सहारा रेगिस्तान की जलवायु अत्यधिक गर्म व शुष्क रहता है । यहाँ की वर्षा की मात्रा बहुत अल्पकाल के लिए होती है । यहाँ के आकाश एकदम साफ निर्मल व आकाश रहित होता है । यहाँ के दिन में अविश्वसनीय रूप से गर्म होता है।
यहाँ पर नमी की मात्रा बहुत कम देखने को मिलती है क्योंकि यहाँ नमी तेजी के साथ वाष्पित हो जाता है । एक और कारण है की यहाँ हमेशा शुष्क हवा बहती है । रेगिस्तान के दिन के समय तापमान 50 डिग्री सेल्सियत से ऊपर तक पहुँच जाता है।
यहाँ इतनी ताप होती है की वहाँ की निकालने वाली विकिरण बहुत गर्म होती है जिसके चारों ओर गर्मी महसूस होती है । परन्तु दिन के तुलना में राते अत्यधिक ठंड होती है क्योंकि तापमान गिरकर हिमांक बिंदु लगभग 0 डिग्री सेल्सियत तक पहुँच जाता है।
रेगिस्तान में वनस्पति व जीव जंतु
रेगिस्तान में पाए जाने वाले वनस्पति में कैक्टस, खजूर, तथा एकेशिया पाए जाते है । और जीव जन्तुओ में पायें जाने वाले प्राणी ऊँट, लकडबग्घा, सियार, लोमड़ी, बिच्छू, साँपों की विभिन्न जातियां पाई जाती है और यहाँ के प्रमुख जन्तु छिपकली है।
मनुष्य का निवास
यहाँ पर मनुष्य भी निवास करते है । जहाँ उनके रहने लायक सुख सुविधा मिलता है । यहाँ विभिन्न समुदाय के लोग निवास करते है उनकी अपनी भिन्न – भिन्न क्रियाकलापों में भाग लेते है।
यहाँ के निवासी लोग अपने घर बकरी, भेड़, ऊँट, व घोड़े जैसे पशु पालते है जो वहाँ के अनुरूप रह सकते है । इन के सहारे अपने कई कार्य करते है जैसे दूध प्राप्त करना, खाल से जुते इत्यादि बनाना तथा पशुओं के बाल का उपयोग करके चटाई, कालीन, कपडे व कम्बल बनाते है।
निष्कर्ष
हमें रेगिस्तान के लोगों के प्रति सम्मान का भाव व्यक्त करना चाहिए । वहाँ पर रह रहे लोगों के और सुख – सुविधा का व्यवस्था करना चाहिए । सरकार को भी इस चीज पर ध्यान देना चाहिए।